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वैज्ञानिकों ने खोज निकाला नया ब्‍लड ग्रुप


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नई दिल्‍ली । 

अभी तक लोगों को चार ही ब्‍लड ग्रुप्‍स के बारे में जानकारी है। इनमें A B AB और O शामिल हैं जबकि दर्जनों अन्‍य ब्‍लड ग्रुप्‍स भी मौजूद हैं। वैज्ञानिकों ने हाल में एक और नए ब्‍लड ग्रुप का पता लगाया है। उन्‍होंने इसका नाम ईआर दिया है। यह 44वां ज्ञात ब्‍लड ग्रुप का प्रकार है। वैज्ञानिकों ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है। उनके लिए यह किसी ग्रह की खोज करने जैसा है। उन्‍हें उम्‍मीद है कि यह खोज खून में होने वाली गड़बड़‍ियों का पता लगाने और उनका ट्रीटमेंट करने में मदद करेगी। इससे खून से जुड़ी कुछ जटिल बीमारियों का उपचार करने में भी मदद मिलेगी। नवजात शिशुओं और गर्भ में होने वाली बीमारियों के ट्रीटमेंट में यह खोज खासतौर से अहम साबित होगी। वैज्ञानिकों को 1982 में सबसे पहले ईआर ब्‍लड टाइप के संकेत देखने को मिले थे लेकिन टेक्‍नोलॉजी की सीमाओं के कारण वह इस दिशा में बहुत ज्‍यादा आगे नहीं बढ़ सके थे।

यह खोज खून की गड़बड़‍ियों का पता लगाने व ट्रीटमेंट करने में मदद करेगी

ईआर की खोज किसी ग्रह के खोजने जैसा

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 चार दशकों के अध्‍ययन के बाद इसे खोज लिया गया है। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है। मीडिया के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि खून के प्रकार को लाल रक्‍त कोशिकाओं पर प्रोटीन की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर तय किया जाता है। कटिंग-एज डीएनए सीक्‍वेंसिंग और जीन एडिटिंग टेक्निक के जरिए यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पिजो-1 नाम के प्रोटीन की पहचान की है। 

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यह ईआर ब्‍लड टाइप के लिए मार्कर है। पिजो-1 सेहत और बीमारी दोनों में अहम भूमिका निभाता है। यूनिवर्सिटी के स्‍कूल ऑफ बायोकेमिस्‍ट्री में सीनियर रिसर्चर टिम सैचवेल ने इस स्‍टडी को अहम करार दिया है। उन्‍होंने कहा है कि यह उदाहरण है कि कैसे नई टेक्‍नोलॉजी को ज्‍यादा पारंपरिक तरीकों के साथ कम्‍बाइन किया जा सकता है। इसके जरिए उन सवालों का जवाब तलाशने में मदद मिलेगी जो लंबे समय से पहेली बने हुए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्‍लड प्रकार के जेनेटिक मेकअप को समझना जरूरी है। इससे ब्‍लड टाइप टेस्टिंग को विकसित करने में मदद मिलती है। यह डॉक्‍टरों की उन लोगों की ज्‍यादा अच्‍छी देखरेख करने में मदद करेगा जो रेर ब्‍लड ग्रुप वाले हैं।

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