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सरयू की तर्ज पर होगा,नर्मदा तटों का विकास

सरयू की तर्ज पर होगा,नर्मदा तटों का विकास...



विकास की कलम/जबलपुर।

सरयू के तर्ज पर मॉ नर्मदा के पावन तट को विकसित करने के प्रारूप के प्रस्तुतीकरण को  लेकर एक विस्तृत रूपरेखा  की जानकारी प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने  पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए दी।उल्लेखनीय है कि लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह  के अनुरोध पर,  मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा जबलपुर के घाटों का विकास सरयू की तर्ज पर करने की घोषणा की गई है।

पत्रकार वार्ता में राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, विधायक अशोक रोहाणी, सुशील तिवारी इंदु, नीरज सिंह, संतोष बरकडे, महानगर अध्यक्ष रत्नेश सोनकर, ग्रामीण अध्यक्ष राजकुमार पटेल, जिप अध्यक्ष आशा गोंटिया, एमपीआरडीसी के प्रबंधक निदेशक भरत यादव उपस्थित थे।

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लोक निर्माण मंत्री श्री  सिंह ने कहा जिनकी प्रत्येक लहर में आस्था, संस्कृति और जीवन की धारा बहती है। जबलपुर में माँ नर्मदा की  गोद में स्थित है गौरीघाट। यहाँ, माँ नर्मदा की शांत लहरें श्रद्धालुओं को शांति और शक्ति दोनों प्रदान करती हैं। प्रत्येक घाट पर स्नान, पूजा और ध्यान की पवित्रता समाई हुई है।  यहाँ की शांति और प्राकृतिक सुन्दरता हर किसी  को अपनी ओर खींचती है गौरीघाट न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत और अध्यात्मिक पर्यटन का भी गौरव है।

श्री सिंह ने बताया वर्तमान घाट क्षेत्र अत्यधिक भीड़भाड़ वाला  है, जिससे श्रद्धालुओं को आने-जाने में कठिनाई होती है। वर्तमान मार्ग की पर्याप्त चौड़ाई न होने के कारण यातायात अव्यवस्थित होता है, जिससे आवागमन प्रभावित होता है और यह लोगों की सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं हैं।

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विकास कार्यों से सुव्यवस्थित बनेंगे घाट

श्री सिंह ने बताया अर्पित पूजन सामग्री एवं अपशिष्ट घाट पर ही बिखरा रहता है, जिससे न केवल स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि माँ नर्मदा की पावन गरिमा भी धूमिल  होती है। इन समस्याओं की वजह से श्रद्धालुओं को असुविधा होती है इसलिएमाँ नर्मदा के घाटों का सुव्यवस्थित विकास अत्यावश्यक है। 

श्री सिंह ने बताया घाटों के विकास के पहले चरण में खारीघाट, दरोगा घाट, ग्वारीघाट,उमा घाट,सिद्धघाट एवंजिलहरीघाट को जोड़कर सरयू के घाटों की तर्ज पर एकरूपता प्रदान कीजाएंगी।

श्री सिंह ने बताया खारी घाट पर खारी विसर्जन के लिए जलकुंड  बनाया जाएगा। खारी घाट  मार्ग की ओर से खारी घाट पर उतरने  वाले श्रद्धालुओं के लिए  व्यवस्थित  सीढ़ियाँ बनायीं जाएंगी। सीढ़ियों से नीचे उतरते ही चेंजिंग रूम,तीर्थ पुरोहितों के बैठने की व्यवस्था और मुंडन स्थल बनाया जाएगा, साथ ही एक छोटा नाव घाट भी बनाया जाएगा । 

श्री सिंह ने बताया यहाँ पर स्थित प्राचीन मंदिर को यथावत रखते हुए घाटों का विकास किया जाएगा। यहाँ से  थोड़ा आगे दरोगा घाट की तरफ एक बड़ा  ‘नाव घाट’ बनाया जाएगा। दरोगा घाट पर भी श्रद्धालुओं के उतरने के लिए व्यवस्थित सीढ़ियाँ बनायीं जाएंगी। घाट की दीवारों पर आर्टवर्क एवं म्युरेल्स के माध्यम से माँ नर्मदा की गाथा का चित्रण भी किया जाएगा। 


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*स्थान होगा चिन्हित*

श्री सिंह ने बताया यहाँ पर  संध्या आरती के लिए स्थान निश्चित  किया गया है। संध्या आरती के लिए पाँच भव्य मंच निर्मित किए जाएंगे। ये मंच श्रद्धालुओं को दिव्य और अलौकिक अनुभूति प्रदान करेंगे। 

श्री सिंह ने बताया आरती स्थल के सामने एक विशेष बैठक स्थल बनाया जाएगा, जहाँ श्रद्धालु भक्ति भाव से आरती की अनुभूति में लीन हो सकेंगे। आरती स्थल के पीछे की ओर चौड़ी सीढ़ियाँ बनाई जा रही हैं, यहाँ से भी  श्रद्धालु आरती का आनंद ले सकेंगे। वर्षा ऋतु में भी माँ नर्मदा की आरती निर्बाध रूप से जारी रहे, इसके लिए सीढ़ियों के ऊपर विशेष स्थान का निर्माण किया जाएगा ।

श्री सिंह ने बताया गौरीघाट के प्रवेश पर सड़क की ढलान को आसान और चौड़ा बनाया जाएगा , ताकि घाटों के रखरखाव हेतु  वाहन एवं अन्य उपकरण आसानी से पहुँच सकें। गौरीघाट से प्रारंभ होकर एक चैनल का निर्माण किया जाएगा जो लगभग 800 मीटर लंबा, औसतन 15 मीटर चौड़ा और करीब 1 मीटर गहरा होगा, जहाँ इस चौनल के माध्यम से माँ नर्मदा की जलधारा को श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराया जायेगा। इस चैनल से माँ नर्मदा की मुख्य धारा को प्रदूषण-मुक्त रखते हुए श्रद्धालुओं के स्नान एवं पूजन के  लिए  बेहतर, स्वच्छ और सुरक्षित व्यवस्था मिल सकेगी । इस चैनल के दो भाग होंगे।

श्री सिंह ने बताया घाटों पर स्थित अनेक छोटे-बड़े मंदिरों को एक ही  स्थान पर पुनःस्थापित कर व्यवस्थित रूप प्रदान किया जाएगा । सिद्ध घाट की ओर से आ रही प्राकृतिक जलधारा जो गोमुख से प्रवाहित हो रही है उसे यथावत रखा जाएगा।

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*दुकानों को किया जाएगा व्यवस्थित* 

श्री सिंह ने बताया चैनल के समीप धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थ पुरोहितों के बैठने के लिए  स्थान निर्धारित किया  जा रहा  है। यहीं  पीछे की ओर सिद्ध घाट से जिलहरी घाट की तरफ आ रहे मार्ग पर भी पूजन सामग्री की दुकानों के लिए जगह उपलब्ध कराई जा रही है। 

श्री सिंह ने बताया यहाँ पर श्रद्धालुओं के लिए रैम्प तथा घाटों की सुरक्षा के लिए वाच टावर बनाए जाएंगे। चैनल से बहने वाली माँ नर्मदा की जलधारा को गौमुख से प्रवाहित किया जाएगा । आगे की ओर जिलहरी घाट की तरफ भी एक ‘नाव घाट’ बनाया जाएगा । जिलहरी घाट पर आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक भव्य मंच निर्मित किया जाएगा , जो इस प्रकार से दिखाई देगा। 

श्री सिंह ने बताया नर्मदा घाट क्षेत्र में यातायात जाम और अव्यवस्था को रोकने के लिए सुव्यवस्थित पार्किंग की आवश्यकता है। घाटों के समीप ही पाँच स्थानों पर पृथक से सुव्यवस्थित पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी । इन पाँच पार्किंग स्थल के अंतर्गत लगभग 900 टू व्हीलर  एवं  700 फोर व्हीलर के पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी ।

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इस व्यवस्था में वर्तमान पार्किंग का विस्तार किया जाएगा  तथा नई पार्किंग भी विकसित की जाएगी। पार्किंग स्थल पर जन सुविधाओं की उचित व्यवस्था भी की जाएगी। यहाँ विकसित हो रहे  पार्किंग स्थल पर प्रसाद वितरण हेतु एक विशेष स्थान का निर्माण किया जाएगा।

श्री सिंह ने बताया वर्तमान अस्थायी दुकानों के स्थान पर सुव्यवस्थित स्थायी दुकानें बनायी जाएंगी, जिनका क्षेत्रफल पहले वाली दुकानों से अधिक होगा। श्रद्धालु यहाँ फल, फूल, दीप, प्रसाद, पूजन, श्रृंगार सामग्री खरीद सकेंगे। साथ ही प्राकृतिक सौन्दर्य की छटा बिखेरते छायादार वृक्ष श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का एहसास कराएंगे।

श्री सिंह ने बताया माँ नर्मदा घाटों के इस विकास कार्य में हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी । सम्पूर्ण घाट पर रात्रिकालीन सुरक्षा और सुन्दरता के लिए आधुनिक सौर ऊर्जा चलित एलईडी लाइटें लगायी  जाएंगी जो  पर्यावरण हितैषी होने के साथ-साथ हर शाम घाट की सुंदरता को और भी निखारेंगी। दुकानों के आसपास अपशिष्ट और कचरा न फैले तथा सफाई और पर्यावरण अनुकूलता बनी रहे, इसके लिए घाटों पर अंडरग्राउंड ड्रेनेज की व्यवस्था की गई है।



श्री सिंह ने बताया यहाँ घाटों पर एंटी स्किड पत्थरों का उपयोग किया जाएगा। इनकी सफाई के लिए वॉटर जेट भी लगाए जाएंगे, ताकि समय-समय पर इन्हें आसानी से साफ किया जा सके। पत्थरों को टिकाने के लिए विशेष फास्टनर लगाए जाएंगे, जिससे वे तेज बहाव में भी सुरक्षित रह सकेंगे।

श्री सिंह ने बताया गौरीघाट मुक्तिधाम को अत्यंत व्यवस्थित मोक्षधाम का स्वरूप देने की कल्पना को साकार करने की योजना भी तैयार की जा रही हैं।





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