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जुम्मे को छुट्टी और संडे को स्कूल.. अंजुमन इस्लामिया स्कूल का अजीबो गरीब फ़रमान।


जुम्मे को छुट्टी और संडे को स्कूल..
अंजुमन इस्लामिया स्कूल का अजीबो गरीब फ़रमान।





विकास की कलम/जबलपुर

जबलपुर जिले में संचालित अंजुमन इस्लामिया स्कूल एक बार फिर से चर्चा में है लेकिन इस बार मामला काफी पेचीदा है। जिसने संस्कारधानी के साथ-साथ राजधानी भोपाल तक तहलका मचा रखा है। जिसने एक और बुद्धिजीवियों के लिए चर्चाएं गर्म कर दी हैं तो वहीं दूसरी ओर एक नए विवाद को भी जन्म दे दिया है। यह पूरा मामला स्कूल प्रबंधन द्वारा जारी किए गए एक फरमान से जुड़ा हुआ है। जिसकी जानकारी अंजुमन इस्लामिया स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से दी गई। और इसके बाद से स्कूल का फरमान सोशल मीडिया के गलियारों से होता हुआ प्रदेश की सियासी इमारतों के बीच चर्चा और विवाद दोनों का मुख्य कारण बना हुआ है।


आखिर क्या है वह फरमान..?

दरअसल जबलपुर जिले में संचालित अंजुमन इस्लामिया स्कूल के प्रबंधन द्वारा एकजुट होते हुए एक अनोखा निर्णय लिया है। जिसके तहत स्कूल प्रबंधन ने यह फैसला किया है कि अब के बाद से शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन स्कूल की छुट्टी रखी जाएगी वहीं इसके बदले रविवार के दिन को पूरे समय तक स्कूल लगाया जाएगा। कुल मिलाकर खुले तौर पर कहा जाए तो हर शुक्रवार को स्कूल पूर्णतः बंद रहेगा और रविवार को नियमित कक्षाएं संचालित की जाएंगी जबकि यह सर्वविदित है कि पूरे देश में रविवार को सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में साप्ताहिक अवकाश रहता है।बताया जा रहा है कि यह अनोखा फैसला अंजुमन इस्लामिया स्कूल के जिम्मेदार पदाधिकारी ने स्कूल प्रबंधन प्रिंसिपल आदि के साथ मिलकर सोच समझ कर लिया है कहा जा रहा है कि यह फैसला छात्रों की उपस्थिति और पढ़ाई पर सकारात्मक असर डालने के लिए लिया गया है।


जुम्मे की नमाज में शामिल हो सकेंगे बच्चे

जिस तरीके से यह फरमान काफी अनोखा है उसी तरीके से इस फरमान को जारी करने के पीछे की मंशा भी काफी अनोखी है। आधिकारिक तौर पर माने तो अंजुमन इस्लामिया स्कूल के प्रबंधन समिति ने अपने इस अनोखे फरमान के पीछे का तर्क देते हुए कहा के प्रत्येक शुक्रवार को जुम्मे की नमाज होने के चलते बच्चे स्कूल नहीं आ पाते हैं जिसके कारण न केवल शिक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न होती है बल्कि बच्चों की उपस्थिति भी प्रभावित होती है। यदि ऐसे में जुम्मे के दिन छुट्टी देकर रविवार को स्कूल लगाई जाएगी तो बच्चों की पढ़ाई में हो रहे नुकसान को पूरा किया जा सकता है।
स्कूल प्रबंधन ने फरमान के पीछे का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को बाधित होने से बचाना बताया है। वहीं प्रबंधन का कहना है कि स्कूल मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है और शुक्रवार को स्थानीय स्तर पर अधिकांश बच्चे नमाज़ के कारण स्कूल नहीं पहुंच पाते। ऐसे में जुम्मे की छुट्टी देना एक “व्यवहारिक कदम” है।

टेंशन भागने वाला संडे... अब देगा टेंशन..

इधर स्कूल प्रबंधन ने अपनी सुविधा तो देख ली लेकिन इसके पीछे अभिभावकों की भारी फजीहत खड़ी हो गई है। दरअसल रविवार को सभी विभाग के कार्यालय और संस्थान बंद रहते हैं जिससे ऐसे समय में बच्चों को स्कूल भेजना काफी मुश्किल भरा काम बन सकता है। वही मनोवैज्ञानिक ढंग से देखा जाए तो जिस समय पूरे शहर के स्कूल और कॉलेज बंद हो उस समय केवल किसी एक स्कूल में पढ़ाई का कराया जाना बच्चों के लिए भी स्वीकार करना इतना सहज नहीं होगा। चाहे किसी भी जाति या धर्म की बात की जाए..तो रविवार का दिन तनाव से मुक्त होकर पूरे परिवार के साथ समय बिताने का दिन होता है। रविवार यानी संडे का दिन अपने आप में टेंशन फ्री डे होता है। इस दिन पूरा परिवार सप्ताह भर के तनाव को दूर करते हुए पूरे परिवार के साथ कहीं बाहर जाकर अच्छा समय व्यतीत करने का काम करता है। अब इन सबके बीच अचानक से आया अंजुमन इस्लामिया स्कूल का या फरमान संडे को टेंशन फ्री की जगह टेंशन वाला संडे बना देगा।

क्या निजी स्कूल को धार्मिक कारणों के चलते साप्ताहिक अवकाश बदलने का अधिकार है..?

जबलपुर के अंजुमन इस्लामिया स्कूल के फरमान को लेकर अब अभिभावकों की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है। कुछ अभिभावकों की माने तो उन्होंने कहा है कि रविवार वाले दिन बच्चों को स्कूल भेजने से उनके परिवार मैं मिली अन्य सदस्यों की छुट्टी बेकार हो सकती है वही परिवार का माहौल भी खराब हो सकता है। इधर फरमान को लेकर सोशल मीडिया में तरह-तरह की बातें सामने आ रही है। कुछ इसे बेवजह की परेशानी तो कुछ इस तुगलक की फरमान का नाम दे रहे हैं। अभिभावक के अलावा बच्चे भी इस फरमान को लेकर काफी हतोत्साहित है। कुल मिलाकर कहा जाए तो जबलपुर के अंजुमन इस्लामिया स्कूल का यह फरमान ना तो अभिभावकों को रास आया है और ना ही बच्चों को पसंद आ रहा है। हालांकि कुछ लोग इसे पायलट प्रोजेक्ट के नाम पर देख रहे हैं लेकिन कुल मिलाकर बात की जाए तो फरमान के आने के बाद से ही इसके खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए हैं कि क्या किसी निजी स्कूल को धार्मिक कारणों से साप्ताहिक अवकाश बदलने का अधिकार है।


स्कूल के फरमान पर क्या कहता है शिक्षा विभाग...

इस अजीबोगरीब फरमान को लेकर जब जबलपुर के शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो सबसे पहले उन्होंने इस विषय में किसी भी जानकारी के होने से इनकार कर दिया लेकिन जब मीडिया के द्वारा साक्ष के साथ उपरोक्त विषय में बात की गई तो जिम्मेदार अधिकारियों का कहना था कि उन्हें औपचारिक रूप से ऐसी कोई भी सूचना प्राप्त नहीं हुई है हालांकि उन्हें भी सोशल मीडिया के जरिए ही ऐसे निर्णय का पता चला है शिक्षा विभाग की माने तो उनके द्वारा फरमान को लेकर इसकी सत्यता के प्रति जानकारियां एकत्र की जा रही है। शिक्षा विभाग की माने तो यदि किसी स्कूल द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से ऐसा फरमान जारी किया गया है तो उसे पर दंडात्मक कार्यवाही की जा सकती है। क्योंकि विदा विभागीय अनुमति के किसी भी तरीके से साप्ताहिक अवकाश में परिवर्तन करना किसी भी स्कूल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।


लगाम नहीं लगी तो.. हर स्कूल में शुरू होगी मनमानी..

पहली नजर में यह साफ हो गया है कि जबलपुर की अंजुमन इस्लामिया स्कूल के प्रबंधन द्वारा नियमों को तक पर रखकर यह अनोखा फरमान जारी किया गया है इसे लेकर एक और जहां जिले का शिक्षा विभाग अब मामले की विशेष जांच किए जाने की बात कह रहा है वहीं दूसरी ओर शहर के विशेषज्ञों की माने तो इस फरमान से आने वाले समय में अन्य स्कूलों में भी मनमानी का परिमाण जारी करने की भावना जागृत हो सकती है। अगर किसी भी स्कूल में इस तरीके के फरमान को लागू किया जाता है तो भविष्य में धार्मिक कारणों के चलते सभी अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार छुट्टियों में बदलाव कर देंगे और उसके बाद पूरे शहर में शिक्षा के मंदिरों में विवाद की स्थितियां उत्पन्न हो जाएगी ।खास बात यह है कि इसे फरमान की तामिली शिक्षा व्यवस्था में असंतुलन पैदा कर सकती है।

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