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इडियट आप चपरासी बनने लायक भी नहीं हो,कुछ इस अंदाज में एमयू के परीक्षा नियंत्रक को कोर्ट ने फटकारा

 

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जबलपुर ।

 आपने किस नियम के तहत बगैर नामांकन बगैर संबद्धता के परीक्षा करा लीं ८ हजार बच्चों ने लिख के दे दिया कि हमें परीक्षा देनी है और आपने ले ली आपने देखा कि परीक्षा देने वाले विद्यार्थी ने १०वीं १२ वीं की परीक्षा दी है या नहीं जवाब दे नहीं पा रहे हैं और भाव खा रहे हैं इडियट आप चपरासी बनने लायक भी नहीं हो आपको किसने परीक्षा नियंत्रक बना दिया यूनिवर्सिटी चला रहे हो या लोगों को मारने वाला बूचड़खाना यही हालात रहे तो आप अपने कुलपति सहित जेल जाएंगे। यह बात मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच की युगल पीठ के जस्टिस रोहित आर्या ने हालहीं में मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) के परीक्षा नियंत्रक डा. सचिन कुचिया की जमकर फटकार लगाते हुए कही थी। न्यायालय की फटकार के साथ एमयू प्रबंधन को अपने ईसी (कार्य परिषद) सदस्यों की सहमति असहमति की भी कोई फिक्र नहीं है। ईसी सदस्यों की असहमति के बावजूद हालहीं में हुई ईसी बैठकों में डिफाल्टर (डी) समूह के कॉलेजों को थोक के भाव बांटी गई संबद्धता की रेवड़ी इस बात की बानगी दे रही है। ईसी सदस्य डॉ. सुनील राठौर एवं डॉ. पवन स्थापक ने ११ जनवरी और १६ जनवरी के ईसी बैठकों और इनके मिनिट्स पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनकी असहमति के बावजूद प्रबंधन मनमाने तरीके से कार्य कर रहा है। 

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नोट आफ डिसेंट (असहमति) कार्यवृत्त में पूरा लिखा जाए..

डॉ. सुनील राठौर ने एमयू के रजिस्ट्रार को प्रेषित अपने पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा कि उनके नोट ऑफ डिसेंट (असहमति) को कार्यवृत्त में पूरा का पूरा लिखा जाए। उन्होंने कहा के पूर्व में तीन बार ईसी की बैठकों में डी समूह की समस्त फाइलों का गहन अध्ययन एवं परीक्षण उपरांत सर्वसम्मति से ईसी द्वारा एवं पूर्व कुलपति द्वारा तत्कालीन ईसी के द्वारा डी समूह को अमान्य किया गया। ११ जनवरी के बाद १६ जनवरी को आकस्मिक रूप से बुलाई गई ईसी बैठक में पूर्व में अमान्य किए गए डी समूह के कॉलेजों को मान्य किए जाने के समर्थन में पृथक से कोई दस्तावेज ईसी के समक्ष कोई नवीन सुसंगत दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए ऐसी स्थिति में डी समूह के कॉलजों को संबंध्दता प्रदान करने हेतु कोई कारण नहीं बनता जबकि पूर्व में इन कॉलेजों को तीन बार अमान्य किया जा चुका है। डॉ. राठौर ने दो टूक कहा कि ऐसी स्थिति में उच्च न्यायालय एव उच्चतम न्यायालय के द्वारा प्रतिपादित न्यायिक सिद्धांतों के विपरीत जाकर संबद्धता दिया जाना अवैधानिक है। उन्होंने कहा कि १६ जनवरी की बैठक में उनके द्वारा असहमति व्यक्त करने के बावजूद बैठक के मिनिट्स में इसका उल्लेख नहीं हैं। उन्होंने कहा उनकी असहमति का उल्लेख करते हुए बैठक के मिनिट्स जारी किए जाए। डॉ. राठौर ने ईसी की स्वच्छ गरिमा बनाए रखने के लिए ईसी मिनिट्स को उसी रूप एवं स्वरूप में जारी करने की बात के साथ यह बात भी कही कि चूंकि निर्णय सामूहिक स्तर पर नहीं है इसलिए इसे कार्यपरिष का निर्णय न कहा जाए। डॉ. राठौर ने ईसी बैठक की वीडियो रिकार्डिंग रिकार्ड हेतु संरक्षित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने दो टूक कहा कि यदि उनकी या अन्य सदस्यों की असहमति बैठक के दौरान ही दर्ज की जाती तो उसमें किसी भी प्रकार की मनमाफिक कांट-छांट की संभावना की गुंजाईश ही नहीं रह जाती।  


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डॉ. स्थापक ने भी दर्ज कराई असहमति..

ईसी सदस्य डॉ. पवन स्थापक ने अपने पत्र डी समूह की कमियों का उल्लेख करते हुए अपनी असहमति दर्ज कराने के संबंध में पत्र एमयू प्रबंधन को प्रेषित किया है। इन कमियों में कई कॉलेजों के समय सीमा में संबद्धता शुल्क जमा न किए जाने कुछ कॉलेजों के ईसी में प्रस्तुत फोटोग्राफ में भी भवन अलग-अलग दिखाई देने अस्पताल में १:३ को रेशियों मैंटेन न होने एलआईसी रिपोर्ट और सिक्योरिटी रिपोर्ट में गड़बड़ी भूमि भवन निर्माण से संबंधित अप्रूव्ड मैप एवं बिल्डिंग कंंप्लीशन सर्टिफिकेट न होने स्टॉफ की सैलरी की बैंक डिटेल्स न होने और स्वयं के अस्पताल के डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ के सैलरी स्टेटमेंट के साथ आधारभूत अधौसंरचना एवं मानव संसाधन की कमियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे रातों रात ठीक नहीं किया जा सकता। इसलिए डी समूह के लिए उनकी असहमति दर्ज की जाए।  


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