Vikas ki kalam

इंटीरियर डेकोरेशन के नाम पर कस्टमर को मिला धोखा "स्ट्रक्चर मेकर्स" कंपनी के खिलाफ पुलिस में हुई शिकायत।


इंटीरियर डेकोरेशन के नाम पर कस्टमर को मिला धोखा
"स्ट्रक्चर मेकर्स" कंपनी के खिलाफ पुलिस में हुई शिकायत




विकास की कलम

अगर आप भी अपने घर में रिनोवेशन या इंटीरियर डेकोरेशन का काम करवाना चाहते हैं। तो आपको भी हर एक कदम फूंक फूंक कर रखना होगा क्योंकि बड़े-बड़े वादे करने वाली इंटीरियर डेकोरेशन कंपनियां शुरुआत में तो बेहद वाजिद दामों पर उच्च स्तरीय काम करने का वादा कर देती है लेकिन एक बार डील डन हो जाने के बाद यह कंपनियां अपने ग्राहकों को इस कदर खून के आंसू रुलाती है की उनके सपनों का आशियाना इंटीरियर डेकोरेशन कंपनी की दया का मोहताज हो जाता है।

कुछ ग्राहकों के अनुभव बताते हैं कि पहले तो यह इंटीरियर डेकोरेटर आपकी हर बात में यहां से हां मिलते हैं लेकिन एक बार काम शुरू हो जाने के बाद यह सिर्फ अपने मन की करते हैं और आपने जो इंटीरियर का सपना सोचा होता है उससे कोसों गुना दूर यह सिर्फ अपने मन और घटिया दामों में पूरा हो सकने वाला इंटीरियर का काम ही करते हैं। इस दौरान यह वादा तो कुछ हफ्तों का कहते हैं लेकिन बाद में आपको कई महीनो तक इंटीरियर के नाम पर परेशान करते रहते हैं ऐसा ही एक मामला जबलपुर में भी घटित हुआ जिसमें पीड़ित परिवार ने बाकायदा लिखित शिकायत करते हुए ऐसे धोखेबाज इंटीरियर डेकोरेटर के खिलाफ जवाबी कदम उठाया है।


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यह है पूरा मामला।

दरअसल जबलपुर के संगम कॉलोनी क्षेत्र में रहने वाले निखिल भट्ट ने राइट टाउन स्थित इंटीरियर डेकोरेशन और निर्माण कार्य करने वाली कंपनी "स्ट्रक्चर मेकर" के खिलाफ पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। निखिल भट्ट ने यह कदम कंपनी द्वारा अनुबंध के हिसाब से कार्य न करने और पैसा वापस मांगने पर अभद्र व्यवहार करने को लेकर उठाया है। निखिल की शिकायत पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

शिकायतकर्ता निखिल भट्ट ने कोतवाली पुलिस में दिए गए लिखित आवेदन में आरोप लगाया है कि "स्ट्रक्चर मेकर" जो अपने आप को इंटीरियर डेकोरेटर और निर्माण कंपनी बताती है से अपने घर के नवीनीकरण कार्य करने की बातचीत की । इसके बाद कंपनी के सेल्स एग्जीक्यूटिव अभिषेक जॉन तथा एक अन्य व्यक्ति घर आए और ये बताया कि ग्यारह हजार रुपया जमा करने पर साइट विजिट और नाप जोख की प्रक्रिया शुरू की जाएगी इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर सिद्धार्थ खरे, अनुराग माहुरकर,और सिमर कालरा उनके घर आए और सिमर कालरा ने बतौर एडवांस पांच लाख रुपए मांगे कंपनी पर भरोसा कर उन्होंने चेक के माध्यम से पांच लाख रुपए अदा कर दिए लेकिन काम शुरू नहीं हुआ बार बार कहने के बाद पांच दिनों बाद काम शुरू किया गया लेकिन काम की गति धीमी थी जिसको लेकर बार बार विवाद की स्थिति बनती थी ।

शिकायत में कहा गया है अनुबंध के हिसाब से पूरे मकान के कार्य के लिए पैंतालीस दिनों का समय दिया गया था लेकिन आधा काम साठ दिनों में पूरा हो पाया और वो भी लगातार मेसेज करने के बाद । जिससे परेशान होकर उन्होंने बाकी का काम न करवाने का फैसला किया। अनुबंध के हिसाब से लगभग सवा तीन लाख का कार्य संपन्न हुआ था जब उन्होंने अपनी बाकी की राशि वापस मांगी तो कंपनी के डायरेक्टरों ने फोन उठाना और मेसेज का उत्तर देना बंद कर दिया और जब उन्हें कानूनी नोटिस दिया तन कंपनी ने उल्टे उनसे ही लगभग दो लाख रुपए मांग लिए और कहा कि लगभग छह लाख का काम हो चुका है इसके अलावा ये भी कह दिया कि उनका कोई अनुबंध नहीं हुआ है जबकि अनुबंध बाकायदा किया गया था जिसके कागजात कोतवाली पुलिस को आवेदन के साथ दिए गए है।

निखिल भट्ट ने अपनी शिकायत में कहा है कि कंपनी के डायरेक्टर सिद्धांत खरे,अनुराग माहुरकर,और सिमर कालरा द्वारा छलपूर्वक उन्हें धन देने के लिए प्रेरित किया गया कंपनी और उनके डायरेक्टरों के आचरण ने उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी दी है शिकायत में 13 मई 2025 को कंपनी द्वारा दिए गए फाइनल कोटेशन, 21मई 2025 को फाइनल कॉन्ट्रेक्ट, के साथ 1 सितंबर 2025 को भेजे गए लीगल नोटिस और 15 सितंबर को लीगल नोटि की रिप्लाई, प्रोफार्मा इनवॉइस, व्हाट्सएप ग्रुप की चैट शिकायत के साथ संलग्न की गई है शिकायत में कोतवाली थाना प्रभारी से आग्रह किया गया है कि भारतीय न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।


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लोगों के विश्वास को छल रहे ऐसे इंटीरियर डेकोरेटर

फेसबुक और इंस्टाग्राम में लुभावने वादों के जरिए महंगे ऐड कैंपेन से तैयार किए गए वीडियो में अपने इंटीरियर डेकोरेशन का हुनर बताने वाले इंटीरियर डेकोरेटर अक्सर आम जनता के साथ लगातार छलावा का खेल खेल रहे हैं एक दो नहीं बल्कि ऐसे कई मामले हैं जहां पर लोग ऐसे इंटीरियर डेकोरेटर से इतने परेशान हो गए कि उन्होंने अपना काम बीच में ही रुकवा दिया। इनके द्वारा काम करने के दौरान कस्टमर को इस हद तक परेशान किया जाता है कि वह चिड़चिड़ा कर बीच में ही काम बंद करवा देता है और फिर यह इंटीरियर डेकोरेटर एडवांस का पैसा खाकर ग्राहक से नमस्ते कर लेते हैं।


अच्छे इंटीरियर डेकोरेटर की छवि हो रही खराब

प्रतिस्पर्धा के इस दौर पर बेहद कम दामों में काम उठा लेने वाले जालसाज इंटीरियर डेकोरेटर यह बखूबी जानते हैं कि इतने कम पैसों में वह काम नहीं कर पाएंगे लिहाजा वे कस्टमर को कई महीनो तक काम के नाम पर टहलाते हैं। क्योंकि इनके द्वारा नियत समय पर एडवांस ले लिया जाता है लिहाजा यह काम करने के लिए वाद्य हो जाते हैं लेकिन यही से शुरू होता है मैनिपुलेशन का खेल यह जानबूझकर थोड़ा सा काम करने के बाद काम की रफ्तार को धीमी या ना के बराबर कर देते हैं बार-बार कस्टमर के द्वारा शिकायत करने पर इनके द्वारा बाद में बहुत ज्यादा रफ्तार बढ़ा कर घटिया क्वालिटी का काम करते हुए या तो काम को निपटा दिया जाता है या फिर यह इतना परेशान कर देते हैं कस्टमर को कि वह खुद ही काम करवाने से मना कर देता है। इस दौरान बाकायदा यह है एडवांस के पैसे को हजम कर जाते हैं और कस्टमर खुद को छला हुआ सा महसूस करता है।


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शिकायतकर्ता ने की लोगों से सावधान रहने की अपील।

शिकायतकर्ता ने विकास की कलम से बातचीत करते हुए बताया कि वह अपने घर को एक शानदार लुक देना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने एक इंटीरियर डेकोरेटर कंपनी का चयन किया। उन्होंने बकायता उच्च गुणवत्ता वाले काम की मांग की और इंटीरियर डेकोरेटर कंपनी को मुंह मांगा पैसा भी दिया। लेकिन उनके साथ जिस तरह की धोखेबाजी हुई इससे वह काफी दुखित हुए हैं। वे अपने माता-पिता को गिफ्ट के तौर पर सपनों का आशियाना देना चाह रहे थे। लेकिन इन धोखेबाजों के चलते उन्होंने अच्छे खासे अपने घर की दुर्दशा करवा ली। शिकायतकर्ता निखिल भट्ट ने आम जनता से भी है अपील की है कि ऐसे धोखेबाजों से वे दूर रहे और किसी भी प्रकार का काम करवाने से पहले इनके साथ बाकायदा लिखित इकरारनामा जरूर करें ताकि आने वाले समय पर उनके साथ विधिक कार्यवाही करते हुए इन्हें सबक सिखाया जा सके।


1 टिप्पणियाँ

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  1. मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
    कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
    रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)

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