रामलला का ध्वज देख, पाकिस्तान को लगी दस्त।
विकास की कलम/(एजेंसी) इस्लामाबाद।
विश्व स्तर पर अपनी किरकिरी करा चुका पाकिस्तान भारत पर छींटे उछा लने से बाज नहीं आ रहा है। हकीकत यह है कि पाकिस्तान अपने देश से ज्यादा हिंदुस्तान की फिक्र करने लगा है। खुद के देश में फैली अराजकता और भुखमरी की परवाह न करते हुए पाकिस्तान भारत देश को नसीहतें बांटने में मशगूल है। देश की जनता का मिजाज इसे लेकर काफी तल्ख है।इस पूरे व्यवहार को लेकर सोशल मीडिया में "पाकिस्तान को दस्त लगने एवं भारत की खुशहाली देख हाजमा खराब" होने जैसे मीम वायरल हो रहे है।
दरअसल उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित राम मंदिर के शिखर पर 25 नवंबर को ध्वजाहोरण हुआ। राम मंदिर पर हुए ध्वजारोहण से जहां राम भक्तों में खुशी देखने को मिल रही है। वहीं, पाकिस्तान को मिर्ची लगी है। उसने ध्वजारोहण समारोह को लेकर भारत की तीखी आलोचना की है और इसे देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक चिंताजनक संकेत बताया है।
बीते रोज मंगलवार को अयोध्या के राम मंदिर में भगवा ध्वज फहराया गया। ठीक उसी दिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर भारत पर अपशब्दों की बौछार कर दी। जिस देश में लोग आटे - बिजली को तरस रहे हैं, बेरोजगारी 40 साल के उच्चतम स्तर पर है, और न्यायाधीश सड़कों पर उतर आए हैं, उसी देश को अचानक राम मंदिर से पेट में मरोड़ उठने लगी।
यही नहीं पाकिस्तान ने ध्वजारोहण समारोह को व्यापक मुद्दों से जोड़ते हुए भारत पर अपने मुस्लिम समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेले जाने का खतरा लगातार बना हुआ है। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि अयोध्या में हुआ यह आयोजन "बहुसंख्यक हिंदुत्व विचारधारा के प्रभाव में मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नष्ट करने का जानबूझकर किया गया प्रयास" था।
पाकिस्तान ने 6 दिसंबर 1992 की बाबरी मस्जिद विध्वंस का पुराना राग अलापा और राम मंदिर को 'हिंदुत्व की जीत' तथा 'अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन' बताया। उसने संयुक्त राष्ट्र से भी हस्तक्षेप की गुहार लगाई। लेकिन दुनिया जानती है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था आईएमएफ की बैसाखी पर खड़ी हो, उसकी बात का अब कोई वजन नहीं रह गया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि भारत भर में कई अन्य ऐतिहासिक मस्जिदें भी अब ध्वस्तीकरण या परिवर्तन के इसी तरह के खतरों का सामना कर रही हैं। अनेक ऐतिहासिक मस्जिदों को अब भी अपवित्र किए जाने या ध्वस्त किए जाने के समान खतरों का सामना करना पड़ रहा है।राम मंदिर पर हुए ध्वजारोहण से डरे हुए पाकिस्तान ने भारत सरकार से आग्रह किया कि मुसलमानों सहित सभी धार्मिक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करके और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के अनुसार उनके पूजा स्थलों की रक्षा करके अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करे।
भारत ने इस बयान को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया । विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संक्षेप में कहा, राम मंदिर भारत का आंतरिक मामला है और यह देश की सर्वोच्च अदालत के 2019 के ऐतिहासिक फैसले के बाद बना है । पाकिस्तान को अपने घर की चिंता करनी चाहिए ।
पाकिस्तान की प्रेस रिलीज में इस्लामो फोबिया और अल्पसंख्यक अधिकार का ढोंग देखकर हंसी आती है। उसी पाकिस्तान में आजादी के वक्त हिंदू-सिख आबादी 23 प्रतिशत थी, आज 2 प्रतिशत से भी कम रह गई है। सिंध और बलोचिस्तान में हिंदू- सिख लड़कियों का अपहरण हिंदू-सिख और जबरन धर्मांतरण रोज की खबर है। वहां मस्जिदों में ही बम फटते हैं, मगर भारत को इबादतगाहों की सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
यह पाकिस्तान का पुराना पैंतरा है। जब भी घर में आग लगती है, कश्मीर या 'इस्लाम खतरे में' कानारा लगाकर ध्यान भटकाया जाता है। अब नया बहाना अयोध्या का मिल गया ।
बीते रोज मंगलवार को अयोध्या के राम मंदिर में भगवा ध्वज फहराया गया। ठीक उसी दिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर भारत पर अपशब्दों की बौछार कर दी। जिस देश में लोग आटे - बिजली को तरस रहे हैं, बेरोजगारी 40 साल के उच्चतम स्तर पर है, और न्यायाधीश सड़कों पर उतर आए हैं, उसी देश को अचानक राम मंदिर से पेट में मरोड़ उठने लगी।
क्या जानबूझकर किया गया प्रयास..या बौखलाहट में फिसली जुबान
यही नहीं पाकिस्तान ने ध्वजारोहण समारोह को व्यापक मुद्दों से जोड़ते हुए भारत पर अपने मुस्लिम समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेले जाने का खतरा लगातार बना हुआ है। पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि अयोध्या में हुआ यह आयोजन "बहुसंख्यक हिंदुत्व विचारधारा के प्रभाव में मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नष्ट करने का जानबूझकर किया गया प्रयास" था।
पाकिस्तान ने 6 दिसंबर 1992 की बाबरी मस्जिद विध्वंस का पुराना राग अलापा और राम मंदिर को 'हिंदुत्व की जीत' तथा 'अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन' बताया। उसने संयुक्त राष्ट्र से भी हस्तक्षेप की गुहार लगाई। लेकिन दुनिया जानती है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था आईएमएफ की बैसाखी पर खड़ी हो, उसकी बात का अब कोई वजन नहीं रह गया है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि भारत भर में कई अन्य ऐतिहासिक मस्जिदें भी अब ध्वस्तीकरण या परिवर्तन के इसी तरह के खतरों का सामना कर रही हैं। अनेक ऐतिहासिक मस्जिदों को अब भी अपवित्र किए जाने या ध्वस्त किए जाने के समान खतरों का सामना करना पड़ रहा है।राम मंदिर पर हुए ध्वजारोहण से डरे हुए पाकिस्तान ने भारत सरकार से आग्रह किया कि मुसलमानों सहित सभी धार्मिक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करके और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के अनुसार उनके पूजा स्थलों की रक्षा करके अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करे।
भारत ने इस बयान को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया । विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संक्षेप में कहा, राम मंदिर भारत का आंतरिक मामला है और यह देश की सर्वोच्च अदालत के 2019 के ऐतिहासिक फैसले के बाद बना है । पाकिस्तान को अपने घर की चिंता करनी चाहिए ।
पाकिस्तान की प्रेस रिलीज में इस्लामो फोबिया और अल्पसंख्यक अधिकार का ढोंग देखकर हंसी आती है। उसी पाकिस्तान में आजादी के वक्त हिंदू-सिख आबादी 23 प्रतिशत थी, आज 2 प्रतिशत से भी कम रह गई है। सिंध और बलोचिस्तान में हिंदू- सिख लड़कियों का अपहरण हिंदू-सिख और जबरन धर्मांतरण रोज की खबर है। वहां मस्जिदों में ही बम फटते हैं, मगर भारत को इबादतगाहों की सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
यह पाकिस्तान का पुराना पैंतरा है। जब भी घर में आग लगती है, कश्मीर या 'इस्लाम खतरे में' कानारा लगाकर ध्यान भटकाया जाता है। अब नया बहाना अयोध्या का मिल गया ।
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