वृंदावन में नहीं हो सकेंगे श्री बांके बिहारी के 'वीआईपी' दर्शन।
विकास की कलम/वृंदावन (एजेंसी)।
देश में इन दोनों धार्मिक स्थान मंदिरों और शक्तिपीठों पर वीआईपी कल्चर मूवमेंट को लेकर आम जनता का रोष खुलकर सामने आ रहा है। लंबे समय से देखा जा रहा है कि लोग मंदिरों में पहुंचकर चंद पैसे खर्च करते हुए विप दर्शन का लाभ लेते हैं और इसके विपरीत घंटे से लाइन में लगे हुए भक्त भगवान के दर्शन से वंचित रह जाते हैं इससे न केवल उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है बल्कि पक्षपात के आप भी खुलकर सामने आते हैं। जिसे लेकर लंबे समय से विप दर्शन का विरोध देश के हर एक मंदिर में किया जाने लगा है इसी तारम्य में वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में भी विप दर्शन पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था की गई है
श्री बांके बिहारी मंदिर की उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति की विज्ञप्ति में बताया गया है कि अब हर व्यक्ति को लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना होगा, जिससे मंदिर प्रशासन पर भेदभाव का आरोप नहीं लगेगा और दर्शनार्थियों में अनावश्यक धक्का- मुक्की भी नहीं होगी। उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर की उच्चाधिकार प्राप्त प्रबंधन समिति ने आज अति विशिष्ट व्यक्ति (वीआईपी) पास तत्काल प्रभाव से बंद करने और दर्शन के लिए सीधा प्रसारण शुरू करने सहित कई बड़े फैसलों की घोषणा की।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित उच्चा - धिकारप्राप्त समिति ने एक बैठक में मंदिर में दर्शन एवं सुरक्षा व्यवस्था में सुधार लाने का एक बड़ा प्रयास किया है।
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जिला सूचना अधिकारी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, मंदिर में पर्ची कटाकर वीआईपी के तौर पर दर्शन करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है और इसके लिए वीआईपी कटघरा भी हटा दिया जाएगा। विज्ञप्ति में बताया गया कि अब हर व्यक्ति को लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना होगा,जिससे मंदिर प्रशासन पर भेदभाव का आरोप नहीं लगेगा और दर्शनार्थियों में अनावश्यक धक्का-मुक्की भी नहीं होगी।
विज्ञप्ति के मुताबिक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अगले तीन दिनों में यह तय कर देंगे कि किस-किस द्वार से प्रवेश होगा और किस-किस द्वार से निकासी की जा सकेगी।
जिला सूचना अधिकारी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, मंदिर में पर्ची कटाकर वीआईपी के तौर पर दर्शन करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है और इसके लिए वीआईपी कटघरा भी हटा दिया जाएगा। विज्ञप्ति में बताया गया कि अब हर व्यक्ति को लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना होगा,जिससे मंदिर प्रशासन पर भेदभाव का आरोप नहीं लगेगा और दर्शनार्थियों में अनावश्यक धक्का-मुक्की भी नहीं होगी।
विज्ञप्ति के मुताबिक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अगले तीन दिनों में यह तय कर देंगे कि किस-किस द्वार से प्रवेश होगा और किस-किस द्वार से निकासी की जा सकेगी।
