क्या मेडिकल अस्पताल में चूहे कर रहे है सर्जरी..
दो मरीज और एक अटेंडर को चूहों ने काटा ।
विकास की कलम/जबलपुर।
अजब एमपी की गजब दास्तान में एक और नया अध्याय जुड़ चुका है इस बार मामला संस्कारधानी के जबलपुर से प्रकाश में आया है जहां पर संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक अजीबो गरीब और चौका देने वाला मामला सामने आया है। जहां रात के 3:00 बजने के बाद सारे मरीज चौकन्ना हो जाते हैं और इंतजार करते हैं एक खौफनाक दरिंदे का..... आलम यह है कि अस्पताल के मानसिक विभाग में इस दरिंदे का ऐसा आतंक है कि कोई भी मरीज या उसका अटेंडर रात को सोने की बजाय पहरा देने लगता है। घबराइए नहीं यह कोई भूत प्रेत या फिर किसी अंधविश्वास का डर नहीं है बल्कि अस्पताल में अपना आतंक मचा रहे चूहों का है।
चौकिए मत... यह बात जितनी हास्यास्पद लगती है उससे कई गुना ज्यादा खतरनाक भी है। अब आप सोच रहे होंगे कि चूहे बेचारे ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे या तो मरीज की दवाई गिरा देंगे या फिर मरीज के कपड़े फाड़ देंगे। लेकिन मामला यहां थोड़ा उल्टा है यहां चूहों को आदम के मांस की ललक लग चुकी है लिहाजा अब वह रात के अंधेरे में मरीजों का शिकार करते हैं। इंसानी चमड़ी का स्वाद चख चुके यह चूहे अब जानबूझकर बड़े चाव के साथ मरीज को काटते हैं और अपनी भूख मिटाते हैं।
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अब आप इस पूरे मामले को लेकर जरूर अपनी चिंता जाहिर करेंगे । लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है बल्कि संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में जिम्मेदारों द्वारा बरती जाने वाली हद दर्जे की लापरवाही की जीती जागती मिसाल यह है कि मरीजों की शिकायत के बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।
यह है मामला..
जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एक अनोखा मामला सामने आया है जहां अस्पताल में भर्ती मरीजों को चूहों ने कुतर दिया। वार्ड में चूहों का आतंक इतना ज्यादा फैल गया है कि उसने दो मरीज और एक अटेंडर को बुरी तरह से काट लिया है। खास बात यह है कि मरीज ने बाकायदा इसकी शिकायत की लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई भी एक्शन नहीं लिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार मेडिकल अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में भर्ती 25 वर्षीय युवती एवं 50 वर्षीय महिला और उसके बेटे के साथ रेट बाइट की घटना हुई है। बताया जा रहा है कि मानसिक रोग विभाग के भवन में रिनोवेशन का कार्य चल रहा है जिसके चलते विभाग का संचालन अस्ति रोग विभाग के भवन में किया जा रहा है। बहरहाल इस विषय पर विभागीय अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। आपको बतादे इंदौर में चूहों के काटने से मौत का मामला भी सामने आ चुका है। ऐसे में जबलपुर मेडिकल कॉलेज की लापरवाही किसी दिन बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण दे सकती है।इनका कहना है
जबलपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुई रजनी बेन ने बताया कि वह सिहोरा से उपचार के लिए जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मानसिक विभाग में एडमिट थी । रात अचानक 3:00 बजे उसके पैरों के पास से एक बड़े मोटे चूहे ने मांस का एक टुकड़ा खींचने का प्रयास किया। जैसे ही उसे काटने का एहसास हुआ वह झपटकर उठी और तब तक चूहा काट कर भाग चुका था। तत्काल ही रजनी ने इसकी शिकायत वार्ड बॉय और रात की ड्यूटी डॉक्टर को दी लेकिन इस विषय को लेकर उन्होंने ऐसा व्यवहार किया मानो यह रोज की बात हो।
इधर नरसिंहपुर से अपनी मां का इलाज करवाने आए जगदीश मेहरा ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि उनकी 50 वर्षीय मां जबलपुर मेडिकल कॉलेज में मानसिक विभाग में भर्ती है वह उनके साथ अटेंडर के रूप में उनके बगल से सो रहे थे तभी अचानक उन्हें और उनकी मां को उनके पैर पर जोरदार काटने का एहसास हुआ जैसे ही उन्होंने उठकर बिस्तर को झटकरा दो मोटे-मोटे चूहे छलांग लगाकर भागते हुए नजर आए।
मीडिया में मामला मचते ही नींद से जागे अधिकारी।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ नवनीत सक्सेना का कहना है कि सोमवार रात को इस विषय की जानकारी मिली है कि मानसिक रोग विभाग में भर्ती कुछ मरीजों के पैरों में चूहों ने काटा है. जिन मरीजों को चूहों ने काटा है उनका इलाज किया जा रहा है. दोनों मरीज पूरी तरह से स्वास्थ्य है, इसलिए उन्हें डिस्चार्ज कर दिया है. घटना जिस मानसिक रोग वार्ड में हुई है. वहां का निरीक्षण अधीक्षक द्वारा किया है. मौके पर पेस्ट कंट्रोल से जुड़ी चीजें जैसे कि केक, गोलियांए प्लेट आदि रखी हुई मिलीं हैं. इसके अलावा भी इंदौर की घटना बाद से लगातार यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि चूहों पर नियंत्रण रहे. पेस्ट कंट्रोल के लिए ठेका कंपनी को भी निर्देश जारी किए हैं।पांच साल से जुदा पति पत्नी को लोक अदालत ने फिर से परिणय सूत्र में बांधकर करवाई वरमाला.. जज साहब ने खुद मिठाई मंगवाकर करवाया दूल्हा दुल्हन का मुंह मीठा। जरूर पढ़ें यह खास ख़बर
चूहों के काटने से क्या होता है..?
रेट बाइट (चूहे का काटना) से मुख्य रूप से रैट बाइट फीवर नामक जीवाणु संक्रमण होता है, जिसके कारण बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. यह संक्रमण दो प्रकार के बैक्टीरिया से होता है: स्ट्रेप्टोबैसिलरी रैट-बाइट फीवर (स्ट्रेप्टोबैसिलस मोनिलिफॉर्मिस) और स्पाइरिलरी रैट-बाइट फीवर (स्पिरिलम माइनस). चूहे के काटने या खरोंच मारने के अलावा, संक्रमित चूहे के मल वाले भोजन खाने से भी यह फैल सकता है. गंभीर मामलों में, यह संक्रमण हृदय, दिमाग या अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है.संक्रमण के कारण
स्ट्रेप्टोबैसिलस मोनिलिफॉर्मिस (Streptobacillus moniliformis): यह सबसे आम प्रकार है, जो काटने के कुछ दिनों बाद लक्षण पैदा करता है.
स्पिरिलम माइनस (Spirillum minus): यह दूसरे प्रकार का बैक्टीरिया है, जो सोडोकू (Sodoku) के नाम से भी जाना जाता है और काटने के 1 से 3 हफ़्ते बाद लक्षण पैदा करता है.
मुख्य लक्षण
स्ट्रेप्टोबैसिलरी आरबीएफ: बुखार और ठंड लगना सिरदर्द और उल्टी मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हाथों और पैरों पर लाल चकत्ते
स्पाइरिलरी आरबीएफ: बार-बार बुखार आना काटने वाली जगह पर अल्सर ,सूजी हुई लिम्फ नोड्स (ग्रंथियां) सूजन और दाने।
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