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लोक अदालत में वरमाला पहनाकर फिर से जन्म जन्म के बंधन में बंध गए पति पत्नी

लोक अदालत में वरमाला पहनाकर, फिर से जन्म जन्म के बंधन में बंध गए पति पत्नी











विकास की कलम/जबलपुर।


जबलपुर जिले में एक बार फिर से लोक अदालत ने अपने कर्तव्य की सार्थकता को प्रमाणित करते हुए। दांपत्य जीवन में आई दरार को भरकर फिर से पति और पत्नी को एकजुट करने का कार्य किया है। लंबे समय से चली आ रही गलतफहमी और एक दूसरे के प्रति पैदा हुई नफरत को सूझबूझ और समझाइश का पाठ पढ़ाते हुए, लोक अदालत ने पति और पत्नी को फिर से विवाह के अटूट बंधन में बंधवा दिया। बीते 5 साल से अलग-अलग रह रहे पति और पत्नी ने न्याय के मंदिर में एकजुट होते हुए फिर से प्रेम संबंधों को प्रगाड़ करने की कसम खा ली है।

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आपको बता दें कि कुछ हालात और परिस्थितियों के चलते पांच वर्ष पूर्व एक दांपत्य जीवन में खटास आ गई थी जिसके परिणाम स्वरुप पति और पत्नी बीते 5 साल से एक दूसरे के साथ नहीं रह रहे थे समय के बीतने के साथ-साथ दोनों के बीच में गलतफहमियां और भी गहरी होती चली गई आलम यह आ गया था कि दोनों एक दूसरे को एक सेकंड के लिए भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।

उपरोक्त मामले में गोंदिया में रहने वाले पति और जबलपुर में रहने वाली उनकी पत्नी आपसी मनमुटाव के चलते 5 सालों से अलग-अलग रह रहे थे।

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इनके साथ रहने का मामला कुटुंब न्यायालय में लंबित था। लेकिन दोनों के बीच में किसी भी प्रकार की सुलह नहीं हो पा रही थी। दांपत्य जीवन में मिठास भरने के उद्देश्य से लोक अदालत ने दोनों पति-पत्नी के बीच फिर से प्रेम संबंधों को स्थापित करने का दायित्व उठाया और 13 सितंबर 2025 को दोनों को एक बार फिर से परिणय के पावन बंधन में बांधते हुए एकजुट कर दिया।


उपरोक्त मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिषेक सोनी एवं डॉली सोनी ने विकास की कलम को जानकारी देते हुए बताया कि तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय मुकेश कुमार दांगी ने दोनों पक्षों को समझाया और साथ रहने कहा। श्री दांगी की समझाइश के बाद दोनों पति-पत्नी ने पुराने गिले शिकवे भुला कर एक होने का फैसला लिया ।

जज साहब के सामने दोनों ने एक दूसरे को माला पहनई और हमेशा साथ रहने का वादा किया। मामले में खास बात यह रही की जज साहब ने स्वयं दोनों को मिठाई खाने कुछ राशि भी प्रदान की।

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लोक अदालत में फिर से एक हुए दंपत्ति का मामला पूरे न्यायालय परिसर में काफी चर्चा का विषय बना रहा बताया जा रहा है कि यह निर्णय सिर्फ पति और पत्नी के बीच मधुर संबंध स्थापित करने वाला नहीं बल्कि दो परिवार और कुटुंब को एक करते हुए सभी सदस्यों के बीच आपसी प्यार और तालमेल को स्थापित करने वाला ऐतिहासिक फैसला था। उपरोक्त मामले को लेकर न्यायालय परिसर में आए अन्य लोगों ने भी पर भी पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं को शुभकामनाएं देते हुए मामले के फैसले की जमकर सराहना की।


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