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हैंडपंप के चक्कर में निपट गए कार्यपालन यंत्री.. जबलपुर ईओडब्ल्यू ने रिश्वत लेते दबोचा..

हैंडपंप के चक्कर में निपट गए कार्यपालन यंत्री..
जबलपुर ईओडब्ल्यू ने रिश्वत लेते दबोचा..



विकास की कलम/जबलपुर

भ्रष्टाचार की दीमक से लबरेज़ विभाग में सेंधमारी करते हुए आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने एक और मौका परस्त अधिकारी को रिश्वत की चाशनी चाटते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। इस दौरान अधिकारी के हर पाप का हिसाब किताब रखने वाले अकाउंटेंट महोदय को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए दबोचा गया है। बताया जा रहा है कि अकाउंटेंट महोदय ही रिश्वत की चाशनी को साहब तक पहुंचाने में सूत्रधार का काम किया करते थे। विभाग के अंदर ईओडब्ल्यू टीम की दविश से पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि कार्यवाही की भनक लगते ही बहुत से बाबू और अधिकारियों ने तत्कालीन ठेकेदारों की मीटिंग को निरस्त कर दिया। उन्हें डर था कि ऐसा ना हो गेहूं के साथ घुन भी पिस जाए।

मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से है जहां पर जबलपुर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की टीम ने बुधवार को पीएचई विभाग में पदस्थ कार्यपालन यंत्री को 24 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। EOW की टीम ने अकाउंटेंट क्लर्क को भी पकड़ा है। कार्यपालन यंत्री ने हैंडपंप मेंटेनेंस का बिल पास करने के लिए ठेकेदार से रिश्वत मांगी थी।


जानिए आखिर क्या है मामला...?

पूरा मामला काम हो जाने के बाद विभाग में चढ़ाए जाने वाली चढ़ोतरी से संबंधित है। दरअसल सिहोरा ब्लॉक में हैंड पंप के मेंटेनेंस के काम को लेकर पीएचई विभाग द्वारा निविदा निकाल कर कार्य आवंटित किए गए थे जिसके तहत दमोह जिले के ठेकेदार रोहित बरौलिया द्वारा सिहोरा ब्लॉक में हैंडपंप मेंटेनेंस का काम लिया था। जिसके तहत उन्होंने ब्लॉक के अंदर कई हैंड पंपों का मेंटेनेंस किया और फिर उसे कार्य को विधिवत संपन्न करने के बाद उसके बिल को लगाने की प्रक्रिया की। बताया जा रहा है कि ठेकेदार द्वारा अपनी तय शुदा शर्तों के हिसाब से समय पर अपना कार्य पूरा किया गया और उसके बाद ठेकेदार के द्वारा जबलपुर के दमोह नाका स्थित मुख्य कार्यालय में 2 लाख 47 हजार रुपए का बिल लगाया गया था।


बाबू बोला.. बिना चढ़ोत्तरी के बिल पास नहीं होगा।

ठेकेदार द्वारा बल लगाने के बाद लगातार उसे काम की गुणवत्ता और दस्तावेजों को लेकर परेशान किया जा रहा था। जब ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता से जुड़े सभी दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए गए तब विभागीय टालमटोल के साथ बिल को पास करने में बेवजह देरी की जाने लगी। इधर समय पर भुगतान न होने से परेशान दमोह निवासी ठेकेदार रोहित बरौलिया ने विभागीय अधिकारियों से बिल को पास करने की गुजारिश की। दफ्तरों के काफी चक्कर लगाने के बाद ठेकेदार को बाबू का इशारा मिला साहब के दरबार में चढ़ोत्तरी चढ़ाने की हिदायत दी गई।


ठेकेदार ने ईओडब्ल्यू में दर्ज कराई शिकायत

भुगतान के लिए लंबे समय से भटका रहे अधिकारियों और बाबुओं से तंग आकर आखिरकार ठेकेदार ने उन्हें सबक सिखाने का फैसला कर लिया। शिकायकर्ता ने अपराध अन्वेषण कार्यालय जाकर जानकारी देते हुए बताया कि उसने सिहोरा ब्लॉक के कई क्षेत्रों में हैंडपंप मेंटेनेंस का काम किया था। उसका बिल जो कि (247000 रुपए ) पास करवाने के लिए कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह और क्लर्क विकास पटेल 24 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे थे। यह काम का 10 प्रतिशत होता है। पीड़ित द्वारा ईओडब्ल्यू कार्यालय में पहुंचकर मामले की लिखित शिकायत दर्ज कराई है।


रंगे हाथों दबोच गए रिश्वतखोर अधिकारी

पीड़ित ठेकेदार रोहित बरोलिया की शिकायत का सत्यापन करने के बाद जबलपुर आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो के एसपी अनिल विश्वकर्मा ने लिखित शिकायत पर बुधवार दोपहर को यह कार्रवाई की है। रोहित को तय शुदा रकम देते हुए ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने उसे दमोह नाका स्थित पीएचई कार्यालय भेजा। रिश्वत की रकम का भुगतान का समय तय करते हुए कार्यपालन यंत्री एवं अकाउंटेंट अपने समय पर पहुंच गए। जैसे ही ठेकेदार द्वारा रिश्वत की रकम देने के बाद इशारा किया गया। बाहर पहले से ही घात लगाए बैठी ईओडब्ल्यू जबलपुर की टीम ने पीएचई कार्यालय में प्रवेश किया और दोनों अधिकारियों को रिश्वत की रकम के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।


बिना "कट" के नहीं होता काम...

इधर रिश्वतखोरी की विभागीय बीमारी से लगातार जूझ रहे ठेकेदारों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर विकास की कलम को जानकारी देते हुए बताया कि यह कोई नया मामला नहीं है बल्कि विभाग में यदि काम करना है तो हर किसी का "कट" उसके पास तक पहुंचाना ही पड़ेगा। अन्यथा बिल पास करना तो दूर की बात है आपको काम ही नहीं मिल पाएगा...

ठेकेदार ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां हर कुर्सी का रेट और परसेंट फिक्स है। यहां बाकायदा कागज की फोटोकॉपी निकालने से लेकर चिड़िया बनाने तक की कीमत फिक्स करके रखी गई है। वही तीज त्योहार पर साहबों को अलग से सेवा सहाय करना पड़ता है। अधिकतर मामलों में यदि ठेकेदार को विभाग में काम करना है तो खामोश ही रहना पड़ता है। क्योंकि पूरा सिस्टम एक दूसरे से गांठ जोड़ करते हुए एक कड़ी का काम करता है जहां यदि बीच में कोई भी लिंक टूट जाए तो आप कुछ भी नहीं कर सकते।


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