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हम बोलेगा..तो बोलोगे की..बोलता है





● मास्साब न सही उनकी फोटो देखकर ही हम एकलव्य बन जाएंगे..
● गरीब का गेंहू सड़ने से शराब ठेकेदारों के चमके चहरे
● मच्छर यूनियन ने आखिर कर ही दिया निगम प्रशासन का धन्यवाद



मच्छर यूनियन ने आखिर कर ही दिया निगम प्रशासन का धन्यवाद

कहने को तो निगम प्रशासन शहर के वार्डों में बेहतर सफाई व्यवस्था के लिए दिन रात प्रयास कर रहा है लेकिन इस अफसर शाही का सर्वाधिक फायदा शहर के मच्छरों को हो रहा है। बजबजाती गंदगी और जगह जगह जाम नालियों ने मच्छरों के लिए एक सर्वसुविधायुक्त आवासीय परिसर बना दिया है। तभी अचानक आए एक फरमान से मच्छर काफी घबरा गए। दरअसल इंसानों की बस्ती में मच्छरों को मारने दवा छिड़काव का काम शुरू हुआ। इससे मच्छरों की प्रजाति में हड़कंप मच गया। उन्होंने सोचा कि अगर ऐसा चलता रहा तो उनका शहर से नामों निशान मिट जाएगा। तभी मच्छर कबीले के एक बुज़ुर्गबान ने युक्ति सुझाते हुए निगम के होनहार अधिकारियों से मुलाकात की। चार दिवारी के अंदर हुई चर्चा में तय हुआ कि क्यों न दवा में मां नर्मदा का पवित्र जल अधिक मात्रा में मिला दिया जाए। जल की पवित्रता से दवा का दुष्परिणाम खत्म हो जाएगा और धुंआ मशीन से निकलने वाला धुआं आम इंसानों को मानसिक संतुष्टि भी दे देगा। मच्छर कबीले के सरदार ने जोर देते हुए यह भी कहा कि इस संधि से न केवल हमारी प्रजाति बचेगी बल्कि आपको भी लाखों का फायदा होगा। आखिरकार यह प्रथा हर साल दोहरानी है और हम ही नहीं रहे तो आपका भी कुछ नहीं होगा। लंबी चली बातचीत के बाद संधि हुई या नहीं हुई। यह बात तो चार-दिवारी के अंदर ही दफन हो गई। लेकिन एक बात तो साफ है कि उसके दूसरे दिन से ही शहर में चारों तरफ दोगुनी रफ्तार से दवा छिड़काव और धुंआ फैलाने वाली मशीन दौड़ने लगी।अब आप पूछेंगे की मच्छरों का क्या हुआ..?? तो इसका जबाब आप मुझसे बेहतर जानते है।
अब आप खुद से पूछिए की मच्छर आबाद हुए या बर्बाद..
मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि..
मच्छर यूनियन ने आखिर कर ही दिया निगम प्रशासन का धन्यवाद


बच्चे बोले ...मास्साब न सही उनकी फोटो देखकर ही हम एकलव्य बन जाएंगे..

सरकारी स्कूलों में वर्षों से चली आ रही परंपरा में कुठाराघात करते हुए एक विभीषण ने अपना मुंह खोल ही दिया। बताया जा रहा है कि मोदी जी तक इस बात की शिकायत हो गई कि सरकारी स्कूलों में पदस्थ मास्साब आते ही नहीं। और कभी कभार जो पढ़ाते है वे स्कूल के मास्साब है ही नहीं। इस बात से नाराज मोदी सरकार ने हर स्कूल के बाहर सभी मास्साब की फोटो लगाने का फरमान जारी कर दिया जिससे हर जनसाधारण को यह पता चले कि उक्त विद्यालय में कितने मास्साब पदस्थ है और उनकी जगह दूसरा कोई ड्यूटी न बजा सके। फरमान आते ही शिक्षा विभाग ने भी आनन फानन में मास्साब की फोटो लगाने की व्यवस्था शुरू कर दी।इधर इस फरमान से सरकारी स्कूल के बच्चे काफी परेशान है वर्षों से एक ही ढर्रे में ढले बच्चे यह सोच सोच कर व्यथित है कि..क्या अब रोज मास्साब को झेलना पड़ेगा। अगर सरकारी स्कूलों में मास्साब रोज आएंगे तो एकलव्य प्रथा का क्या होगा।बच्चों की बेताबी तोड़ते हुए मास्साब बोले जब तक स्वार्थ और भृस्टाचार जिंदा है एकलव्य प्रथा कभी बंद नहीं होगी। कुछ दिन की बात है फिर अच्छे दिन आएंगे..
इधर बच्चे भी मास्साब की बात सुनकर खिलखिलाते हुए बोले..
मास्साब न सही उनकी फोटो देखकर ही हम एकलव्य बन जाएंगे..


गरीब का गेंहू सड़ने से शराब ठेकेदारों के चमके चहरे

गरीब जनता को बांटने के लिए सरकार हर वर्ष गेंहू और धान की खरीदी करती है। इसके लिए बाकायदा किसानों से उचित मूल्य पर अनाज खरीदकर वेयर हाउसों में उनका भंडारण किया जाता है। ताकि जरूरत पड़ने पर हितग्राही तक आसानी से अनाज की आपूर्ति की जा सके। लेकिन इस महत्वकांक्षी योजना के पीछे एक और ही गणित चल रहा है। जहां षड्यंत्र पूर्वक खरीदे गए अनाज को सड़ाने की कवायद जारी है। हालांकि इससे सरकार को गहरी क्षति पहुंचती है।लेकिन सूत्र बताते है कि सड़े हुए अनाज को अच्छी कीमत देकर शराब निर्माता खरीद लेते है।और अपने उत्पादन के कच्चे माल की भरपाई कर लेते है। गेहूं एवं धान खरीदी के मौसम में ही सारा खेल तय कर लिया जाता है। जिसके बाद जानबूझकर वेयर हाउसों और ओपन कैब में करोड़ों का अनाज सड़ा दिया जाता है। चूंकि यह सड़ा अनाज किसी के काम का नहीं होता लिहाजा इसे विनिस्टिकरण के लिए भेजा जाता है जहां से यह नष्ट हुए बिना पिछले दरवाजे से शराब ठेकेदार की फैक्ट्री तक पहुंच जाता है। खेल साफ है अगर गरीब का अनाज सड़ेगा नहीं तो अमीर शराब का शौख कैसे फरमाएगा..
आलम यह है कि चंद सिक्कों की खनक से अधिकारी हो गए बहरे..
गरीब का गेंहू सड़ने से शराब ठेकेदारों के चमके चहरे

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