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आगामी विधान सभा चुनावों का लिटमस टेस्ट होगा नगरीय निकाय चुनाव-कमलनाथ

आगामी विधान सभा चुनावों का लिटमस टेस्ट होगा नगरीय निकाय चुनाव-कमलनाथ




चैतन्य भट्ट

जबलपुर ।कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साफ कर दिया है कि नगरीय निकायों के चुनाव आगामी वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव का लिटमस टेस्ट है इसमें कांग्रेसी विधायकों और वरिष्ठ पदाधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने अपने इलाके के महापौर और पार्षदों को जिता कर लाए अन्यथा उनके भविष्य के बारे में  विचार करना पड़ेगा इस फरमान के बाद कांग्रेस के विधायक और पदाधिकारियों में हड़कंप की स्थिति है कि यदि उनके विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर पाए तो उनका भी राजनीतिक भविष्य झमेले में पड़ सकता है।

कमलनाथ की चेतावनी

कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने निकाय के  जिला और संभाग प्रभारियों की बैठक में स्पष्ट तौर पर यह चेतावनी दी है कि वर्तमान में हो रहे निकाय चुनाव विधानसभा का सेमीफाइनल है इस चुनाव से पदाधिकारियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा इसलिए जरूरी है कि पदाधिकारी और विधायकअपनी पूरी ताकत के साथ अपने अपने इलाके के नगरीय निकायों के प्रत्याशियों को जिताने में जुट जाएं क्योंकि इस आधार पर उनका भविष्य तय होगा ।

टिकिट वितरण में रहा विधायकों का हस्तक्षेप

उल्लेखनीय है कि नगर निगम के चुनाव में पार्षदों के टिकट वितरण में स्थानीय विधायकों का हस्तक्षेप रहा है उनकी अनुशंसा पर ही टिकटें बांटी गई हैं ये बात अलग है कि इसको लेकर चल विद्रोह भी शुरू हो गया है चूंकि अधिकतर टिकटों का वितरण क्षेत्रीय विधायकों की मर्जी से हुआ है ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि यदि आपने अपने किसी समर्थक को टिकट दिलवाई है तो उस को जिताने की जिम्मेदारी भी आपकी ही होगी इस चेतावनी के बाद विधायक कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी जिला और संभागीय प्रभारी उन तमाम असंतुष्ट को मनाने में लग गए हैं जो सार्वजनिक रूप से अपना असंतोष व्यक्त कर निर्दलीय लड़ने की घोषणा कर रहे हैं।

कांग्रेस को है जीत की उम्मीद

बताया जाता है कि कांग्रेस ने अपने सर्वे के आधार पर नगरीय निकाय के  उम्मीदवारों का चयन किया था और उस में क्षेत्रीय विधायक की अनुशंसा की  महत्वपूर्ण भूमिका रही, कमलनाथ का मानना है की ढाई वर्षों बाद होने वाले चुनाव में कांग्रेस को जीत इसलिए जीत हासिल हो सकती है क्योंकि  इन ढाई सालों में नगरीय निकायों में नौकरशाही का राज रहा जो अपने हिसाब से उसे चलाते रहे जिससे लोगों की परेशानियां हल नहीं हो पाई । कमलनाथ ने स्पष्ट किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव जो 2023 में होने वाले हैं उसके लिए नगरीय निकाय चुनाव इस बात का सबूत होंगे कि मध्य प्रदेश की जनता किस  दल के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करती है वैसे कांग्रेस को यह उम्मीद भी है चूंकि ये चुनाव  स्थानीय स्तर के मुद्दों पर होते हैं इसलिए इस पर मोदी लहर का कोई  प्रभाव नहीं पड़ेगा दूसरी तरफ अधिकतर युवाओं को टिकट देकर कांग्रेस ने ये संदेश देने की भी कोशिश की है  कि वह युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है जबलपुर में भी महापौर के लिए जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं उसमें कांग्रेस ने एक युवा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा है  वहीं भारतीय जनता पार्टी ने एक वरिष्ठ नेता को अपना उम्मीदवार बनाया है कांग्रेस को लगता है कि युवा महापौर नई ऊर्जा, नई सोच ,और नए विचार के साथ शहर विकास की संकल्पना कर सकता है यही कारण है की दो बार के पार्षद रहे जगत बहादुर सिंह को महापौर प्रत्याशी बनाया गया है जिन्हें नगर निगम की कार्यप्रणाली का काफी  अध्ययन भी है।

रणनीति शुरू कर दी है

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के इस बयान के बाद कि यह चुनाव विधायकों और पदाधिकारियों का रिपोर्ट कार्ड बनकर सामने आएगा इसको लेकर विधायक और पदाधिकारी लगातार बैठकें कर अपनी  रणनीति तैयार कर रहे हैं इसके साथ साथ जो असंतोष पार्टी के अन्य नेताओं में व्याप्त हुआ है उसको भी हर संभव प्रयास कर खत्म करने की भी कोशिश में जुटे हुए हैं क्योंकि यह चुनाव उनके आगामी राजनीति के भविष्य का निर्धारण करेगा वैसे   किसी भी चुनाव में उम्मीदवारों की कमी नहीं होती है चूंकि कांग्रेस एक बहुत बड़ा  राजनीतिक दल है इसलिए यहां भी पार्षद से लेकर विधायक और सांसद के लिए उम्मीदवारों की लंबी लाइन लगी रहती है ऐसे में कोई भी या नहीं चाहता उसका रिपोर्ट कार्ड खराब हो  और वह आगामी विधानसभा चुनाव में विधायक की दौड़ से बाहर हो जाए ।

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