Vikas ki kalam

सच्ची सेवा की मिसाल बना "आरबीएसके कार्यालय" नवजात की जान बचाने छुट्टी के दिन भी खुला कार्यालय।

 सच्ची सेवा की मिसाल बना "आरबीएसके कार्यालय"
नवजात की जान बचाने छुट्टी के दिन भी खुला कार्यालय।



विकास की कलम।

जबलपुर के जिला अस्पताल विक्टोरिया में संचालित आरबीएसके कार्यालय को एक बार फिर से गुरुनानक जयंती याने छुट्टी वाले दिन खोला गया। जहां व्यवस्थित ढंग से पूरा स्टाफ छुट्टी वाले दिन भी उपस्थित हुआ। और विभागीय कार्यवाही को पूर्ण किया गया।

छुट्टी वाले दिन भी आरबीएस के कार्यालय के खोले जाने को लेकर जिला अस्पताल परिसर में किसी बड़े वीआईपी मूवमेंट की आशंका जताई जा रही थी। लिहाजा मेन गेट से लेकर आरबीएसके कार्यालय तक छुट्टी वाले दिन भी काफी चहल-पहल देखी गई। 

गुरु नानक जयंती पर एक और जहां पूरा शहर सेवा पर्व के रूप में प्रकाश उत्सव मना रहा था। वहीं जिला अस्पताल में संचालित आरबीएसके कार्यालय में विशेष सेवा अभियान के तहत एक नवजात बच्ची की दिल की धड़कन दुरुस्त करने विभागीय कार्यवाही की जा रही थी।

दरअसल जबलपुर की सिहोरा तहसील में रहने वाले सतेंद्र दहिया एवं शशि दहिया के घर में एक दिन पहले ही बच्ची ने जन्म लेकर पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया था। लेकिन जैसे ही नवजात बच्ची की अन्य मेडिकल जांच पूरी की गई तो पता चला कि नव जात बच्ची के दिल में छेद है जिससे उसके जीवन में बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है। 


जैसे ही सिहोरा निवासी दहिया दंपति को इस गंभीर हृदय रोग के विषय में जानकारी मिली बच्ची के बेहतर एवं उच्च उपचार के लिए दहिया परिवार द्वारा बच्ची को जबलपुर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया जहां पर बच्ची का प्राथमिक रूप से उपचार करते हुए उसे गहन चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया। 

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जबलपुर अस्पताल में बच्ची के उपचार के दौरान चिकित्सकों ने बच्ची को उच्च एवं सफल उपचार के लिए मुंबई के नारायणा हृदयालय ले जाने की सलाह दी । चूंकि बच्ची को बेहद ही कम समय के अंतराल में वायु मार्ग द्वारा मुंबई के नारायणा अस्पताल पहुंचाना था। ताकि बिना किसी देरी के बच्ची के हृदय का सफल उपचार हो सके। लिहाजा परिजनों को बच्ची को लेकर तत्काल ही विशेष हवाई जहाज के मध्यम से मुंबई के नारायणा हृदयालय पहुंचाना बेहद जरूरी हो गया था।

इस मेडिकल इमरजेंसी को लेकर पहले से ही परिजन काफी परेशान थे। और इसके साथ गुरु नानक जयंती पर विभागीय अवकाश परिजनों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बन चुका था। जब दहिया परिवार चारों तरफ से उम्मीद के सारे आश्रय छोड़ चुका था तभी अचानक दहिया परिवार को भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना के विषय में जानकारी प्राप्त हुई। जहां 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की जन्मजात विकृतियों के सफल उपचार पूर्णता निशुल्क रूप से किए जाते हैं। 

पहले भी छुट्टी वाले दिन खुल चुका है आरबीएसके कार्यालय 15 दिन की बच्ची की बचाई थी जान

दहिया परिवार ने तत्काल ही जबलपुर के जिला अस्पताल विक्टोरिया में संचालित आरबीएस के कार्यालय के प्रबंधक से फोन में संपर्क करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य की संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई जिस पर आरबीएसके प्रबंधक सुभाष शुक्ला ने क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर डॉ संजय मिश्रा को विषय की गंभीरता से अवगत कराया। साथ ही आरबीएसके प्रबंधक सुभाष शुक्ला ने आनन फानन में सरकारी कार्यालय को खुलवा कर विभागीय दस्तावेज की कार्यवाही पूर्ण करवाने का निर्देश दिया ।

एक घंटे के अंदर दस्तावेज हुए दुरुस्त।

आरबीएसके प्रबंधक सुभाष शुक्ला और उनकी टीम के सामूहिक प्रयास का ही यह नतीजा है की छुट्टी वाले दिन भी महज 1 घंटे के अंदर गंभीर हृदय रोग से ग्रसित 2 दिन की बच्ची को वायु मार्ग से मुंबई रवाना किए जाने और उसके हृदय विकृति का संपूर्ण उपचार करवाने से संबंधित समस्त दस्तावेज तैयार करवा दिए गए। 


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इधर क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर डॉ संजय मिश्रा ने नवजात बच्ची के उपचार से संबंधित विभागीय दस्तावेजों को दुरुस्त करवाते हुए । बच्ची के परिजनों को उपचार का अनुमति पत्र प्रदान किया। इस दौरान पीड़ित नवजात बच्ची के उपचार की विभागीय राह आसान करने के पीछे जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विनीता उप्पल , डॉ. एस.एस. दहिया,श्रीया अवस्थी,रोहित श्रीवास्तव,अमित बेन तथा अन्य आरबीएसके टीम सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।


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