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सुनो अभी नहीं..जुलाई से एक्टिव होना.. अभी कलेक्टर साहब " फॉर्म पे" है....

 सुनो अभी नहीं..जुलाई से एक्टिव होना..
अभी कलेक्टर साहब " फॉर्म पे" है....



विकास की कलम/जबलपुर 


सुनो अभी नहीं..जुलाई से एक्टिव होना..
अभी कलेक्टर साहब " फॉर्म पे" है....

उक्त संवाद एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल ने काफी तीखे स्वर के साथ अपने स्कूल के स्टाफ को संबोधित करते हुए दिया।बात भले ही बच्चों के भविष्य को लेकर जुड़ी हुई हो लेकिन इसके पीछे एक बार फिर से बड़ी गहरी साजिश की बू आ रही है।



नया सत्र आ चुका है और हर साल की तरह इस साल भी स्कूलों में कमाई की लगन हाई जोरों पर है नर्सरी से लेकर 12वीं तक कोई भी ऐसी क्लास नहीं जहां खुलेआम लूट का खेल ना खेला जा रहा हो। हर साल की तरह इस साल भी शिक्षण संस्थानों के नए स्टाफ को सख्त हिदायत दी गई थी कि सारी वसूली अप्रैल से मई माह के बीच में ही कर ली जाए..
लेकिन अचानक आए भूचाल ने सारे समीकरण ही फेल कर दिए।

दरअसल जबलपुर के ऊर्जावान कलेक्टर दीपक सक्सेना ने इस बार स्कूल माफियाओं की कमर तोड़ के रख दी है। कलेक्टर साहब ने नए शिक्षण सत्र की शुरुवात पर ही ऐसी नखेल कसी की सारे शिक्षण संस्थान सकते में आ गए।


निजी स्कूलों का सिंडिकेट लड़खड़ाया..

बीते कुछ वर्षों में एक नए ही तरह के सिंडीकेट का खुलासा हुआ है जहां शिक्षा के मंदिर से अभिभावकों पर घात लगाए बैठे यह शातिर ठग भावनात्मक कटार लेकर पग पग पर लोगों का गला रेतते दिखाई दे रहे। अगर आप सोच रहे हैं कि आपने अपने बच्चे का एक निजी स्कूल में एडमिशन करा कर गंगा नहा ली है तो आप गलत हैं क्योंकि यहीं से शुरू होता है स्कूली सिंडिकेट का मकड़जाल। एडमिशन की भारी-भरकम फीस चुका देने के बाद भी स्कूल संचालक द्वारा लूट का सिलसिला जारी रहता है। नए सत्र की शुरुआत के साथ ही स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चे की कक्षा से संबंधित पढ़ाई की पुस्तकों की सूची थमा दी जाती है और उसके साथ ही यूनिफार्म समेत तमाम चीजों की लिस्ट भी पलकों को दी जाती है और उनसे कहा जाता है कि एक स्थान विशेष पर पाई जाने वाली दुकान पर ही यह सब कुछ मिल सकता है। जब बच्चों के पालक स्कूल द्वारा बताए गए ठिकाने पर सामान लेने पहुंचते हैं तो वहां पर पहले से तैयार दुकानदार मीठी कटार लेकर अभिभावक को हलाल करने की पूरी तैयारी कर चुका होता है। इस बात से अनजान अविभावक जब दुकान पर जाते हैं और दुकानदार से कहते हैं कि हमें इसमें से कुछ किताबें दे दो तो वह पूरा सेट देने की ही बाध्यता रखता है। इस पूरी सामग्री में कई ऐसी चीजें भी रहती है जो अनुपयोगी रहती हैं जैसे डिक्शनरी, एटलस, ड्राइंग बुक, वाटर कलर्स आदि जो जबरन दी जाती हैं यानि पहले से स्कूल की फीस के बोझ से दबा पालक बच्चे के भविष्य के लिए लुटने को मजबूर हो जाता है।
लेकिन कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सालों से जमी दीमक पर ऐसा पेस्ट कंट्रोल किया की एक ही झटके में सालों से जमा सिंडिकेट, लड़खड़ा गया।


मंगल की बैठक में हुआ अविभावकों का मंगल..

कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में मंगलवार को स्कूलों में अनाधिकृत फीस वृद्धि के संबंध में बैठक आयोजित की गई। जिसमें उन्होंने कहा की मनमानी तरीके से की गई फीस वृद्धि की जांच की जाए। जांच के दौरान 5 साल पहले की फीस और वर्तमान की फीस को देखें, फीस वृद्धि किस आधार पर की गई है, यह न्यायोचित है या नही देखे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जांच में यह भी देखें कि क्या अतिरिक्त फीस तो नहीं लिया जा रहा है। जिन स्कूलों को कारण बताओं नोटिस दिया गया था, उनके जवाब यदि नहीं आए हैं, तो संबंधित स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध अनुशानात्मक कार्रवाई की जाए ।कलेक्टर श्री सक्सेना ने कहा कि अगले मंगलवार को सेंट एलॉयसिस और स्टेमफील्ड स्कूल की सभी शाखाओं की खुली सुनवाई की शाम 5 बजे की जाएगी। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि उक्त स्कूलों से संबंधित शिकायत कलेक्टर या अपर कलेक्टर को उपलब्ध कराएं,जिस आधार पर उनकी सुनवाई की जा सके।साथ ही कहा कि हो सके तो अभिभावक स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकते है।उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अनाधिकृत रूप से यदि फीस वृद्धि हुई है, तो संबंधित स्कूल पर फाइन कर फीस वापस कराया जाए और गड़बड़ी करने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई करें।

इन स्कूलों पर जायेगी जांच टीम

कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 10 स्कूलों में फीस वृद्धि के संबंध जांच टीम भेजी है, जिसमें सेंट एलॉयसिस स्कूल पनागर,सेंट एलॉयसिस स्कूल पॉलीपाथर, स्टेमफील्ड स्कूल विजयनगर, ज्ञानगंगा आर्किड इंटरनेशनल स्कूल, अजय सत्य प्रकाश स्कूल महाराजपुर, माउंट लिटरा स्कूल,चैतन्य टेक्नो स्कूल धनवंतरी नगर, रियान स्कूल, पोद्दार इंटरनेशनल स्कूल और आदित्य कान्वेंट स्कूल गोपालबाग शामिल है।


थम गई लूट की लहर..जुलाई में हो सकती है लुटाई..

कलेक्टर साहब के ताबड़तोड़ अंदाज को देखते हुए परेशानी से बचने के लिए स्कूल प्रबंधन ने अपनी लूट के समय में फेरबदल कर लिया है। पहले आलम यह था कि छोटी क्लास को टारगेट करते हुए रिजल्ट के बाद से ही प्रेशर बनाने की कहानी शुरू कर दी जाती है। अप्रैल में लगाई जाने वाली क्लासेस की आड़ में पहले ही किताबों के सेट से लेकर अन्य सामग्री खरीदने का दबाब बनाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज दिनांक तक तो 60 से 70 फीसदी अविभावक इसका शिकार बन भी चुके है। लेकिन लगातार आ रही शिकायत के मध्य नजर कलेक्टर साहब ने शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए जांच टीम बनाकर स्कूलों तक पहुंचाने का फरमान जारी किया है।

इस दीपक ने दूर किया..अविभावकों का अंधियारा...

वर्तमान में शहर का शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां कलेक्टर दीपक सक्सेना के चर्च ना हो रहे हैं दरअसल हकीकत यह है कि हर मध्य वर्गी परिवार अप्रैल आते ही सहन जाता था उसे पता था की अप्रैल माह में ही स्कूल माफिया खुली लूट करते हुए उसके परिवार का पूरा बजट बिगाड़ देंगे वही कई बार आंदोलन करने के बाद अभिभावकों को यह बात भी अच्छे से समझ आ गई थी कि इन स्कूल माफियाओं के संबंध इतने ऊपर तक है कि ना तो इनकी कोई शिकायत होगी और ना ही उन पर कोई कार्यवाही शहर में कई कलेक्टर आए और गए लेकिन किसी ने भी अभिभावकों के साथ हो रहे इस अत्याचार को मिटाने की जहमत नहीं उठाई लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग है दरअसल जनता का कहना है कि वर्तमान के कलेक्टर दीपक सक्सेना सिर्फ नाम के ही नहीं बल्कि काम के भी दीपक हैं जिन्होंने मध्यमवर्गी परिवार के अभिभावकों का अंधेरा दूर करके उन्हें नई राह दिखा कर राहत पहुंचाने का काम किया है।

जागरण की जोत - जलाए राखियो साहब


कलेक्टर दीपक सक्सेना के इस एक्शन से एक ओर जहां बड़े बड़े सेटिंग बाजों के खेमे में हलचल मची हुई है,वहीं आम आदमी के घर पर भरी गर्मी में राहत की बौछार बरसती नजर आ रही है। इस बार उन्होंने अपने बचे बजट से बच्चे को बेहतर भविष्य दिलाने के सपने संजोए है। उन्हें पूरा यकीन है की इस बार कलेक्टर साहब न केवल उन्हें लूट से बचाएंगे बल्कि आने वालों कलेक्टरों के लिए एक बड़ी नजीर भी छोड़ जाएंगे।
लेकिन रह रह कर उन्हें सरकारी सिस्टम के दंश का भी डर बना हुआ है। उन्हें पता है कि यह लूट का खेल काफी बड़े लोगों की छत्रछाया में खेला जाता है यही कारण है कि सब कुछ जानने के बावजूद भी आज तक इन पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाया ऐसे में आम जनता को यह डर भी सता रहा है कि उन्हें मिली हुई रहता क्षणिक ना साबित हो जाए लिहाजा आमजन ने कलेक्टर साहब से अपील की है कि इस मुहिम को लगातार जारी रखा जाए ताकि कमजोर वर्ग से जुड़ा हुआ परिवार का बच्चा भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में सफल हो सके और उसके अभिभावक बिना किसी कर्ज के बोझ के तले बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करता हुआ देख सके।





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