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पाकिस्तान की उड़ी नींद, क्योंकि अब शर्तों के साथ देगा साऊदी अरब लोन..

 

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नई दिल्ली । 

सऊदी अरब आर्थिक बदहाली से जूझते पाकिस्तान के लिए अरबों डॉलर लोन और निवेश की घोषणा कर चुका है। पाकिस्तान के लिए यह राहत की खबर रही है लेकिन अब दिन बदलने वाले हैं। सऊदी अरब ने कहा है कि वो दिन अब गए जब वो देशों को बिना किसी शर्त के आर्थिक मदद देता था। अब वो किसी भी देश को बिना शर्त लोन नहीं देगा और न ही देशों के बैंकों में अपने पैसे बिना शर्त जमा करेगा। इस खबर से पाकिस्तान की नींद उड़ने वाली है क्योंकि उसके मददगार देशों में सऊदी अरब एक प्रमुख देश है। सऊदी के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जादान ने स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बुधवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सऊदी यह कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि हम विकास के लिए देशों को सहायता देने के अपने तरीके को बदल रहे हैं। हम बिना किसी शर्त के सीधे लोन और जमा राशि देते थे लेकिन अब हम इसे बदल रहे हैं। हम बहुपक्षीय संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि हम यह कह सकें कि हमें अपने आर्थिक मदद देने के तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है। अल-जादान ने आगे कहा कि हम अपने क्षेत्र को भी देख रहे हैं और हम इस क्षेत्र के लिए एक रोल मॉडल बनना चाहते हैं। हम आर्थिक सुधार करने के लिए हमारे आसपास के कई देशों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब लंबे समय से खाड़ी की डूबती अर्थव्यवस्थाओं को बचाने का काम करता आया है। वह जरूरतमंद देशों को अरबों डॉलर का कर्ज और उनके बैंकों में डॉलर जमा करता है लेकिन सऊदी अरब के राजस्व में पिछले साल गिरावट देखी गई जिसके बाद सरकार को कर्ज देने की अपनी स्थिति में सुधार की आवश्यक्ता पड़ी है। सऊदी अरब सालों तक मिस्र का सबसे बड़ा आर्थिक मददगार रहा है और पांच सालों पहले इसने बहरीन को भी आर्थिक संकट से निकाला था। अब सऊदी अरब पाकिस्तान की मदद के लिए अरबों डॉलर दे रहा है। उसने हाल ही में घोषणा की है कि वो पाकिस्तान में अपना निवेश बढ़ाकर 10 अरब डॉलर करने वाला है।

मिस्र और बहरीन की भी सऊदी अरब ने की आर्थिक मदद

सऊदी अरब का विकास कोष क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आदेश पर पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में सऊदी की जमा रकम को पांच अरब डॉलर तक करने के लिए स्टडी कर रहा है लेकिन अब सऊदी पर निर्भर पाकिस्तान जैसे देशों के लिए मुश्किल होने वाली है क्योंकि उन्हें डॉलर के बदले सऊदी की शर्तें माननी होंगी। सऊदी अरब ने मिस्र की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए उसे अरबों डॉलर का कर्ज दिया था लेकिन बाद में वो कर्ज नहीं चुका पाया जिसके बाद सऊदी ने उसकी चार कंपनियों में सरकार के स्वामित्व वाले हिस्से का अधिग्रहण कर लिया। सऊदी ने वहां अपनी कंपनियां भी खोली हैं। अब वो मिस्र को केवल निवेश के जरिए मदद कर रहा है। 



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