जबलपुर ।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन में घोटाले के आरोप वाली एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेन्द्रर सिंह की युगलपीठ ने आगामी ६ फरवरी तक राज्य सरकार से जवाब मांगते हुये पूछा है कि भ्रष्टाचार के संबंध में शासन स्तर पर क्या कार्यवाही की गई।
यह याचिका भोपाल निवासी भूपेन्द्र प्रजापति की ओर से दायर की गई है। सुनवाई के दौरान दलीले देते हुये अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर विनायक शाह ने न्यायालय को बताया कि मिशन का मुख्य उद्देश्य देश एवं सभी प्रदेशो मे गरीबी दूर करना है इस योजना का विस्तार मध्य प्रदेश सहित देश के सभी राज्यों मे २००१ से विस्तार है ! तथा मध्य प्रदेश मे इसे २०१५ मे ग्रामीण आजीविका मिशन के नाम से जाना जाता है ! उक्त मिशन प्रमुख की नियुक्ति सीनियर आईएएस की किए जाने का प्रावधान है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने नियम विरुद्ध एक रिटायर्ड हुए ललित मोहन बेलवाल को संविदा आधार नियुक्ति की गई है तथा बेलबाल द्वारा अपनी एक चहेती महिला कर्मचारी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियम विरुद्ध राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट मैनिजर के पद पर नियक्ति करवाई गई ! प्रदेश मे कुल तीन लाख पचास हजार से ज्यादा समूह है प्रत्येक समूह मे काम से कम १० तथा अधिकतम २० सदस्य होते है इस प्रकार मध्य प्रदेश मे लगभग ४५ से ५० लाख महिलाए आजीविका मिशन से स्वसहायता समूहों के माध्यम से जुडी हुई है! यहाँ से होता है घोटालो का सिलसिला आरम्भ होता है। जिसे उन्होने अनुचित बताते हुये न्यायालय से उचित राहत दिये जाने की प्रार्थना की।