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साल का आखिरी पन्ना - साहबों का रमन्ना जानिए किन सुर्खियों से सराबोर रहा यह साल

साल का आखिरी पन्ना - साहबों का रमन्ना..

जानिए किन सुर्खियों से सराबोर रहा यह साल..



जबलपुर

आज 2022 का आखिरी दिन है यह बताता है कि परिवर्तन ही प्रकृति का अटल सत्य है। लेकिन हर बीतने वाले साल की तरह यह साल भी कई मीठी और तीखी यादें देते हुए जा रहा है। कोरोना के प्रकोप से उबरते ही भृस्टाचारियों ने इस साल को काफी अच्छे तरीके से भुनाया। वहीं चोरों और बदमाशों ने कोरोना काल के दौरान वर्क फ्रॉम होम का उचित इस्तेमाल करते हुए यूट्यूब से अपराधों के जो नए पैंतरे सीखे थे। उससे 2022 में कई कारनामे किए। राजनीति की दृष्टि से भी यह साल शहर के लिए बड़ा बदलाव लेकर आया।इसी साल भृष्ट अधिकारियों के कई बड़े खुलासे भी सामने आए। वहीं पुलिस विभाग की मुस्तेदी के चलते कई बड़े कांडों का खुलासा भी हुआ। कुल मिलाकर योजनाओं की भेलपुरी में प्रशासनिक तड़का लगाते हुए कुछ जिम्मेदारों ने अपने पद की गरिमा बढ़ाई तो कुछ मलाई चाटने के चक्कर में जमकर बदनाम भी हुए।साल का यह आखिरी पन्ना कुछ ऐसे ही दिलचस्प किस्सों के साथ साहबों का रमन्ना आपके सामने लाया है।


ATM कैश-वैन लूट

साल की शुरुआत का श्रीगणेश करते हुए दो सगे भाइयों ने 32 लाख की लूट कर यूट्यूब यूनिवर्सिटी का नाम रोशन कर दिया। लंबे समय से तंगी की मार झेल रहे दो सगे भाइयों ने 11 फरवरी को तिलहरी स्थित महाराष्ट्र बैंक के एटीएम में कैश डालने पहुंचे कैश वैन के गार्ड राजबहादुर और मैनजर पर फायरिंग करते हुए रुपयों से भरा बैग लूटा और फरार हो गए। लूट की वारदात में आरोपियों को रोकने के दौरान एटीएम गार्ड को गोली लगी थी। इससे उसकी मौत हो गई थी। हालांकि इन शातिरों को दबोचने के चलते पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी।लेकिन आखिरकार करीब डेढ़ लाख मोबाइल नंबर तथा जबलपुर से लेकर वाराणसी तक दो हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों को खंगालते हुए पुलिस ने आरोपियों को दबोच ही लिया।


वनवास के बाद कांग्रेस की ताजपोशी 



2022 का जुलाई के महीना कांग्रेस पार्टी के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया।करीब 18 साल बाद जबलपुर नगर निगम में कांग्रेस पार्टी ने नगर सत्ता पर अपना मालिकाना हक साबित किया। वहीं कांग्रेस के जगत बहादुर सिंह अन्नू ने बीजेपी के मजबूत किले को धवस्त करते हुए महापौर की कुर्सी पर फतेह हांसिल की। हालांकि यह कांग्रेस की पूरी जीत नहीं थी बल्कि पार्षदों के अनुपात में नजर डाली जाए तो इस बार भी भाजपा मजबूती थामें हुए थी। फिर भी महापौर की कुर्सी में करारी हार से खिसियाए भाजपाइयों ने ताजपोशी की फिजा बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शपथ ग्रहण समारोह में ही शहर की जनता को आगे होने वाली खींचतान का अंदाजा हो गया था जो साल के अंत तक बखूबी देखा गया।


धू-धू कर जल उठा भृस्टाचारियों का लाक्षागृह



साल का अगस्त का महीना शहर के लिए काफी दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ। कोरोना काल में किए गए काले कारनामों के फलस्वरूप तैयार अस्पताल नुमा लाक्षागृह सांच की आंच में भस्म हो गया। दरअसल  न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में 1 अगस्त की दोपहर अचानक भड़की आग ने पूरे शहर को दहशत में डूबा दिया। इस हादसे में मरीज व स्टाफ के 8 लोगों की जिंदा जल जाने से मौत हो गई। वहीं दर्जन भर लोग इससे झुलस गए थे।जांच के लिए शासन द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ । जिसके आधार पर सीएमएचओ पद से हटाए गए डा. रत्नेश कुरारिया के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर विभागीय जांच शुरू की गई। जांच में खुलकर सामने आए तथ्यों के अनुसार विभाग में बैठे भृष्ट अधिकारियों ने बिना जांच परख किए गली गली अस्पताल खुलवा दिए थे। वहीं कमीशन की मोटी रकम खाने के चलते किसी ने भी सुरक्षा साधनों पर ध्यान नहीं दिया।हालांकि कार्यवाही के चलते शहर भर के अस्पतालों में गाज गिरी। जिसके चलते साल के अंत तक अस्पताल संचालक कागजों को पूरा करने की कवायद में जुटे नज़र आए।


लॉक डाउन का घाटा चुकाने तोड़ दिए पायलवाला के 10 ताले



जबलपुर के एक होनहार मगर शातिर वाहन विक्रेता पर कोरोना लॉक डाउन की कुछ ऐसी मार पड़ी की उस पर लाखों का कर्ज चढ़ गया।और कर्ज का बोझ उतारने उसने शहर की सबसे बड़ी चोरी को अंजाम दे दिया। 14 अगस्त की देर रात जबलपुर के लार्डगंज थाना क्षेत्र के पायलवाला गोल्ड शोरूम में 3के के बाद एक 10 ताले तोड़ते हुए आरोपी ने  5 करोड़ से अधिक की चोरी को अंजाम दे दिया।इस महाचोरी में लिप्त 3 लोगों ने जाते जाते सीसीटीवी डिकोडर को भी चुरा लिया।ताकि पकड़े जाने की सारी गुंजाइश खत्म हो जाये। हालांकि 15 दिनों के बाद जबलपुर पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार करते हुए पूरी वारदात का खुलासा किया। पुलिस की इस सफलता को लेकर सराफा एसोसिएशन ने पुलिस का जोरदार सम्मान किया।


सिरफिरे आशिक की दरिंदगी का साक्षी बना मेखला रिसोर्ट 




जबलपुर के मेखला रिसोर्ट में इस साल एक बेहद दर्दनाक खूनी खेल अंजाम दिया गया । जहां एक सिरफिरे आशिक ने पहले तो अपनी तथाकथित महबूबा को बेरहमी से मौत के घाट उतारा उसके बाद उसी के शोशल मीडिया एकाउंट से बेबफाई की सजा का एलान कर दिया। इस वारदात के दौरान आरोपी लगातार पुलिस की आंख में धूल झोंकने में कामयाब होता रहा। इस दौरान जबलपुर पुलिस लगातार हार राज्य में आरोपी की टोह लेने लगातार घूमती रही।और आखिरकार जबलपुर के मेखला रिसोर्ट के कमरे में युवती की हत्या करने वाला प्रेमी युवक दस दिन बाद राजस्थान पुलिस के हत्थे चढ़ा । आरोपी के गिरफ्तार होने के बाद वारदात को लेकर कई तथ्य सामने आए।लेकिन इस वारदात ने एक बार फिर से नाकाम प्यार में पागलपन की दरिंदगी को उजागर कर दिया।


सलाखों के पीछे गए,आयुष्मान के चटोरे डॉक्टर साहब



वैसे तो साल के अंतिम चार महीने काफी खुलासों के साथ बीते लेकिन आयुष्मान योजना की आड़ में गरीबों के हक से खिलवाड़ करने का मामला काफी चर्चा में रहा। यहां आयुष्मान योजना के तहत गरीबों को मिलने वाली राहत पर डांका डालते हुए शहर के एक प्रतिष्टित चिकित्सक ने बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। यहां डॉक्टर दंपत्ति द्वारा अपने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल की आड़ में फर्जी मरीजों के ज़रिए करोड़ों के वारे न्यारे किए। डॉक्टर साहब ने अपनी होटल को ही अस्पताल बांटे हुए वहां फर्जी मरीज भर्ती करा दिए। और फिर उनकी बेनाम बीमारी के उपचार की राशि शासन से वसूल ली। हालांकि यह खेल ज्यादा दिन तक कामयाब न हो सका और हल्की मुखबिरी ने ही डॉक्टर साहब की रियाशत तबाह कर दी। फिलहाल लंबी चौड़ी जांच की प्रक्रिया के बीच डॉक्टर दंपत्ति जेल की सलाखों के पीछे अपने गुनाहों का आत्मावलोकन कर रहे है।


लोकायुक्त की धुंआधार बैटिंग ने उड़ाए भृष्ट अधिकारियों के होश


वही साल के अंतिम महीनों में लोकायुक्त ने अपनी धुआंधार बल्लेबाजी के साथ भ्रष्ट अधिकारियों के  रातों की नींद उड़ा दी। एक के बाद एक ताबड़तोड़ कार्यवाहीयों से रिश्वतखोर ओं के बीच दहशत का माहौल बना रहा आलम यह रहा कि विभागों के अंदर कमीशन की रकम लेने वाले अधिकारी हर लेन-देन से पहले सिर्फ यही दुआ करते थे की कहीं लोकायुक्त की टीम ना धमक पड़े। फिलहाल लोकायुक्त ने भी अपना जाल बिछाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और एक के बाद एक भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया इस दौरान एआरटीओ पर हुई कार्यवाही काफी चर्चा में रही जहां जांच करने वाले अधिकारी भी एआरटीओ के राज महल को देखकर दंग रह गए। कुल मिलाकर बात की जाए तो साल भर के काले पीले को इस विभाग ने एक झटके में ही उजागर कर दिया। जिसके चलते भ्रष्टाचारियों में लगाम लगी दिखाई दी।


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