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हम बोलेगा..तो बोलोगे की..बोलता है..

 

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मटर के नाम पर, किसानों से मटर-गश्ती..

हड़ताल के बीच बूस्टर डोज का अभियान..

साहबों की मर्जी है इसलिए जश्न में कोरोना कुछ नहीं करेगा..


*मटर के नाम पर, किसानों से मटर-गश्ती..*

जबलपुरिया मटर को लेकर जिला प्रशासन और जिम्मेदारों द्वारा दिखाए गए सुनहरे ख्वाब अब किसानों की फजीहत बनते जा रहे हैं दरअसल एक जिला-एक उत्पाद के तहत जबलपुर की ओर से हरा-मटर तो को चुना गया।लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते सारी योजनाएं टॉय-टॉय फिस्स हो गई। जिन किसानों ने शुरूआती दौर में मटर की बुवाई की थी, उनको तो रेट ठीक-ठाक मिल गए। लेकिन, जिन्होंने बाद में बोया उनके मटर की फसल की लागत निकालना भी मुश्किल होता जा रहा है।पैदावार की बात करें तो जिले में इन दिनों मटर की बंपर आवक हो रही है। जबलपुर कृषि उपज मंडी में हजारों की तादाद में वाहन लाखों क्विंटल मटर लेकर पहुंच रहे हैं। लेकिन मटर के बंपर उत्पादन के बावजूद भी किसान खुश नजर नहीं आ रहा है। सूत्र बताते है कि जिला प्रशासन ने इस योजना का लाभ किसानों को मिले इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। वहीं मंडी में प्रशासन की तरफ से कोई भी व्यवस्था तक नहीं की गई. जिस कारण मटर की गाड़ी समय से अंदर तक नही पहुंचती और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।आलम यह है कि एक जिला एक उत्पाद योजना का किसानों को सीधा लाभ नहीं हो रहा है। जिस जबलपुरिया मटर की प्रसिद्धि की चर्चा होनी चाहिए थी उसी मटर को लेकर आंदोलन की ख़बर चर्चाओं में है। इसी बीच मंडी में मटर लेकर पहुंचे एक किसान से एक आम नागरिक ने कहा..

चाचा अब तो खुश हो जाओ क्योंकि पूरे देश में हो रही जबलपुरिया मटर की प्रसिद्धि..

तो खिसियाए किसान ने गुस्से में आकर कहा कि..

साहबों की मेहरबानी से हो रही..

मटर के नाम पर किसानों से मटर-गश्ती..




हड़ताल के बीच बूस्टर डोज का अभियान


कोरोना के नए मरीज ने स्वास्थ्य विभाग के कान खड़े कर दिए है।कोरोना की चौथी लहर की संभावनाओं के बीच जब देश और प्रदेश हाईअलर्ट पर है तब जबलपुर में पहला कोरोना मरीज मिलने से हड़कंप मचा हुआ है। इधर अब तक चौथी लहर को हलके में ले रहे शहवासियों में भी कोरोना की दशहत और चर्चा दोनों बढ़ गई है।बीते दिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की बैठक में सावधानी ही बेहतर इलाज है के तर्ज पर पूरी रणनीति तैयार की गई। बताया जा रहा है कि सोमवार से वैक्सीनेशन का अभियान नई तैयारियों के साथ शुुरु किया जाएगा। पुराने आंकड़ों की बात करें तो बूस्टर डोज लगाने की मुहिम में शहर का स्वास्थ्य विभाग काफी फिस्सडी साबित हुआ था। जहां 5 लाख से भी कम लोगों को ही बूस्टर डोज लगाई गई थी। अब एक बार फिर से अभियान शुरू करने का दावा किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान के हालातों की बात करें तो जबलपुर के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी इन दिनों हड़ताल पर डटे हैं बताया जा रहा है कि खुद के नियमितीकरण की मांग को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने कलमबंद आंदोलन का बिगुल फूंका है। गौर करने वाली बात यह है कि जब जिले के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी एवं विभाग के नियमित लोग मिलकर भी पुराने लक्ष्य को पूरा न कर सके तो अब बिना संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के इस नए अभियान की हालत क्या होगी। अब विभाग के सामने हड़ताल खत्म करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि बिना मानव संसाधन के विभाग कैसे अभियान पूरा करता है या फिर सिर्फ कागजों में सिमट कर रह जाएगा..

हड़ताल के बीच बूस्टर डोज का अभियान




साहबों की मर्जी है इसलिए जश्न में कोरोना कुछ नहीं करेगा..


बीते कुछ दिन पूर्व एक बार फिर से कोरोना की आहट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। आनन-फानन में दिल्ली दरबार से कोरोना प्रोटोकॉल की सिफारिशें शुरू कर दी गई। इधर देश के हर राज्य में कोरोना मॉकड्रिल करके कोरोना से निपटने की स्थितियों का जायजा भी लिया जा रहा है। जानकार बताते है कि चीन में कोरोना के BF.7 वैरिएंट से मची तबाही को देख भारत अलर्ट मोड पर है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछली कोरोना की लहर में चीन में कोरोना केस बढ़ने के 30-40 दिन बाद भारत में कोरोना के मामले बढ़ते दिखे थे। इस बार भी नए साल में कोविड को लेकर असली तस्वीर जनवरी तक ही पता चलेगी। मौजूदा हालातों को गंभीरता से लेते हुए एहतियात के तौर पर एक बार फिर से मास्क और 2 गज दूरी जैसे नियमों पर जोर दिया जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही शहर में अमेरिका से लौटी महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। महिला की रिपोर्ट पाज़िटिव आते ही विभाग में हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि महिला को सर्दी खांसी के लक्षण थे, महिला की जांच के बाद रिपोर्ट पाज़िटिव आते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महिला के परिजनों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों का भी सैम्पल लिया है। लेकिन इन सब के विपरीत कुछ मुट्ठी भर व्यवसायियों को फायदा पहुंचाने के लिए नए साल के जश्न में कोई भी पाबंदी नजर नहीं आ रही है। होटलों में धड़ल्ले से भारी भीड़ इकट्ठा करने की तैयारी की जा रही है जहां लोगों के नाच गाने से लेकर खाने-पीने तक की सारी जरूरतों को पूरा किया जाएगा। सवाल यह है कि अगर नए साल के जश्न की पार्टी में कोरोना संक्रमण फैल गया तो इसका नुकसान कौन भरेगा...

लेकिन प्रशासन की खामोशी को देख कर तो बस यही कहा जा सकता है कि..

साहबों की मर्जी है इसलिए जश्न में कोरोना कुछ नहीं करेगा..











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