मिलावट का भय ,फीका रहा मीठा का व्यापार
जबलपुर । देश भर में नकली घी, सिंथेटिक खोवा की खबरें सुर्खियों में रहने के कारण इस बार दीपावली पर परम्परागत खोवे की मिठाईयों की मांग कुछ कम रही। मिठाई की दुकान वालों का व्यापार खासा प्रभावित हुआ। हर तरफ ड्राय-पूâड और छेने से बनी मिठाईयों की मांग रही। कई व्यापारियों के यहां आलम यह था कि उनकी लागत भी नहीं निकल पाई। अधिकांश लोगों ने घर में ही पारम्परिक पकवान बनाकर त्यौहार मनाया। कभी जिन मिष्ठान भंडारों में लाईन लगी रहती थी, लोगों को मिष्ठान खरीदने घंटों-घंटों इंतजार करना पड़ता था, उन दुकानों में भीड़ नहीं दिखी। शहर के कुछ नामचीन प्रतिष्ठान भी इस बार मिठाई खरीदने वाले उपभोक्ता नजर नहीं आये। मिठाई के व्यापारी अपनी किस्मत को कोसते रहे और खोवा वालों को दोष देते रहे।
मिष्ठान विव्रेâताओं का कहना था कि उनकी ओर से कोई मिलावट नहीं की जाती और न ही वे ऐसा करना चाहते हैं। लेकिन खोवा उत्पादन करने वाले लोग अगर इस तरह के कृत्य करते हैं तो उसका फल उन्हें भुगतना पड़ता है। जबकि खोवा मण्डी के व्यापारियों का कहना था कि वे भी खोवा का निर्माण नहीं करते हैं। वे भी खोवा की बड़ी मण्डियों से माल उठाते हैं। लिहाजा कानपुर, ग्वालियर, नागपुर मण्डियों में ही वहां के प्रशासनिक कार्यवाही होना चाहिए। इस तरह के कृत्य पर मीठा और खोवा का व्यापार बदनाम हुआ है। जबलपुर में अधिकांश व्यापारी ईमानदारी और शुद्धता के साथ व्यापार करना चाहते हैं। वहीं कुछ प्रशासनिक स्वार्थ और अन्य लोगों के जुड़े हित भी इस कारोबार को बदनाम करने में तुले हुये हैं।