आक्रामक खरपतवार पर ५ दिवसीय प्रशिक्षण
खरपतवार के आक्रामण से फसलों को बचाना आवश्यक - डॉ.मिश्र
जबलपुर । खरपतवार अनुसंधान निदाशालय, में २६ सितम्बर सोमवार को आक्रामक खरपतवार प्रबंधन पर पाँच दिवसीय प्रशिक्षण सोमवार को आरंभ हुआ। इस प्रशिक्षण में देश के विभिन्न वन शोध संस्थानों के १५ वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।
निदेशक डॉ. जे. एस. मिश्र नें वनीय पारिस्थितिकी पर आक्रामक खरपतवारों से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की, साथ ही कहा कि १० प्रमुख फसलों से ७० हजार रुपये का वार्षिक नुकसान होता है तथा अन्य खरपतवार जैसे कि गाजरघास एवं अमरबेल जो कि वन पारिस्थितिकी तंत्र को तेजी से प्रभावित करती है।
डॉ. सुशील कुमार, प्रधान कीट वैज्ञानिक ने प्रशिक्षकों को वन में पाई जाने वाली जैव-विविधता एवं खरपतवारों के बारे में बताया साथ ही साथ विदेशी आक्रामक खरपतवार जरायन जो कि भारतीय वन जैव-विविधता को तेजी से प्रभावित करता है, इनका नियंत्रण जैविक कीटों अथवा अन्य विधियों द्वारा अति आवश्यक है, इन्होने अन्य जलीय खरपतवारों के द्वारा होने वाले नुकसान के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। आक्रामक खरपतवार जिस तरह से नए परिवेश में फलते फूलते तथा अपने आप को स्थापित करके वहां की जैव-विविधता के लिए खतरा हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिमांशु महावर ने किया। इस दौरान संस्थान के सभी वैज्ञानिक, कर्मचारी, आर. ए., एस.आर.एफ. एवं छात्र उपस्थित रहे।
अन्त में डॉ वी. के. चौधरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सस्यविज्ञान ने कार्यक्रम में पधारे सभी आगंतुकों का धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया तथ पाँच दिनों में होने वाली विभिन्न व्याख्यानों तथा प्रक्षेत्र भ्रमणों के बारे में जानकारी दी।