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सस्ता पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार ने की कवायद तेज

 सस्ता पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार ने की कवायद तेज

Modi government intensified the exercise to provide cheap petrol and diesel



नई दिल्ली । उपभोक्ताओं को सस्ता पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा तेल विपणन कंपनियों देश में उपभोक्ताओं को नहीं दिया है। ऐसे में सरकार ईंधन उत्पादों के दैनिक मूल्य निर्धारण की नीति की समीक्षा करना चाह रही है। एक मई, 2017 से पांच शहरों में दैनिक आधार पर पेट्रोल-डीजल के दाम की समीक्षा करने की व्यवस्था शुरू हुई थी, जबकि रसोई गैस और विमान ईंधन के मामले में इसे 15 दिन पर किया जाता है। मामले से जुड़े तीन सूत्रों ने कहा कि सरकार मौजूदा वाहहन ईंधन मूल्य निर्धारण व्यवस्था की समीक्षा कर सकती है। क्योंकि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने सात अप्रैल से पेट्रोल पंप पर दरों में दैनिक परिवर्तन बंद कर दिया है।
जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जून के पहले पखवाड़े की तुलना में जुलाई में यानी एक माह में पेट्रोल की कीमत में 17 फीसदी से अधिक और डीजल में 14 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। सरकार ने जब मई में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की तो कंपनियों ने केवल उतनी ही राशि कीमतों में कम की और अपनी ओर से कोई रियायत उपभोक्ताओं को नहीं दी। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बात से सख्त नाराज है कि कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल में 130 डॉलर प्रति बैरल थीं और इस समय यह कई बार 100 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे जा चुका है। इसके बावजूद कंपनियों ने दाम नहीं घटाए। सोमवार को वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.82 प्रतिशत बढ़कर 102.98 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। आईआईएफएल के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि रोजाना दरों की समीक्षा की बजाय साप्ताहिक या 15 दिन पर (पाक्षिक) आधार पर समीक्षा होती है तो उसमें औसत दाम को आधार बनाया जा सकता है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम में तेज उतार-चढ़ाव से उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। वहीं कंपनियों के पास भी यह कहने का मौका नहीं रहेगा कि उन्हें नुकसान हो रहा है। हालांकि, सरकार के फैसले के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी नहीं करने के लिए तेल कंपनियां घाटे का तर्क देती हैं। निजी क्षेत्र की तेल कंपनियों का कहना है कि उन्हें डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। इन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखा है और सरकार से इस समस्या का उचित कदम उठाने की मांग की है।

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