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वाह..पार्षद हो तो ऐसा..अपने वेतन से करवाता है मंदिरों का जीर्णोद्धार..और गरीब बच्चियों की पढ़ाई






देवास/ अमित बागलीकर


जनप्रतिनिधि का अर्थ होता है जनता का प्रतिनिधि लेकिन अक्सर देखा गया है की जनता द्वारा चुने जाने के बाद से ही जनप्रतिनिधियों में खुद के खजाने भरने की हवस जाग जाती है। क्षेत्र विकास से ज्यादा उन्हें स्व-विकास की चिंता सताने लगती है। यही कारण है कि क्षेत्र अव्यवस्थाओं से लबरेज हो जाता है और जनता की नज़रों में वह एक मौका परस्त राजनेता साबित होता है। हकीकत तो यही है कि इस राजनीति के दलदल में फंसने के बाद अच्छा खासा व्यक्ति भी कीचड़ की गंदगी में समा जाता लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी लाजवाब कार्यशैली के जरिए ना केवल जनता के चहेते बनते हैं बल्कि इस दलदल में कमल की भांति खिल कर एक नई मिसाल पेश करते है। आज की हमारी कहानी का नायक कोई बहुत बड़ा राजनेता नहीं है लेकिन जनता के प्रति उसके समर्पण ने उसे विकास की कलम का हीरो बना दिया है यह एक ऐसा जनप्रतिनिधि है जो क्षेत्र की जनता के लिए महज एक राजनेता ना होकर परिवार का सदस्य बना बैठा है।






एक पार्षद ऐसा भी

हमारी इस कहानी की पृष्ठभूमि मध्य प्रदेश के देवास जिले से जुड़ी हुई है। वैसे तो देवास नगर निगम मैं फैला चौतरफा भ्रष्टाचार जनता के लिए नासूर बनता जा रहा है लेकिन इन सबके बीच देवास नगर निगम में अपनी अलग पहचान बनाने वाले वार्ड क्रमांक 30 के पार्षद शीतल गेहलोत अपने क्षेत्र की जनता के लिए एक सच्चे मुखिया बनकर सामने आए है। अपनी धाराप्रवाह शैली से सदन में विपक्ष की धज्जियां उड़ा देने वाले शीतल गहलोत अपने क्षेत्र विकास के लिए किसी भी बात से समझौता नहीं करते यही कारण है कि इनके एक इशारे पर क्षेत्र का हर एक व्यक्ति कुछ भी कर गुजर जाने को तैयार है। इधर पार्षद ने भी क्षेत्र विकास में कोई कसर न छूट जाए इसके लिए अपने मानदेय को भी क्षेत्र को सवारने के लिए समर्पित कर दिया है।


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मासिक वेतन से करवाते है मंदिरों का जीर्णोद्धार


जनप्रतिनिधि का दायित्व संभालते ही शीतल गहलोत ने जनता का दिल जीत लिया था और अब उस विश्वास को कायम रखने के लिए वे लगातार जनहित कार्यों में सक्रिय रहते हैं। आपको बता दें कि वार्ड क्रमांक 30 के पार्षद द्वारा अपनी मासिक वेतन का उपयोग भी जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है। मासिक मानदेय का पैसा आते ही वे उसे क्षेत्र के मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए समर्पित कर देते हैं। यही कारण है कि वार्ड के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित बाल हनुमान मंदिर, श्री कृष्ण नगर स्थित राधा कृष्ण मंदिर, विष्णु कॉलोनी स्थित महादेव मंदिर, रविशंकर नगर स्थित पिपलेश्वर महादेव, एवं उमाकांत कॉलोनी स्थित महादेव मंदिर की छटा आज देखते ही बनती है।


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वार्ड के मृतक के परिवार का खुद उठाते है जिम्मा..

देवास नगर निगम का वार्ड क्रमांक 30 इन दिनों केवल एक वार्ड नहीं बल्कि एक परिवार होने का एहसास करा रहा है जहां वार्ड के पार्षद का समर्पण भाव उन्हें इस परिवार का सच्चा हितैषी और मुखिया बना चुका है। आलम यह है कि यदि वार्ड में रहने वाले किसी भी परिवार के घर किसी सदस्य की मृत्यु होती है तो मृतक के अंतिम कार्यक्रम से लेकर परिवार के पहले दिन का पूरा व्यय पार्षद शीतल गहलोत स्वयं उठाते है। वहीं अगर वार्ड में कोई ऐसा भी परिवार है जिसके परिवार का मुखिया गुजर चुका हो तो उसके परिवार की बेटियों की शिक्षा की जिम्मेदारी भी पार्षद महोदय स्वयं उठाते हैं।




यह कार्य भी रहे सराहनीय

पार्षद शीतल गहलोत द्वारा लगातार अपने वार्ड की जनता को लाभान्वित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं इसी कड़ी में वार्ड में 50% अवैध कालोनियों को वैध पहली सूची में करवाया गया। ताकि वार्ड के रहवासी बिना किसी परेशानी के निर्भीक होकर अपने घरों में निवास कर सकें वही निगम प्रशासन द्वारा सड़क बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी वार्ड क्रमांक 30 के पार्षद लगातार अपने क्षेत्र के लिए लड़ते दिखाई देते हैं। पार्षद द्वारा निरंतर नगर निगम की मूल योजनाओं को वार्ड के रहवासियों तक पहुंचा कर योजना का लाभ दिलाने का कार्य भी किया जा रहा है। वार्ड में रह रहे निचले तबके के लोगों की हर संभव मदद के साथ ही प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए वार्ड में रह रहे युवाओं के साथ लाडली बहना वह बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी वार्ड के हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ दिलाने की पहल भी पार्षद द्वारा की जाती है।


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जनता की संतुष्टि खुद ब खुद करती है पार्षद की तारीफ

गौर करने वाली बात यह है कि जब नगर निगम के 45 पार्षद, एक महापौर व सभापति अपना मानदेय लेकर जनता को मुख्य योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए नियमों का पाठ पढ़ाते नज़र आते हैं। ऐसी स्थिति में वार्ड 30 के पार्षद कि यह अनूठी पहल शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह लोकतंत्र है जनाब जहां जनता ही सर्वोपरि होती है भले ही उसे 5 साल में एक बार अपना ब्रह्मास्त्र आजमाने का वरदान मिला हो लेकिन 5 सालों के दौरान वह अपने प्रतिनिधि की हर नब्ज टटोल लेती है। और फिर जनता की कसौटी में जो खरा उतरता है वही जीत का सिरमौर पहनता है। बहरहाल वार्ड क्रमांक 30 के पार्षद ने अपनी अनोखी कार्यशैली से भ्रष्ट राजनेताओं के चेहरे पर कालिख पोतते हुए यह नजीर पेश की है कि यदि हर एक पार्षद केवल जनप्रतिनिधि ना बनकर जनता का चहेता बन जाए तो निश्चित ही शहर राज्य और देश में अपने आप रामराज्य स्थापित हो जाएगा।

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