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परीक्षा सर पर..और बच्चों को छोड़ दूसरी ड्यूटी बजा रहे मास्साब..

 

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जबलपुर।

मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया कि प्रदेश के सबसे बड़े विभाग शिक्षा विभाग में सर्वाधिक परेशान शिक्षक होता है। वर्तमान में एक साथ कई कार्य करने के निर्देश शिक्षकों को प्राप्त हुए। मार्च के प्रथम सप्ताह में 10 वीं एवं 12वीं के बोर्ड एग्जाम प्रारम्भ हो रहे है इनमें शिक्षकों को इनविजिलेंशन और फ्लाइंग स्कॉट एवं अन्य कार्यों में लगाया गया ये तो ठीक है अनिवार्य है परन्तु इसी बीच एक नया आदेश भेज दिया कि शालाओं का ऑर्डिट 28 फ़रवरी से विकासखंड वार करवाना है साथ ही साथ एक नया फरमान जारी कर दिया कि शिक्षकों को टेबलेट 28 फ़रवरी तक अपने रुपयों से खरीदकर उसका वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य है अन्यथा उन्हें टेबलेट तो खरीदना ही पड़ेगा परन्तु शासन उसका पेमेंट नहीं करेगा।


परीक्षा के ऐन वक्त पर शिक्षक परेशान -हलाकान 

देश के कर्णधार "नौनिहालों" के स्वर्णिम भविष्य से खिलवाड़

ऐन परीक्षा के वक्त फरमानोँ की झड़ी लगा दी 

बोर्ड एग्जाम ड्यूटी,सर्वे, नव साक्षरता,टेबलेट वेरिफिकेशन,ऑर्डिट एक साथ  अनेक कार्यों में उलझे शिक्षक



 अभी भी कुछ शिक्षक सर्वे के कार्य में लगे है। कुल मिलाकर विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ है क्योंकि 10 वीं और 12 वीं के अलावा शेष कक्षाओं की वार्षिक परीक्षा बाद में है और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक अध्यापन करवाने की बजाय दूसरे कार्यों में लगे है।

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर के अनुसार ऑर्डिट का कार्य एन परीक्षा के वक्त कराने की बजाय पहले किया जा सकता था परन्तु व्यवस्थित कार्यक्रम नहीं बनाया गया। सर्वे में लगे शिक्षकों को अब अध्यापन करवाने के लिए सर्वे से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।एक नव साक्षरता का अभियान भी चल रहा है उसमें भी शिक्षक लगे हुए है।विधानसभा में लगे रहे डाक बनाते रहे फिर सर्वे करते रहे फिर ऑर्डिट करवाना है फिर बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी है तो विद्यालय में नौनिहालों देश के कर्णधारों को पढ़ाने वाले क्या करें..? रिजल्ट ख़राब आने पर शिक्षक को गलत ठहराते है।अभी संस्था प्रमुखोँ पर नई ऑनलाइन विधि से खर्च करने के लिए वेंडर इत्यादि बनवाना है जिससे वे अपनी जेब से लगाए रुपयों को वापिस प्राप्त कर सकें और आगे के शाला विकास सम्बन्धी कार्य करवा पाये।

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर के अनुसार प्रदेश में सबसे बड़ा विभाग शिक्षा विभाग है। इस विभाग में कार्यरत कर्मचारी विशेषकर शिक्षक सदैव टारगेट पर रहते है। कहीं भी कोई भी सर्वे या जनगणना या पशुगणना या मतगणना या चुनाव कार्य या बी एल ओ या अन्य कार्यों के लिए एकमात्र शिक्षक दुधारु गाय के समान हो गया है।

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर ने बताया सरकार एवं शासन प्रशासन विशेषकर स्थानीय प्रशासन ने इस बात का ध्यान नहीं रखा की हाई और हायर सेकेंडरी बोर्ड एग्जाम के अलावा अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा प्रारम्भ होने वाली है कई विद्यालयों में कोर्स पूरा करने की जदो ज़हद चल रही है तो अनेक विद्यालयों में रिवीज़न चल रहा है।विद्यार्थियों की पढ़ाई बेपटरी हो गयी है।

मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर ने आगे बताया कि पूरे वर्ष भर शिक्षकों से गैर शिक्षकीय कार्य करवाये जाते हैँ।शिक्षक दिन भर डाक बनाता रहता है। ये गंभीर चिंतन का विषय है कि जिन्हें देश के कर्णधारों का स्वर्णिम भविष्य निर्माण की अति महत्व पूर्ण कार्य की देशहित की अतिआवश्यक जबाबदारी है उन्हें अध्ययन अध्यापन कार्य नहीं करने दिया जा रहा। वर्तमान में शैक्षणिक व्यवस्था पर कुठाराघात है यदि ऐसे ही हालात रहे तो वो दिन दूर नहीं जब संकट ग्रस्त देश प्रदेश में गिनती होने लगेगी। सर्वाधिक नौजवानों एवं बच्चों के देश में साक्षरता की कमी आ जायेगी। अभी नहीं चेते तो आगे का भविष्य हर नागरिक को दिखलाई दे रहा है।

मध्यप्रदेश अधिकारी -कर्मचारी संयुक्त संगठन के जिला अध्यक्ष दिलीप सिंह ठाकुर चंदा सोनी, पुष्पा रघुवंशी, आशा सिसोदिया,गिरीशकांत मिश्रा,अजब सिंह, सुल्तान सिंह, देवराज, इमरत सेन, विश्वनाथ सिंह, आकाश भील, नितिन तिवारी, धर्मेंद्र परिहार, जी आर झारिया, अफ़रोज़ खान,ऋषि पाठक,दुर्गेश खातरकर, समर सिंह, आदेश विश्वकर्मा,सुरेंद्र परसते,अजय श्रीपाल, प्रमोद दुबे,चंद्रभान साहू,अंजनी उपाध्याय,भास्कर गुप्ता,कमलेश दुबे, विशाल सिंह,आसाराम झारिया,रेनू बुनकर,अर्चना भट्ट,गीता कोल, राशिद अली,रजनी गुप्ता, डेलन सिंह,मोदित रजक, जीतेन्द्र रजक,जागृति मालवीय,भेजम सिंह, प्रमोद कुलस्ते, सुरेंद्र करते, कलावती महूए, अशोक साहू, देवेंद्र उपाध्याय, आर के झारिया, विष्णु झारिया, पवन भास्कर, संगीता बिसेन, ज्योति दीक्षित, दिलीप साहू, सुरेंद्र गौतम, के एल हल्दकार, नन्हें सिंह पुत्ते, संतोष पाण्डेय, रचित शुक्ला, ललिता देवी आदि ने सरकार एवं स्थानीय शासन प्रशासन से इस गंभीर विषय पर चिंतन मनन करने को कहा है।


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