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क्या आदतों से व्यक्तित्व की पहचान संभव है..जरूर पढ़ें





विकास की कलम।

बहुत पुरानी कहावत है कि लिफाफा देखकर खत का अंदाजा लगा देना काफी जल्दबाजी भरा निर्णय होता है अक्सर इस आदत के चलते लोग धोखा खा जाते हैं

अंग्रेजी मुहावरा "किसी पुस्तक को उसके आवरण से नहीं आंकें" एक Metaphorical phrase है जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को किसी वस्तु के मूल्य या मूल्य को केवल उसके बाहरी रूप से नहीं देखना चाहिए। "वह आदमी बहुत छोटा या दिखने में गरीब और तुच्छ लग सकता है, लेकिन उसके आवरण से उसको compare को मत करिये - वह अपने circle में बहुत शक्तिशाली आदमी है भी हो सकता है "

don't judge a book by its cover meaning in Hindi इसका मतलब होता है  किसी भी इंसान या चीज़ को उसके बाहरी दिखावे से अंदाजा नहीं करना चाहिए। 



क्या आप जज कर सकते हैं कि इन तीनों में से सबसे बढ़िया और अच्छा आदमी कौन है?


*पहला व्यक्ति* -

 उसकी गंदे नेताओं से दोस्ती थी, ज्योतिषियों की बातों में ज्यादा भरोसा करता था, उसकी 2 पत्नियां थी, सारे दिन सिगरेट पीता रहता था, दिन में 8 से 10 बार शराब पीता था

*दूसरा व्यक्ति* - 

उसे ऑफिस से 2 बार धक्के मार के बाहर निकाला गया, दोपहर तक वो सोता था, कालेज में अफीम खाता था और रोजाना शाम को व्हिस्की पीता था.


*तीसरा व्यक्ति* - 
वह एक संवारा हुआ और पुरस्कृत योद्धा था, शुद्ध शाकाहारी था, उसने कभी बीड़ी सिगरेट नही पी,कभी दारू नही पी, 1 ही घरवाली थी उसकी और उसे कभी धोखा नही दिया.


आप कहेंगे तीसरा व्यक्ति सबसे बढ़िया है ।

बिलकुल सही।
लेकिन,,,


*पहला व्यक्ति :
 Franklin Roosevelt (USA का 32वां राष्ट्रपति था)*

*दूसरा व्यक्ति : 
Winston Churchill (भूतपूर्व British प्रधान मंत्री था )*

*तीसरा व्यक्ति:
 ADOLF HITLERथा !!! (जी हां, वही हिटलर जिससे आज सारी दुनिया नफरत करती है*)



अविश्वसनीय है पर सत्य है...


*किसी को भी उसकी आदतों से आंकना बड़ा मुश्किल है*
इंसान का चरित्र क्या है 1 जटिल घटना है बस....जो उसके जीवन में घटी किसी भी महत्वपूर्ण घटना से बदल जाता है।
*इसलिए हर 1 इंसान आपकी ज़िन्दगी में महत्वपूर्ण है*।

उन्हें आंकिये मत।
*उन्हें स्वीकार कीजिए।*

गर्म उबलता हुआ पानी जो एक कोमल नाज़ुक अण्डे को सख्त कर देता है,
वही गर्म पानी एक सख्त......आलू को नरम भी कर देता है

यह तनावपूर्ण परिस्थितियों में व्यक्तिगत प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है कि कोई जीवन को कैसे लेता है।
इसलिए

*जीवन की यात्रा का विवेक पूर्वक आनंद लीजिये*...

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