Vikas ki kalam,जबलपुर न्यूज़,Taza Khabaryen,Breaking,news,hindi news,daily news,Latest Jabalpur News

व्यापमं घोटाला- एसटीएफ की एफआईआर में भाजपा नेताओं का जिक्र - भाजपा में एक और लक्ष्मीकांत बनाने का प्रयास

 

www.vikaskikalam.com

भोपाल । चुनावी साल में व्यापमं घोटाले से जुड़ी एक एफआईआर सियासी मुद्दा बन गई है। यह एफआईआर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने छह दिसंबर को दर्ज की है। वह भी पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की 2014 में की गई शिकायत के आधार पर। आठ साल बाद हुई इस एफआईआर ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मंत्रियों समेत भाजपा के दिग्गज नेताओं के नाम होने की वजह से संगठन भी नाराज है। सबसे बड़ा सवाल इस एफआईआर की टाइमिंग को लेकर है। इस शिकायत में मेडिकल कॉलेज में व्यापमं के अधिकारियों सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के सहयोग से फर्जी तरीके से एडमिशन लेने का आरोप है। प्रदेश की राजनीति में एक नेता द्वारा दूसरे विरोधी नेताओं को निपटाने का काम बहुत पहले से होता रहा है। इसी के तहत पूर्व में भी सरकार के शीर्ष पर बैठे एक नेता द्वारा अपने विरोधी नेताओं को निपटाने के लिए व्यापमं का सहारा लिया गया था। उस समय संघ प्रमुख रह चुके सुदर्शन से लेकर सुरेश सोनी और तत्कालीन जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा तक का नाम इस मामले में आ चुका था। कालांतर में इस मामले सोनी का हुआ तो कुछ नहीं लेकिन उनकी बदनामी जरुर हो गई थी। अब एक बार फिर से इसी व्यापमं के माध्यम से अपने विरोधी नेताओं को निपटाने का सहारा लिया जा रहा है। शायद यही वजह है कि कहा जा रहा है कि अब एक बार फिर से प्रदेश में व्यापमं को सहारा बनाकर विरोधियों को निपटाने का षडयंत्र रच लिया गया है। इन कयासों की अपनी वजह है। दरअसल जिस मामले में हाल ही में प्रदेश की एसटीएफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है उसकी जांच पूर्व में सीबीआई कर चुकी है फिर भी एसटीएफ ने मामला दर्ज कर लिया है। यही नहीं जिस आवेदन की जांच के बाद मामला दर्ज किया गया है उसकी जांच करने में पूरे आठ साल लग गए इसके बाद भी इस मामले में पूरे नामों को खुलासा नहीं किया गया है बल्कि इसमें कुछ भाजपा नेताओं व तत्कालीन मंत्री शब्द का उपयोग किया गया है। यही नहीं जब इस मामले के हजारों आवेदन लंबित हैं तब आखिर क्या वजह है कि इस आवेदन पर ही प्रकरण दर्ज किया गया है। इस मामले के दर्ज होने की टाइमिंग को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसकी वजह है जैसे ही दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज हुआ उसके अगले ही दिन यह मामला दर्ज कर लिया गया। इसकी वजह से भी सवाल खड़े होना लाजमी हैं।

- बड़ी साजिश की ओर इशारा

हद तो यह मानी जा रही है कि भाजपा की ही सरकार में इस तरह के मामले में भाजपा नेताओं का वो भी चुनावी साल में जिक्र होना कहीं न कहीं बड़ी साजिश की ओर इशारा माना जा रहा है। इस मामले की एफआईआर की प्रति सामने आने के बाद से ही भाजपा संगठन बेहद नाराज है। इस मामले की जानकारी अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है। इसके बाद जब इस मामले की पूछताछ शुरु हुई तो पता चला कि यह मामला सीएम हाउस में पदस्थ एक बेहद पावरफुल अफसर के निर्देश पर दर्ज की गई है। गौरतलब है कि व्यापमं घोटाले में भाजपा नेताओं के शामिल होने के गंभीर आरोप दिग्विजय सिंह द्वारा लगाए गए थे जिसके बाद भाजपा प्रदेशध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस मामले में न्यायालय में मानहानि का प्रकरण लगाया था। इस मामले में 5 दिसबंर को ही भोपाल न्यायालय द्वारा दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए गए थे। जिसके अगले ही दिन एसटीएफ ने यह मामला दर्ज करते हुए उसमें भाजपा नेताओं का भी उल्लेख किया है। इसकी वजह से एक बार फिर से प्रदेश में व्यापमं का जिन्न बाहर आ गया है।

-सरकार और जांच एजेंसियों पर कई गंभीर सवाल

उधर इस मामले में अब कांग्रेस बेहद मुखर हो गई है। कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने तो इस मामले में ट्वीट करते हुए सरकार और जांच एजेंसियों पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। फिलहाल चुनावी साल में एसटीएफ ने विपक्ष को एक बेहद कारगर हथियार थमा दिया है।

- एफआईआर की टाइमिंग को लेकर भी चर्चा

व्यापमं मामले में एसटीएफ में दर्ज हुई एफआईआर की टाइमिंग को लेकर राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारे में जबर्दस्त चर्चा है। दरअसल वर्ष 2014 में दिग्विजय सिंह ने भाजपा नेता (अब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष) वीडी शर्मा पर व्यापमं घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगाये थे। इससे व्यथित होकर वीडी शर्मा ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज किया था। बीते 5 दिसम्बर को भोपाल कोर्ट ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि के तहत एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए। अगले दिन 6 दिसम्बर को एसटीएफ ने दिग्विजय सिंह के 2014 के शिकायती आवेदन पर शिवराज सरकार के मंत्री व भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। खास बात यह है कि एसटीएफ की इस एक एफआईआर ने मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले व्यापमं के जिन्न को फिर से जिन्दा कर दिया है और कांग्रेस को बड़ा मुद्दा थमा दिया है।

- कांग्रेस के आरोपों से भाजपा में ना खलबली मची है ना मचेगी

एसटीएफ की एफआईआर में भाजपा नेताओं के नाम पर कांग्रेस के आरोपों को लेकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि भाजपा में कोई खलबली नहीं है। कांग्रेस के आरोपों से ना आज तक खलबली मची है और ना आगे मचेगी। कांग्रेसी क्या आरोप लगाएंगे। शीशे के घरों में रहने वाले हम पर पत्थर कैसे फेंक देंगे।

- संकट में वरिष्ठ आईपीएस

मप्र के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विपिन माहेश्वरी आजकल अपने कैरियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। एडीजी माहेश्वरी के पास पुलिस दूरसंचार के अलावा एसटीएफ का चार्ज भी है। उन्होंने व्यापमं घोटाले को लेकर दिग्विजय सिंह के 8 वर्ष पुराने आवेदन पर 6 दिसम्बर को एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में शिवराज सरकार के मंत्री और भाजपा नेताओं की मिलीभगत का उल्लेख है। इस एफआईआर से भाजपा संगठन आग बबूला है। अपनी ही सरकार में अपने ही मंत्री और नेताओं के खिलाफ बिना सशक्त प्रमाण के एफआईआर होने पर भाजपा संगठन में भोपाल से दिल्ली तक हंगामा मचा हुआ है। बताया जाता है कि माहेश्वरी से पूछताछ में उन्होंने सफाई दी है कि सीएम हाऊस के एक ताकतवर डिप्टी सेकेट्ररी के फोन पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। फिलहाल माहेश्वरी सत्ता व संगठन के निशाने पर बताये जा रहे हैं।




Post a Comment

If you want to give any suggestion related to this blog, then you must send your suggestion.

Previous Post Next Post