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वायुसेना के बाद नौसेना को भी पंसद आया राफेल एम

 वायुसेना के बाद नौसेना को भी पंसद आया राफेल एम, चीन-पाकिस्तान में दहशत 
राष्ट्रपति मैक्रों की भारत यात्रा पर डील पर होगा साइन

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नई दिल्ली /विकास की कलम। 

फ्रांस और भारत के रिश्‍ते एक समझौते के बाद नई दिशा की ओर बढ़ते हुए दिख रहे हैं। पहले भारतीय वायुसेना ने अपनी नई स्‍क्‍वाड्रन के लिए ताकतवार और आधुनिक राफेल को चुना था तब अब नौसेना ने भी राफेल को तरजीह दी है। मीडिया रिपोर्ट की माने तब मार्च में जब फ्रांसिसी राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत की यात्रा पर आएंगे तब दोनों देशों के बीच यह डील साइन हो सकती है। दिलचस्‍प बात है कि इस डील के लिए नौसेना ने अमेरिकी जेट एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को रिजेक्‍ट किया है। यह डील भारत और फ्रांस के रिश्‍तों में एक मील का पत्‍थर करार दी जा रही है। रक्षा सूत्रों की मानें तब नौसेना ने 26 राफेल एम के लिए कई अरब डॉलर की डील फ्रांस के साथ की है।

राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्‍ट एविएशन को इस बात पर भरोसा है कि भारतीय नौसेना की वॉरशिप आईएनएस विक्रांत के लिए राफेल को मंजूरी मिल सकती है। राफेल एम को अभी तक ग्रीस इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं प्रयोग कर रही हैं। खास बात है कि नौसेना ने अमेरिकी जेट एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को रिजेक्‍ट किया है। नौसेना की ओर से इस साल की शुरु में दोनों जेट्स का ट्रायल किया गया था। इस ट्रायल की एक विस्‍तृत रिपोर्ट दिसंबर में भारत के रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी। दोनों फाइटर जेट्स को गोवा स्थित नौसेना के बेस आईएनएस हंसा पर टेस्‍ट किया गया था।

नौसेना का मानना है कि राफेल उसकी सभी जरूरतों को कई ज्‍यादा बेहतरी से पूरा कर सकता है। नौसेना अपने बेड़े में पुराने पड़ चुके रूस के 43 फाइटर जेट्स मिग-29 के और मिग-29केयूबी को हटाना चाहती है। कई एयरक्राफ्ट का नाम नौसेना के दिमाग में था लेकिन फाइनल रेस राफेल एम और एफ-18 के बीच थी। फ्रेंच नेवी के पास इस समय 240 राफेल एम जेट हैं। इन जेट्स को दसॉल्‍ट ने साल 1986 से निर्मित करना शुरू किया था। दोनों ही जेट्स पहले ही एडवांस्‍ड एयरक्राफ्ट कैरियर्स पर तैनात हैं। इसके बाद में दोनों जेट्स सिस्‍टम से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए फिट हैं। नौसेना के पास इस समय नया एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत है और एक पुराना आईएनएस विक्रमादित्‍य है। विक्रमादित्‍य सोवियत संघ का कीव क्‍लास का एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसका आधुनिकीकरण भारत में किया गया है। ये दोनों वॉरशिप्‍स स्टापबार एयरक्राफ्ट कैरियर हैं।



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