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भारत का निर्माण सत्य-अंहिसा पर आधारितः डॉ भागवत मानस भवन में आरएसएस द्वारा प्रबुध्दजन गोष्ठी का आयोजन

 भारत का निर्माण सत्य-अंहिसा पर आधारितः डॉ भागवत

मानस भवन में आरएसएस द्वारा  प्रबुध्दजन गोष्ठी का आयोजन



जबलपुर । राष्ट्रीय स्वंय संघ द्वारा शनिवार को मानस भवन प्रेक्षागृह में शाम ६बजे प्रबुध्दजन संगोष्ठी का आयोजन किया । संगोष्ठी का शुभारंभ मां भारती के समक्ष राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंचालक डॉ मोहन भागवत,मप्र-छत्तीसगढ़ के क्षेत्र संघ चालक अशोक जी,विभाग संघ चालक डॉ वैâलाश गुप्ता,प्रांत संघ चालक जबलपुर डॉ प्रदीप दुबे ने  दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके पश्चात सर्व प्रथम व्यक्तिगत गीत जाग उठा है हिंदू देखो........की प्रस्तुति संघ के एक स्वंय सेवक ने दी। प्रबुध्दजन गोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ मोहन भागवत ने कहा कि यह संगोष्ठी एक चिंतन का कार्यक्रम है। संघ विश्व में एक प्रसिध्द संगठन बना है इसलिए सभी संघ क्या कहता है इसे सुनने के लिए आते है।अपने देश में जो होना चाहिए वो सब लोग करें। संघ संपूर्ण समाज को संगठित करने का कार्य करता है जिससे हमारा देश इतना बड़ा है विविधता में भी एकता है।इसके लिए सभी को प्रयासरत रहना चाहिए। संघ का प्रयास है कि सभी एक दिशा में चलें। समाज के बिना राष्ट्र का अस्तित्व संभव नही है। यूरोप,अमेरिका में राष्ट्र के नाम से डर व्याप्त है। सारा विश्व एक ही सत्ता के आधीन है उसके बाद भी विश्व पर वर्चस्व कायम करने के लिए युध्द होते है। हाल ही में अमेरिका ने रसिया से लड़ाई की फिर वहीं चीन खड़ा हो गया। उसके बाद पुनः फिर से रसिया खड़ा होगया। सभी चाहते है हमारा डंडा चले इसके लिए कई देश आपस में भिंड रहे है। मनुष्य दुर्बल प्राणी है,इसलिए समूह बना कर चलता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के व्यापारी जब तक सुरक्षित है तब तक अमेरिका एक है। हमारे राष्ट्र में सदैव से शांति थी सभी मिलजुल कर चलते थे अनेक धर्म,अनेक भाषा सदेैव से है ऐसा वेदों में वर्णित है।विश्व में कई देशों ने शांति,सुख के लिए भौतिकता की कई खोजें की लेकिन शांति,सुख क्षणिक पाया लेकिन  हमारी ऋषियों की परंपरा ने अंदर की खोज की और उन्होंने जाना सारा विश्व एक परमात्मा की संतान है सब के अंदर वहीं निवास करता है। इसलिए वासुदेव कुटुम्बकम की अभिव्यक्ति की। कल्याण की कामना के साथ विश्व को हमें कुछ देना है इसलिए पीढ़ी दर पीढ़ी हमें कुछ अलग करते हुए विश्व को संदेश देना है जिससे सारे विश्व की समाज का कल्याण हो। हमारे यहां एक छोटे से गांव में रहने वाले को भी पता है कि हमें अपने लिए नहीं सभी के लिए जीना है। उसके बहुत से उदाहरण आप रोज हर क्षेत्र में देख सकते है जैस सब्जी के बाजार में जाओं तो सब्जीवाल आप से सभी सब्जी के पैसे लेगा लेकिन धनिया मिर्च अलग से दे देगा। वो इसलिए कि अगर लेनदेन में काई भूलचूक हो गई हो तो सामने वाला व्यक्ति धनिया मिर्च पाकर संतुष्ट रहे इससे ये भावना एक दूसरे के लिए सहयोग का भाव उतपन्न हो और हम सभी मिलजुल कर जीवन जियें।

सत्य पर बना है हमारा राष्ट्र भारत..................

डॉ भागवत ने कहा कि भारत प्राकृतिक रूप से सत्य अंहिसा पर बना है। उन्होंने कहा कि भारत से भी हजारों साल पहले कई लोग विदेश गए लेकिन उन्होंने किसी को लूटा नहीं,ठगा नहीं,मानवता का पाठ पढ़ा कर आए और जब भी भारत से शस्त्र उठाया गया तो न्याय के लिए उठाया गया। बल का उपयोग न्याय,सत्य अंहिसा के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि ये जरूरी नहीं की समाज की एकता के लिए संघ में ही आकर कार्य किया जाए। जो जिस क्षेत्र में कार्य कर रहा है वहीं से अपने देश की एकता और अखंडता के लिए कार्य कर सकता है। संघ तो सिर्फ समाज को एकता और अखंडता की आदत पड़ जाए इसलिए कार्य करता है। 

भारत बनेगा विश्व गुरू............

डॉ भागवत ने कहा कि भारत विश्वगुरू जरूरी बनेगा क्योकि शांति की पूर्णता का ज्ञान भारत के पास है,धर्म की पूर्णता का ज्ञान भारत के पास है और मानव जीवन की जितनी भी युक्तियों उनकी पूर्णता भारत के पास है इसलिए एक दिन भारत को विश्वगुरू सभी को स्वीकार्य करना पड़ेगा। हम ऐसा कार्य करें कि समाज में दरार नहीं आए एकता की भावना से हम सभी को मिलकर कार्य करना है।हर किसी को अपने पन की नजरों से देखना है। 

 पाठयक्रम में भी शामिल हो............

भारत के जो सत्य अंहिसा,शालीनता,शिष्टाचार और अन्य जिससे राष्ट्र निर्माण की अभिव्यक्ति सभी बच्चों के पास तक पहुंचे उसके लिए इन सभी को पाठयक्रम में शामिल करना चाहिए। जिससे आने वाले समय में भी हमारे संस्कार और भारत का यश,कीर्ति,वैभव के ज्ञान से कोई वंचित न रहे। 

वंदे मातरम् राष्ट्रगीत से समापन...........

प्रबुध्दजन गोष्ठी का समापन वंदे मातरम् राष्ट्रगीत से किया गया।गोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों ने वंदे मातरम का गायन किया इसके पश्चात कार्यक्रम का समापन किया गया। 

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