संस्कृति का पर्याय बना काशी–तमिल संगम,जबलपुर स्टेशन पर स्वागत से अभिभूत हुए रेल यात्री
जबलपुर । दक्षिण भारत ख्ी संस्कृति, बोली, पहनावा और उत्साह के दर्शन को जबलपुर रेलवे स्टेशन पर देखकर एक भारत श्रेष्ट भारत की कल्पना पूर्ण होती दिखती है, इसे दक्षिण भारत से चलकर पूरे मध्य भारत से गुजरने वाली एर्नाकुलम-पटना सुपरफास्ट ट्रेन के जबलपुर आगमन पर काशी–तमिल संगमम की दूसरी ट्रेन के सोमवार को जबलपुर पहुचने पर लोगो ने महसूस किया. काशी–तमिल संगमम की दूसरी ट्रेन, के सोमवार २१ नवम्बर को जबलपुर स्टेशन पहुचने पर इस ट्रेन के तीन वातानुकूलित तृतीय श्रेणी कोचों में सवार संगमम के समर्थको का पुनः जबलपुर में जोरदार स्वागत किया गया. चन्दन, चुनरी,गुलाब के साथ दक्षिण की धुन को सुनकर ट्रेन के महिला, पुरुष यात्री स्वयं को रोक नहीं पाए और दिल खोलकर नाचने लगे. स्टेशन पहुचने पर रेलवे के मंडल वाणिज्य प्रबंधक सुनील श्रीवास्तव, देवेश सोनी, स्टेशन डायरेक्टर म्रत्युन्जय कुमार, आर.पी.एफ. कमान्डेंट अरुण त्रिपाठी, रेलवे चिकित्सक डॉ. रवि शंकर मीना सहित रेलवे के अनेक अधिकारियो ने उक्त ट्रेन के यात्रियों का स्वागत किया. डी.आर.एम.विवेक शील के निर्देशन एवं वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विश्व रंजन के मार्गदर्शन में हुए उक्त सम्मान से सभी यात्री बहुत खुश नज़र आये और जबलपुर की प्रशंसा करते हुए गंतव्य काशी शहर की ओर रवाना हुए. स्टेशन पर स्वागत के इस अवसर पर जबलपुर यादव महिला समाज की जिलाध्यक्ष श्रीमती सुमन सिंह यादव, रचना यादव, सविता यादव, सीमा सिंह सहित अनेक पदाधिकारियो ने भी शामिल होकर उक्त यात्रियों का स्वागत किया. ट्रेन से लम्बी यात्रा करने वाले उक्त यात्रियों की सेवा के लिए रेलवे अस्पताल की चिकित्सा टीम, सेंट जॉन एम्बूलेंस ब्रिगेड के सदस्यों ने भी यात्रियों से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली तथा उनकी सुखद यात्रा के लिए बधाई दी. काशी-तमिल संगमम २०२२ ‘‘आजादी के अमृत महोत्सव‘‘ के हिस्से के रूप में भारत सरकार की एक पहल है इसमें ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ की भावना में तमिल भाषा के साथ ही भारतीय संस्कृति का भी उत्सव मनाया जा रहा है। जिससे दोनों दिशाओ के लोगो के बीच आपसी संबंधों और साझा मूल्यों को सामने लाया जा सके. उक्त कार्य में रेलवे के माध्यम से किये जा रहे उक्त कार्य इस दिशा में एक सराहनीय प्रयास है.