दुकानदार ग्राहक से कैरी बैग के नहीं वसूल सकता पैसा, वसूल करे तब करे शिकायत
नई दिल्ली।
त्यौहारी सीजन के मौके पर बाजारों में फेस्टिव सेल की शुरुआत हो गई है। इसके बाद अगर आप बाजार में सामान खरीदते समय कैरी बैग खरीदते हैं, तब उसके लिए आपको चार्ज देना पड़ता है, तब यह खबर आपके लिए है। बता दें कि दो साल के बाद त्यौहारी सीजन सेल को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग की शुरुआत कर दी है। इसके बाद इन कंपनियों के तमाम ऑफर्स और फायदों के बीच उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की भी विशेष जरूरत है। मोदी सरकार का नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 त्यौहारी सीजन में ग्राहकों को काफी मजबूती प्रदान करेगा।
देश में कई इसतरह के मामले सामने आए हैं, जिसमें कंज्यूमर फोरम ने बिग बाजार जैसी कंपनियों पर ग्राहक से कैरी बैग के लिए अलग से पैसे वसूलने पर जुर्माना लगाया है। दो साल पहले ही फोरम ने बिग बाजार को एक मामले में 10,000 रुपये कंज्यूमर लीगल एड अकाउंट में जमा करवाने के साथ शिकायतकर्ता को 500 रुपये केस खर्च देने का आदेश दिया था। इसके साथ ही शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिए 1 हजार रुपये और कैरी बैग के लिए वसूले गए 18 रुपये भी वापस करने के लिए कहा था।
मोदी सरकार ने देश के उपभोक्ताओं को आज से कई अधिकार दे दिए हैं। पूरे देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू है। कानून में दुकानदारों पर लगाम कसा गया है। नए कानून के मुताबिक अगर दुकानदार कैरी बैग का चार्ज वसूलता है, तब उपभोक्ता अगर उसकी शिकायत दर्ज कराता है, तब इस पर कार्रवाई होगी। कैरी बैग के लिए अतिरिक्त पैसा लेना नए कानून में दंडनीय हो गया है।
बता दें कि अब कोई भी ग्राहक सामान खरीदने के बाद कैरी बैग का डिमांड करता है, तब उसके लिए पैसे नहीं देना होगा। दूसरी बात यह भी है कि अगर वह ग्राहक सामान हाथ में ले जाने में सक्षम नहीं है, तब दुकानदार को कैरी बैग देना ही पड़ेगा। इस लेकर देश के कई उपभोक्ता फोरम में शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद उपभोक्ता फोरम ने कैरी बैग के पैसे लेने पर स्टोर या दुकानदार पर जुर्माना लगाना शुरू किया था। अब नए कानून में इस लेकर सख्त प्रावधान किए गए हैं।
कैरी बैग के नाम से 5 रुपये, 10 रुपये , 20 रुपये या 30 रुपये वसूले जाते हैं, तब उसके एवज में जुर्माना के प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही नए कानून में कई और खास बातें हैं, जैसे अब उपभोक्ताओं के पास अधिकार होगा कि देश के किसी भी उपभोक्ता अदालत में वह मामला दर्ज करा सके। पहले के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में ऐसा प्रावधान नहीं था।