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सिर्फ विमान सेवा बढ़ाने से कुछ नहीं होगा,सुविधाएं भी बेहतर करनी चाहिए विमान सेवा का हब बनाने सुविधाओं की दरकार महाकौशल का केन्द्र बिन्दू उपेक्षित

सिर्फ विमान सेवा बढ़ाने से कुछ नहीं होगा,सुविधाएं भी बेहतर करनी चाहिए
विमान सेवा का हब बनाने सुविधाओं की दरकार
महाकौशल का केन्द्र बिन्दू उपेक्षित

Need to improve Jabalpur air service


 


जबलपुर ।
 बीते कुछ महीनों में विमान सेवाओं के मामले में जबलपुर चर्चा में रहा है. यह चर्चाएं नकारात्मक भी थीं और सकारात्मक भी. सकारात्मक खबरों में जबलपुर से कई नए शहरों के लिये विमान सेवाएं शुरु हुर्इं. वहीं नकारात्मक चर्चाओं में विमानों में तकनीकी खराबी आना, इमरजेंसी लैंडिंग जैसी चर्चाएं रहीं. जमीनी स्थिति यही है की जबलपुर पूरे महाकौशल का विमानन हब जरूर बन गया है. लेकिन आज भी जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है. जिसके चलते यात्रियों को हर रोज अलग अलग तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. यहां सबसे बड़ी समस्या विमान पार्विंâग की है. एक समय पर दो विमान से ज्यादा लैंड नहीं हो सकते. यदि तीसरा विमान आता है तो उसे जगह खाली होने का इंतजार करना पड़ता है. पिछले तीन चार दिनों में सबसे अधिक यही समस्या सामने आई. विमानों को एप्रन में जगह नहीं मिलने से रनवे पर खड़े रहना या अन्य शहर के लिए डायवर्ट करना पड़ा। इसके अलावा डुमना का रनवे छोटा होने से बड़े विमान को लैंड कराने में दिक्कत आती है। गौरतलब है की डुमना में वर्तमान में दो पार्विंâग स्पेस है। इसमें दो एयरक्राफ्ट अथवा एक बम्बाडियर या एक एटीआर खड़ा किया जा सकता है। यदि तीसरा विमान आता है तो उसे रनवे पर ही खड़ा रहना पड़ता है। यदि इस दो विमान खड़े हैं तो एयरबस को लैंड ही नहीं कराया जा सकता है। वर्तमान में डुमना के रनवे की लंबाई करीब १७०० मीटर हो गई है। अधिकारिक रूप से इसकी लंबाई १९८८ मीटर है, जिसके कुछ हिस्से को बंद रखा गया है। जिसके चलते आपात लैंडिंग के लिये डुमना एयरपोर्ट उप्युक्त नहीं माना जाता है. इसी वजह से गत दिवस स्पाइस जेट के विमान में अंडरकैरेज की तकनीकी खराबी आई थी। इसके बाद उस विमान को कोलकाता से जबलपुर की बजाए जयपुर में लैंड कराना पड़ा था।

कतरा रहीं विमान कंपनियां........

वर्तमान में डुमना में प्रतिदिन कुल २४ उड़ानें शेड्यूल हैं। इस एयरपोर्ट में १२ विमान आते-जाते हैं। तो नान शेड्यूल विमान भी किसी मंत्री, मेडिकल इमरजेंसी में लैंड करते हैं। तब यात्री विमान को लैंडिंग में परेशानी होती है. जिसके चलते अधिकांश समय एयरपोर्ट प्रबंधन वीआइपी लैडिंग के बाद तत्काल विमान को रवाना करता है। यही वजह भी है की जबलपुर में नई विमान सेवा शुरू करने में निजी कंपनी जबलपुर से कतराती हैं.

करना पड़ेगा लम्बा इंतजार........

मार्च २०२३ तक एयरपोर्ट का विस्तार का काम पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद एयर पट्टी की लंबाई २७०० मीटर से ज्यादा हो जाएगी। तो यहां पर एक समय में आठ विमानों की पार्किंग के लिए एप्रन तैयार रहेगा। इस एप्रन में एक साथ चार एयरबस खड़े हो सकेंगे। इसके अलावा तीन एयरोब्रिज लगाए जा रहे हैं ताकि पैसेंजर को टर्मिनल से एयरोब्रिज के जरिए सीधे विमान में पहुंचने मिले।

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