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पदोन्नति में दोहरे मापदंड अपना रही शिवराज सरकार,अधिकारियों को मिल रही पदोन्नति, कर्मचारियों पर लगाए रखी है रोक



पदोन्नति में दोहरे मापदंड अपना रही शिवराज सरकार,अधिकारियों को मिल रही पदोन्नति, कर्मचारियों पर लगाए रखी है रोक

Shivraj government adopting double standards in promotion



भोपाल। 
प्रदेश सरकार पर कर्मचारियों ने पदोन्नति में दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लगाए है। कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारियों को पदोन्नति दी जा रही है और कर्मचारियों पर रोक लगाकर रखी गई है। कर्मचारियों का कहना है कि जब राज्य वन सेवा के अधिकारियों को भारतीय वन सेवा में पदोन्नत किया जा सकता है। डाक्टरों को पदोन्नति दी जा सकती है, तो हमें क्यों नहीं? स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में 451 डाक्टरों को द्वितीय से प्रथम श्रेणी में पदोन्नत किया है। इससे पहले सरकार राज्य वन सेवा, जल संसाधन विभाग में अभियंता, पशुपालन विभाग में डाक्टरों को पदोन्नति दे चुकी है। इसके अलावा पुलिस विभाग में मैदानी कर्मचारियों को वरिष्ठ पद का प्रभार दिया गया है। वर्तमान में प्रदेश में साढ़े चार लाख से अधिक नियमित कर्मचारी हैं।
प्रदेश में छह साल से पदोन्नति पर रोक है। पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसी को आधार बनाकर राज्य सरकार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्‍नत नहीं कर रही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जबलपुर के फैसले को यथास्थिति रखा है। जबकि आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी संयुक्त रूप से सरकार से कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन सशर्त पदोन्नति दे दें। फिर भी सरकार कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार कर रही है। इसके बावजूद, डाक्टरों की पदोन्नति से कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल 2016 को हाई कोर्ट ने मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 रद कर दिया था, तब से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगी है। इसके बाद अब तक 70 हजार से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमें से करीब 36 हजार को पदोन्नति नहीं मिली। सरकार ने पदोन्नति के विकल्प के रूप में वरिष्ठ पद का प्रभार देने का रास्ता तलाश किया था पर यह व्यवस्था भी पुलिस विभाग तक ही सीमित रह गई। इससे कर्मचारी भी खुश नहीं हैं। दरअसल, वरिष्ठ पद का आकर्षण मैदानी पदस्थापना वाले कर्मचारियों को तो है पर कार्यालयीन काम करने वाले कर्मचारियों ने इसे सिरे से नकार दिया। इस बारे में मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री एलएन शर्मा का कहना है कि पदोन्‍नति के संबंध में सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण है। सरकार को समान नियम बनाकर पदोन्न्ति करनी चाहिए।

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