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हिरोशिमा-नागासाकी पर गिरे परमाणु बमों ने दिया था भयावहता का परिचय,इसके बावजूद बढती रही परमाणु बमों और हथियारों की संख्या



हिरोशिमा-नागासाकी पर गिरे परमाणु बमों ने दिया था भयावहता का परिचय,इसके बावजूद बढती रही परमाणु बमों और हथियारों की संख्या

The number of nuclear weapons is increasing despite knowing the deadly consequences



वाशिंगटन । वर्तमान में रुस और यूक्रेन के मध्य संघर्ष जारी है। ऐसे में अगर युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो फिर उसका दुनिया पर क्या असर होगा, यह चिंता का विषय है। नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने परमाणु युद्ध के वैश्विक प्रभाव की चौंकाने वाली जानकारी दी है। 57 साल पहले जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बमों ने भयावहता का परिचय दिया था। इसके बाद परमाणु बमों और हथियारों की संख्या बढ़ती रही लेकिन उसका इस्तेमाल होते नहीं देखा गया। हां परमाणु बमों के विनाशकारी क्षमता जरूर बढ़ती रही। कई बार छोटे मोटे युद्ध हुए लेकिन दुनिया ने परमाणु बम का उपयोग नहीं देखा।
एलएसयू डिपार्टमेंट ऑफ ओशियोनोग्राफी एंड कोस्टल साइंस के एसिस्टेंट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक चेरिल हैरिसन और उसके सहलेखकों ने बहुल कम्प्यूटर सिम्यूलेशन के जरिए यह पता लगाने का प्रयास किया है कि आज के परमाणु हथियारों की क्षमताओं को देखते हुए पृथ्वी के तंत्रों पर उनका स्थानीय और व्यापक स्तर पर कैसा असर होगा।स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक फिलहाल दुनिया में केवल 9 देशों के पास करीब 13 हजार परमाणु हथियार हैं। सिम्यूलेशन हालात में परमाणु बम के कारण ऊपरी वायुमंडल में धुएं और कालिक फैल जाएगी जिससे सूर्य ढक जाएगी और दुनिया भर में ब्लैक आउट के हालात बन जाएंगे जिससे फसलों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।अध्ययन के अनुसार, परमाणु बम के हमले के बाद के पहले महीने में दुनिया भर का तापमान करीब 7 डिग्री सेल्सियस गिर जाएगा जो पिछले हिमयुग के बाद तापमान की सबसे बड़ी गिरावट होगी।

हैरिसन बताते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि कौन किस पर बम गिरा रहा है। ये भारत और पाकिस्तान हो सकते हैं या फिर नाटो और रूस। एक बार बम गिरा तो धुआं ऊपरी वायुमंडल में फैलान शुरू होकर पूरी दुनिया में फैलकर सभी को प्रभावित करेगा। धुंआ साफ होने के बाद भी महासागरों का तापमान तेजी से गिरेगा और फिर युद्ध से पहले की परिस्थितियों में वापसी नहीं होगी। पृथ्वी जैसे जैसे ठंडी होती जाएगी समुद्री बर्फ 60 लाख वर्ग मील और 6 फुट गहराई तक फैलती जाएगी। इससे बीजींग, कोपनहेगन, सेंट पीटर्सबर्ग जैसे कई शहरों के बंदरगाह बंद हो जाएंगे और उत्तरी गोलार्द्ध में जहाजों का परिवहन बंद हो जाएगा। और शंघाई जैसे शहरो में भोजन की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित होगी। बर्फ से आर्कटिक, उत्तरी अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत महासागरों में तापमान और प्रकाश कम हो जाने से समुद्री शैवाल मर जाएंगे और महासागरों की खाद्य शृंखला बुरी तरह से छिन्न भिन्न हो जाएगी।

इससे महासागरों में सूखे के हालात बन जाएंगे। मछली भोजन के रूप में उपलब्ध होना बंद होने लगेगी। परमाणु हथियारों क असर हर एक व्यक्ति पर होगा और पृथ्वी के एक दूसरे से जुड़े तंत्र ऐसे प्रभावित होंगे जैसे लगेगा कि वे विशाल ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित हुए हैं। हैरिसन का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच वर्तमान युद्ध दर्शाता है कि हमारी वैश्विक अर्थव्यवस्था कितनी नाजुक है और हमारी आपूर्ति शृंखला कितनी आसानी से अस्त व्यस्त हो जाती है। इसके अलावा परमाणु हथियारों से दुनिया के जीवों के अस्तित्व पर संकट आ जाएगा और बहुत सी प्रजातियां इस नए तरह के जलवायु परिवर्तन के मुताबिक नहीं ढल पाएंगीं।

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