संस्कारधानी में बच्चों को जबरन बाइबल पढ़ाने का मामला..
NCPCR की जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
जबलपुर मध्यप्रदेश
मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर जिले में धर्मांतरण के कुचक्र की सनसनीखेज कहानी सामने आने के बाद अब प्रशासनिक अमला एक्टिव मोड पर आ गया है। और जल्द ही वे लोग जो बच्चों को जबरन बाइबल याद कराने का काम कर रहे थे ,उन्हें जिला प्रशासन कानून का पाठ याद कराएगा। साथ ही विदेश में बैठे उनके आकाओं की भी खबर ली जाएगी जो इस कुचक्र को संचालित करने के लिए रुपयों की फंडिंग में लगे हुए हैं।
जानिए आखिर क्या है..पूरा मामला..
संस्कारधानी जबलपुर में इस बार धर्मांतरण के घिनौने खेल को अंजाम देने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को निशाना बनाया गया है। जहां इन बच्चों को जबरन बाइबल पढ़ने और याद करने के लिए मजबूर किया गया । इतना ही नहीं बच्चों द्वारा बाइबल याद ना किए जाने पर उन्हें शारीरिक एवं मानसिक यातनाएं देने की बात भी सामने आई है। चोरी छुपे चल रहे इस धर्मांतरण के घिनौने खेल की भनक लगते ही राष्ट्रीय बाल आयोग (NCPCR) अपनी एक टीम भेजकर इस पूरे मामले की सच्चाई उजागर की है।
कहाँ चल रहा था धर्मांतरण का खेल..
किसके इशारे पर हो रहा था..धर्मांतरण
आपको बता दें कि जबलपुर जिले के मंडला रोड गौरियाघाट बिलहरी मैं लंबे समय से एक बाल गृह का संचालन किया जा रहा है। जिसे करूणा नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर के नाम से जाना जाता है। इस जगह पर सामान्यतः अनाथ एवं दिव्यांग बच्चों की देखरेख का कार्य किया जाता है। लेकिन यह संस्था समाज सेवा की आड़ में एक धर्म विशेष के संदेश को फैलाने का काम कर रही थी। और अपने इन मंसूबों को कामयाब करने के लिए संस्था द्वारा छोटे-छोटे बच्चों को निशाना बनाया गया था।
(NCPCR) की जांच रिपोर्ट ने किए चौकाने वाले खुलासे...
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग को लंबे समय से बाल संप्रेक्षण गृह में धर्मांतरण किए जाने और धर्म विशेष का पाठ पढ़ाए जाने की खबर मिल रही थी। बाल गृह में बच्चों को मिल रही सुविधाओं के सुनिश्चितीकरण और चोरी छुपे चल रहे धर्मांतरण का पर्दाफाश करने के लिए आयोग द्वारा एक विशेष टीम का गठन किया गया है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोगNCPCR की जांच टीम ने जबलपुर में संचालित हो रहे इस बाल संप्रेक्षण गृह करुणा एनजेआरसी संस्था के निरीक्षण के दौरान ना केवल भारी अनियमितताओं को देखा बल्कि संस्था द्वारा चलाए जा रहे धर्मांतरण के खेल के साक्ष्य भी इकट्ठा किए हैं।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि करूणा नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर मैं अनाथ और दिव्यांग बच्चों को देखरेख के नाम पर उन्हें धर्म विशेष की पुस्तक रटाने का काम किया जा रहा था। इसके साथ ही बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं और उनके मौलिक अधिकारों को लेकर भी काफी अनियमितताएं जांच टीम को देखने में मिली है।
बच्चों ने जांच टीम को सुनाई आप बीती...
संस्था में व्याप्त अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद जांच टीम ने बच्चों से बात की बातचीत के दौरान बच्चों ने संस्था में संचालित हो रहे धर्मांतरण के घिनौने खेल की परत दर परत जानकारी दी। बच्चों ने जांच टीम को बताया कि उन्हें बाइबल को याद करने के लिए मजबूर किया जाता है और यदि किसी बच्चे को बाइबिल का पाठ याद नहीं होता तो उसके साथ ना केवल मारपीट की जाती है बल्कि उसे खाना भी नहीं दिया जाता। संस्था में बकायदा बाइबल को पढ़ाने के लिए बाहर से फॉदर आते हैं।
निरीक्षण के दौरान जांच टीम ने संस्था के कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों से भी बात की इस दौरान संस्था के कार्यकर्ताओं ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि बच्चों को ईसाई धर्म की शिक्षा दी जा रही है संस्था में व्याप्त अनियमितताएं और धर्मांतरण के घिनौनी खेल को लेकर बकायदा एक जांच रिपोर्ट तैयार की गई है। और इस रिपोर्ट में संस्थान के खिलाफ FIR दर्ज करने की सिफारिश की गई है।
कौन है पर्दे के पीछे का कलाकार..?? कहां से आता है संचालन का पैसा..??
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस संस्था को विदेशों में बैठी 12 संस्थाएं फंडिंग कर रही हैं इनमें यूएसए, इटली, स्पेन, नीदरलैंड ,यूके जैसे अन्य कई देश शामिल है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि संस्था के पास फंडिंग से जुड़े कोई भी कानूनी दस्तावेज नहीं है। मतलब
धर्मांतरण के इस घिनौने खेल को अंजाम देने के लिए गैर कानूनी फंड का इस्तेमाल किया जाता है।
NCPCR ने जबलपुर एसपी और कलेक्टर को दिए कार्यवाही के आदेश
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग NCPCR ने करूणा नवजीवन रिहेबिलिटेशन सेंटर के इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में तो असंतुष्टि जताते हुए, बच्चों के धार्मिक अधिकारों के हनन को लेकर कहां की संस्था द्वारा बच्चों के धर्मांतरण का प्रयास जेजे एक्ट का उल्लंघन है इस मामले को लेकर आयोग ने जबलपुर के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा और पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा को 10 दिन के अंदर कार्यवाही करके पालन प्रतिवेदन भेजने के लिए आदेशित किया है।