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एमपी पंचायत चुनाव पर रोक को लेकर हाई कोर्ट का इनकार अब सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं याचिकाकर्ता

एमपी पंचायत चुनाव पर रोक को लेकर- हाईकोर्ट का इंकार..
अब सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं याचिकाकर्ता...





जबलपुर (मध्यप्रदेश)


मध्यप्रदेश में चुनावी मौसम अभी खुलकर आया भी नहीं था कि उस पर रोक-टोक के बादल मंडराने लगे लेकिन गुरुवार की दोपहर तक माहौल एकदम साफ हो चुका है आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में होने वाले तीन स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश के 5 याचिका कर्ताओं ने अपनी आपत्ति दायर की थी उन्होंने पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए बकायदा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका भी दर्ज कराई थी इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने चुनाव पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। और अब इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।


जानिए प्रदेश में कहां-कहां से लगी थी आपत्ति की याचिका


मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव पर जारी आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए प्रदेशभर से लगभग 5 याचिकाएं दायर की गई है। जिनमें क्रमशः भोपाल निवासी मनमोहन नायर, नरसिंहपुर निवासी संदीप पटेल और भिंड से जिला पंचायत अध्यक्ष रामनारायण हिंडोलिया सहित अन्य पांच याचिकाओं में तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को चुनौती दी थी। बहरहाल मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इंकार किया है।


यहां जानिए आखिर किन तथ्यों के आधार पर दायर हुई याचिका...


मध्य प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर याचिकाकर्ताओं ने अपने तथ्य प्रस्तुत करते हुए यह आपत्ति जताई थी कि राज्य सरकार ने पूर्व की तरह आरक्षण लागू कर चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है। सरकार द्वारा यह अध्यादेश कांग्रेस शासनकाल में निर्धारित आरक्षण को निरस्त कर लागू किया गया है। प्रदेश सरकार का यह आध्यादेश पंचायत चुनाव एक्ट का उल्लंधन करता है। इसलिए इस चुनाव पर रोक लगाई जानी चाहिए।


याचिका में कहा गया था कि पंचायत एक्ट में रोटेशन व्यवस्था का प्रावधान है. पूर्व की तरह आरक्षण करना पंचायम एक्ट की रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है. इसके अलावा 2018 में निवाड़ी जिला का गठन किया गया है. बिना सीमांकन किए नए जिले में पंचायत चुनाव नहीं करवाए जा सकते है. जिला पंचायत, जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद भी रोटेशन प्रक्रिया के तहत निर्धारित करने का प्रावधान है।


 40 मिनट सुनवाई... 4 हफ्ते बाद की अगली तारीख


मध्यप्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाई गई याचिका पर चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगलपीठ ने लगभग 40 मिनट सुनवाई करने के बाद चुनाव प्रक्रिया में रोक लगाने से इनकार कर दिया। युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 7 जनवरी यानी 4 हफ्तों बाद की तिथि को  निर्धारित किया है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, पूर्व महाधिवक्ता शशंक शेखर और हिमांशु मिश्रा ने पैरवी की.


सर्वोच्च न्यायालय का खटखटाया जा सकता है दरवाजा



याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने जानकारी देते हुए बताया कि एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।

सुनवाई के बाद युगलपीठ द्वारा यह तर्क दिया गया कि पूर्व में ग्वालियर बैंच ने पंचायत चुनाव संबंधित चुनाव की सुनवाई करते हुए पंचायत चुनाव में रोक लगाने की अंतरित राहत देने से इनकार कर दिया था.ग्वालियर बैंच ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायिक अनुशासन के कारण दूसरे बैंच इस मामले में अलग व्यू नहीं ले सकती है।


याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने बताया कि इस संबंध में वह सर्वोच्च न्यायालय में याकिचा दायर करेंगे


विवेक कृष्ण तंखा (वरिष्ठ अधिवक्ता- याचिकाकर्ता)

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