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% का खेल..पार्ट-7 बिना सुरक्षा किट के.. किल कोरोना सर्वे... आखिर क्यों नहीं खुल रही... जिम्मेदारों की आंख...

 % का खेल..पार्ट-7
बिना सुरक्षा किट के..
किल कोरोना सर्वे...
आखिर क्यों नहीं खुल रही...
जिम्मेदारों की आंख...




कोरोना संक्रमण से जंग लड़ने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है। लगातार फैल रहे कोरोना संक्रमण को देखते हुए जन जन तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहचाने के उद्देष्य से "किल कोरोना अभियान -3" का संचालन ग्रामीण अंचलों में शुरू कर दिया गया है। इसे लेकर जबलपुर जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी ताबड़तोड़ सर्वे किया जा रहा है।जहां स्वास्थ्य कर्मी न केवल घर घर जाकर सर्वे कर रहे है। बल्कि पीड़ितों को उचित उपचार की जानकारी भी दे रहे है।



सिर्फ ओपचारिकता बना सर्वे...
संसाधन तो डकार गए जिम्मेदार


बिना संसाधनों और सुरक्षा किट के कैसे किल कोरोना सर्वे का ढोंग किया जा रहा है। इस कि पड़ताल के लिए विकास की कलम ने न्यू बहू उद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की प्रांतीय उपाध्यक्ष श्री मती दुर्गा मेहरा  से बातचीत की...

इस पर जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि शासन के आदेश अनुसार मैदानी कर्मचारियों को किल कोरोना सर्वे का कार्य करना है ।जिसके लिए टीम वर्क में वार्ड के अनुसार सर्वे का कार्य घर घर जाकर परिवार की जानकारी लेना है कि परिवार के किसी भी सदस्य को कोई भी  बिमारी या कोरोना के चिन्ह लक्षण तो नहीं है। लेकिन इस इतने बड़े अभियान में सर्वे करने जा रहे स्वास्थ्य कर्मियों को ग्लब्स, सेनेटाइजर, और मास्क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।इस बात के लिए कई बार जिम्मेदारों से शिकायत भी की गई। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।


न थर्मल स्कैनर और न ही ऑक्सीमीटर..
तो क्या सिर्फ दिखावा के लिए भेजा सर्वे करने..




आपको बतादें की किल कोरोना सर्वे में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का काम घर घर जाकर हल्के सर्दी, बुखार, खांसी के लक्षणों वाले मरीजों से बातचीत कर उनका टेंप्रचर लेना और अक्सीजन लेवल की जांच कर समझाइश देना एवं उन्हें घर पर ही दवा उपलब्ध कराना है । लेकिन सबसे चौकाने वाली बात यह है कि

फील्ड पर भेजे गए स्वास्थ्य कर्मचारियों के पास न तो खुद की सुरक्षा के लिए किट   है और न ही पर्याप्त दवा । इतना ही नहीं उनके पास न तो पल्स ऑक्सीमीटर है.. न ही थर्मल स्केनर... न मास्क.. न ग्लवस और न ही सेनाटाईजर।



अपने शानदार दफ्तर में 10 बार सेनेटाइजर से हांथ धोते है साहब..
और फील्ड पर एक एक बूंद सेनेटाइजर को तरसता स्वास्थ्य कर्मचारी...




सूत्र बताते है कि कोरोना काल के दौरान अधिकारी वर्ग इतना जागरूक हो चुका है। कि उसके दफ्तर में दर्जनों सेनेटाइजर की बोतल पहले से ही स्टॉक करके रखी हुई है। हर 10 मिनट बाद साहब अपने हांथों को सेनेटाइज्ड करते हुए दिखाई दे जाते है। लेकिन ये भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा ही समझिए कि निचले स्तर का वो स्वास्थ्य कर्मी जो घर घर जाकर न केवल संक्रमितों से रूबरू होता है बल्कि कई बार उन्हें छूना भी पड़ता है। उसे एक एक बूंद सेनेटाइजर के लिए भी मोहताज होना पड़ रहा है।



ज्यादा आवाज उठाओगे तो करवा दूंगा ट्रांसफ़र...




गौरतलब हो कि बीते कुछ दिनों से निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारी अपने साथ हो रहे अन्याय के विरोध में कर्मचारी संगठनों के बैनर तले अपने हक की आवाज बुलंद कर रहे हैं लेकिन यह बात कुर्सी पर बैठे भ्रष्ट अधिकारियों को रास नहीं आ रही है और वह अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल कर साम दाम दंड भेद की नीति से ना केवल मामले को दबाने में जुटे हुए हैं बल्कि स्वास्थ्य कर्मचारियों पर मुंह बंद रखने का दबाव भी बना रहे हैं।

अक्सर छोटे पद पर दैनिक वेतन भोगी या संविदा कर्मचारी इस लिए भी खामोश रह जाता है। क्योंकि अधिकारी कुर्सी पर बैठा है। कहीं वो दुश्मनी निकलते हुए उसे जबरन बर्खास्त न कर दे।

अपना नाम न बताने की शर्त पर एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने जानकारी देते हुए कहा कि उसे विभाग के एक अफसर की तरफ से एक फोन आया था। जिसमें अधिकारी के गुर्गे ने बेहद बदतमीजी भरे अंदाज में स्टाफ नर्स से बातचीत करते हुए कहा कि


आजकल तुम लोगों को बहुत नेतागिरी सूझ रही है... पिछली बार भी तुम्हारी मिन्नतें करने पर मैंने तुम्हारा ट्रांसफर रुकवा दिया था... लेकिन इस बार तुम लोगों का बहुत तेज मुंह चल रहा है.... हद में रहो वरना ट्रांसफर करवा देंगे....




कर्मचारी संघ कर चुका बर्खास्तगी की मांग लेकिन कुर्सी पर फेविकोल लगा कर बैठे है अधिकारी...


आपको बता दें कि बीते कुछ माह से भयंकर कोरोनावायरस के बीच निचले स्तर के सभी स्वास्थ्य कर्मचारी बिना किसी जीवन रक्षक लॉजिस्टिक के अपना काम करने को मजबूर हैं । इस अव्यवस्था के चलते कई बार खुद स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं यही कारण है कि नाराज कर्मचारी संघ ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक  और क्रय लिपिक पर स्वास्थ्य कर्मचारियों को दिए जाने वाले जीवन लॉजिस्टिक किट के पैसों का हेरफेर करने और स्वास्थ्य कर्मचारियों को बिना सुरक्षा संसाधनों के फील्ड पर जाकर काम करने के लिए मजबूर करने के आरोप लगाए हैं। इस बात को लेकर के कर्मचारी संघ ने ज्ञापन के माध्यम से जिला कलेक्टर कमिश्नर और प्रभारी मंत्री को भी एक लिखित आवेदन सौंपा है। लेकिन बताया जा रहा है कि कुर्सी पर बैठे अधिकारी की सेटिंग कुछ बड़े राजनेताओं के साथ है यही कारण है कि इतने बड़े स्तर पर भी शिकायत होने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।


वही इतना सब कुछ होने के बावजूद भी निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों को "किल कोरोना सर्वे" में इन सब जीवन रक्षक किट एवं दवा के अभाव में जानबूझकर  संक्रमित परिवारों के बीच झोंका जा रहा है ।

ऐसा नहीं है कि  इस बात की जानकारी  विभाग के बड़े अधिकारी  जिले के कलेक्टर  और  मंत्रियों को ना हो  लेकिन सब जानते हुए भी अधिकारी चुप्पी साधे हुए है ।


न्यू बहुउद्देशीय कर्मचारी संघ के सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने समस्त जीवन रक्षक किट और दवाओं उपलब्धता की मांग की है।



विकास की कलम के सवाल...


1. सर्वे के दौरान संक्रमित परिवारों के बीच में जाने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को जीवन रक्षक लॉजिस्टिक क्यों नहीं प्रदान की जा रही..???


2. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से आए जीवन रक्षक लॉजिस्टिक किट के ₹900000 के बजट का आखिरकार क्या किया गया..??


3. यदि बजट को अन्य मदों में खर्च किया गया तो क्या वह अन्य मद जीवन रक्षक लॉजिस्टिक से भी ज्यादा जरूरी थे और यदि हां तो विभाग इसकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं करता..???


4. समय-समय पर कई सामाजिक संगठन और नेताओं के द्वारा लाखों रुपए का मास्क सैनिटाइजर और संसाधन स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराए जा रहे हैं वह सब संसाधन कहां है..??


5.  बिना सुरक्षा संसाधनों के स्वास्थ्य कर्मचारी सर्वे कर रहे है। यदि सर्वे के दौरान कोई स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित होता है और इससे उसके या उसके परिवार के किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो इसके लिए कौन दोषी होगा..????


6. यदि किसी संक्रमित स्वास्थ्य कर्मचारी के जरिए सर्वे के दौरान कोई स्वस्थ परिवार संक्रमित हो जाता है तो इस घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा..???


7. जब स्वास्थ्य कर्मचारियों को पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर दिया ही नहीं गया तो वह फील्ड पर जाकर कौन से तंत्र मंत्र के जरिए आम जनता का निरीक्षण कर रहे हैं..???


8. स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिला कलेक्टर इस पूरे मामले को लेकर मौन क्यों हैं..??


9. आपदा को अवसर समझकर कोरोना महामारी की आड़ में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों की मनमानियां पर लगाम क्यों नहीं लगाई गई..??


10. क्या सिर्फ औपचारिकता निभा कर या फिर कागजों में कार्यवाही करते हुए कोरोना संक्रमण को खत्म किया जा सकता है यदि हां तो फिर लॉक डाउन की जरूरत ही क्या थी..???



विकास की कलम अपने जागरूक पाठकों के बीच इन 10 सवालों को रखते हुए इस लेख को यहीं पर बंद कर रही है और आशा करती है कि शायद हमारे जागरूक पाठक अपने स्तर पर इन सवालों का जवाब ढूंढेंगे। हम अपने पाठकों से अनुरोध भी करते हैं कि वह भी जिम्मेदारों से खुल कर सवाल करें। क्योंकि बिना सुरक्षा संसाधनों के घर घर पहुंचने वाले स्वास्थ्य कर्मचारी भी इंसान है वह भी संक्रमित हो सकते हैं और उनका परिवार भी संक्रमित हो सकता है।


 सवालों की जंग जारी रहेगी..
 विकास की कलम पर....


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