फुटबॉल विश्व कप से बढ़ी अड़ों की मांग, भारतीय पॉल्ट्री उद्योग की हुई बल्ले-बल्ले
मुंबई।
साल 2022 का फुटबॉल विश्व कप खाड़ी देश कतर में हो रहा है। फुटबॉल महाकुंभ में जुटे सभी खिलाड़ी गोल करने के लिए एक गोल-गोल गेंद के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन इस बार के विश्व कप में एक और गोल चीज है, जिसने सभी को अपना दीवाना बना लिया है। खाड़ी देश कतर में दुनियाभर के सैलानियों का जमावड़ा लगा है, जाहिर है इस समय खाने-पीने की चीजों की मांग भी काफी बढ़ गई है। खासकर अंडे की खपत काफी बढ़ी है, इस कमी को पूरा कर रहा है, भारतीय पॉल्ट्री उद्योग।
दरअसल, अभी तक खाड़ी देशों को अंडे का सबसे बड़ा सप्लायर यूक्रेन और तुकी थे। यूक्रेन फरवरी के बाद से ही रूस के साथ युद्ध में फंसा है। वहीं तुर्की अकेला इसकी सप्लाई करने में समर्थ नहीं है। इसका फायदा उठाया भारतीय पॉल्ट्री किसानों ने अपना निर्यात बढ़ाकर खाड़ी देश के अंडे के बाजार का फंडा समझ लिया। फुटबॉल विश्व कप के दौरान कतर में अंडे की मांग और बढ़ी है। आसपास के देशों ओमान, यूएई में भी अंडे की बढ़ी मांग भारतीय उद्योग ही पूरा कर रहा है।
ऑल इंडिया पॉल्ट्री प्रोडक्ट एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रमुख के सिंहराज ने बताया कि खाड़ी देशों में भारतीय अंडे की मांग इसकारण भी ज्यादा बढ़ रही है, क्योंकि यह तुर्की के मुकाबले काफी सस्ता भी पड़ता है। 360 अंडों का एक कैरेट तुर्की से जहां 36-37 डॉलर के हिसाब से आता है, वहीं भारत इस 30-31 डॉलर के हिसाब से भेजता है। भारत के तमिलनाडु स्थित नमक्कल से सबसे ज्यादा अंडों का निर्यात किया जाता है। इस देश में अंडा उत्पादन का हब माना जाता है, जहां रोजाना 4.5 करोड़ अंडों का उत्पादन होता है, जबकि पूरे देश में रोजाना 30 करोड़ अंडों का उत्पादन हो रहा है।
ऐसा नहीं है कि खाड़ी देशों में भारतीय अंडों की मांग अभी बढ़ी है। पांच-छह साल पहले भी भारत से बड़ी मात्रा में अंडे का निर्यात खाड़ी देशों को किया जाता था, लेकिन यहां बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद अंडों का निर्यात कम हो गया। इसके बाद कोरोना महामारी ने उद्योग को और नुकसान पहुंचाया। फिलहाल यह उद्योग वापस पटरी पर लौट रहा और रोजाना अंडे का निर्यात करीब 3 करोड़ पहुंच गया है। खाड़ी देशों को अंडों का निर्यात बढ़ने से सबसे ज्यादा लाभ किसानों को मिलेगा। घरेलू बाजार में अंडे की उत्पादन लागत बढ़ गई है, लेकिन यहां कीमत काफी कम रही जिससे किसानों को लाभ नहीं मिला। कोरोनाकाल में एक अंडे की उत्पादन लागत 4.50 रुपये, जबकि उसकी कीमत 4.75 रुपये से 5 रुपये तक रही थी। अभी यह 5.50 से 7 रुपये के दायरे में पहुंच गई है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा और उन्हें अपनी लागत निकालने में आसानी होगी।