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कृषि वैज्ञानिकों ने जानी सिंघाड़ा फसल की समस्याएं

 कृषि वैज्ञानिकों ने जानी सिंघाड़ा फसल की समस्याएं 

 


जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन एवं विश्वविद्यालय के प्रमंडल सदस्य डॉ. बृजेश दत्त अरजरिया के मार्गदर्शन में एवं संचालक विस्तार सेवाएं डॉ. दिनकर प्रसाद शर्मा के निर्देशन में विश्वविद्यालय से कृषि वैज्ञानिकों का एक दल बनाया गया। यह कृषि वैज्ञानिकों का दल पनागर के ग्राम बमनौदा पहुंचकर, सिघाड़ा उत्पादक कृषकों की तालाब में लगी फसल का निरीक्षण कर सिंघाड़ा की फसल को प्रत्यक्ष देखा एवं सिंघाड़े में लगने वाले कीट एवं लोगों की समस्याओं को जाना। इस दौरान फसल में अन्य कोई महत्वपूर्ण समस्या तो नहीं है, इसकी प्रयोगशाला में जांच हेतु कुछ नमूने भी अपने साथ विश्वविद्यालय लेकर आये, ताकि समस्या का पूर्ण समाधान हो सके। कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा ग्राम बम्नौदा में सिंघाड़ा के पौधों का बारीकी से जांच उपरांत विभिन्न दवाइयां एवं समाधान की बात कही। विश्वविद्यालय के प्रमंडल सदस्य बृजेश अरजरिया द्वारा किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु विशेष प्रयास एवं मार्गदर्शन प्रदान किया गया। आपका कृषकों के उत्तरोत्तर उन्नति एवं प्रगति हेतु लगातार मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सिंघाड़ा कृषकों के लिये एक प्रशिक्षण का भी आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में वैज्ञानिकों ने बताया कि वैज्ञानिक अनुशंसा के आधार पर ही रासायनिक एवं जैविक दवाओं का इस्तेमाल सिंघाड़ा की फसल में करना चाहिए एवं अच्छा उत्पादन प्राप्त करने हेतु हमारे समस्त किसान भाई कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश का विशेष ध्यान रखते हुए सिंघाड़ा खेती तकनीक को जानकर खेती करने की जरूरत है, ताकि आगामी वर्षों में रोग एवं कीटों की कम से कम समस्या आए एवं नुकसान से बचाया जा सके। वैज्ञानिक दल में विश्वविद्यालय से डॉ. जयंत भट्ट, विभागाध्यक्ष पद रोग विभाग, डॉ. एस. बी. दास विभागाध्यक्ष कीट शास्त्र विभाग, डॉ. एस. बी. अग्रवाल, डॉ. ए.के. सक्सेना, डॉ. प्रमोद गुप्ता, डॉ. आर. एस. मरावी, आदि वैज्ञानिकों के दल ने डायग्नोस्टिक विजिट कर, सिंघाड़ा की समस्याओं को जाना एवं त्वरित समाधान प्रदान किया गया। 

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