भाजपा टिकट वितरण को लेकर धरने पर बैठी महिला नेत्री
अपनी ही पार्टी पर लगाये गंभीर आरोप
(नर्मदापुरम) भाजपा में टिकट वितरण पर भडका आक्रोश, महिला नेत्री धरने पर बैठी संगठन में मचा बवाल
-टिकट वितरण में परिवारवाद और चहेतों को उपकृत करने का लगाया गंभीर आरोप
नर्मदापुरम । जिले में भाजपा संगठन पर नगरीय निकाय चुनाव के टिकट वितरण में परिवारवाद और चहेतों को टिकट देकर उपकृत करने के गंभीर आरोप लग रहे है। पार्टी से बगावत करने पर निष्काशित हुये कार्यकर्ताओं को भी इस बार उपकृत किया है। पूर्व के चुनाव में जिन्होने पार्टी से बगावत की थी। उन्हे भी उपकृत कर जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया है। जिसके चलते कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है। शहर के वार्ड 30 ग्वालटोली की वार्ड अध्यक्ष एवं विधायक प्रतिनिधि रेखा यादव ने टिकट नही मिलने से नाराज होकर अपनी महिला समर्थकों के साथ भाजपा कार्यालय के गेट पर धरने पर बैठकर आक्रोश व्यक्त किया। रविवार को भी वह धरने पर बैठी रही। जिसके बाद खासा बवाल मच गया। भाजपा नेत्री रेखा यादव ने गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि पार्टी में इस बार के परिवारवाद हावी हो गया, जिसकी उम्मीद नहीं की थी। नेता और पूर्व पार्षदों की पत्नियों को टिकट बांट दिए गए, जो कभी कार्यालय में नही दिखी। जबकि सालों से झंडा उठाने, दरी बिछाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं खासकर महिलाओं की उपेक्षा की गई है। कल से धरने पर बैठी हूं पर जिलाध्यक्ष माधवदास अग्रवाल मिलने तक नही आये। रेखा ने बताया कि प्रदेश में पार्टी का पहला वार्ड कार्यालय उन्होंने अपने वार्ड में खोलकर वार्डवासियों की सेवा की है विधायक निधि सहित सरकार की योजनाओं का जरुरमंद लोगों , गरीब महिलाओं को लाभ दिलाया। जब टिकट की बारी आई तो पैनल में नाम होने और वार्ड की जनता की इच्छा को भी दरकिनार कर पूर्व पार्षद की पत्नी को टिकट दे दिया गया। रेखा का यह भी आरोप था कि जिसे टिकट दिया गया है, वह एक दिन भी वार्ड में नहीं घूमीं और उनके पति ने पिछले नपा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करते हुए भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी प्रशांत पालीवाल को भी हराया था। बता दें कि इस वार्ड से पार्टी ने पूर्व पार्षद सभापति इमरतलाल यादव उर्फ मुन्ना ग्वाला की पत्नी निर्मला यादव को टिकट दिया है। रेखा यादव ने कहा कि हम जैसी गरीब व सक्रिय महिलाओं का दुर्भाग्य है कि हमारी बड़ी बहन माया नारोलिया के महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष होते हुए भी टिकट के लिए भटकना और संघर्ष करना पड़ रहा है।