रिश्वतखोर संयुक्त संचालक की पीठ थपथपा रहा शिक्षा विभाग
जनजन तक ज्ञान का प्रकाश फैलाने और सत्य की राह में चलने का संदेश देने वाला शिक्षा विभाग इन दिनों रिश्वत खोर अधिकारी कर्मचारियों की पैरवी करने के चलते काफी चर्चा में है।मामला जबलपुर के शिक्षा विभाग से जुड़ा है। जहां बीते वर्ष शिक्षा विभाग में हुई कार्यवाही से पूरा विभाग कटघरे में आकर खड़ा हो गया था।आपको बतादें की संयुक्त संचालक शिक्षा राम मोहन तिवारी को लोकायुक्त जबलपुर ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था।उनके साथ दो अन्य लिपिक भी लोकायुक्त की गिरफ्त में आये थे। लेकिन तिवारी जी की विभागीय पकड़ के चलते उन्हें मौके पर ही जमानत पर छोड़ दिया गया। इससे न केवल भ्रष्टाचारियो के हौसलें बुलंद हुए बल्कि विभाग की शह मिलने की भी पुष्टि हुई।
शान से अपना पद संभाल रहा रिश्वतखोरी का आरोपी
इसे शिक्षा विभाग की मेहरबानी ही कहें या फिर आला दर्जे की सेटिंग ।जिसके चलते संयुक्त संचालक आज भी अपने पद पर बने हुए है। और बेख़ौफ़ होकरसभी गतिविधियों को संचालित कर रहे है। वहीं इस घटना के बाद से ही उनकी शिकायत करने वालों की शामत आ गयी।बताया जा रहा है कि लोकायुक्त में शिकायत कर रिश्वत खोर संयुक्त संचालक को ट्रेप कराने वाली महिला भृत्य सहित अन्य कर्मचारियों पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में कार्य करने तथा लोकायुक्त की कार्यवाही को गलत साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।
तत्काल निलंबित हो प्रभारी संयुक्त संचालक-कर्मचारी संघ
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने बताया कि शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक राममोहन तिवारी एवं अन्य दो लिपिक लोकायुक्त विभाग द्वारा रिश्वत लेते रेंज हाथ पकड़े जा चुके है।जिन्हें भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा - 7 एवं 13 ( 1) डी . 13 ( 2 ) के तहत् प्रकरण पंजीबद्ध कर गिरफ्तार किया गया था।इस पूरे खुलासे के बावजूत शिक्षा विभाग न केवल भृस्ट अधिकारियों की पैरवी करता नजर आ रहा है। बल्कि अपने मूक समर्थन से उनका उत्साह भी बढ़ा रहा है। यही कारण है कि ट्रेप हुए मुख्य अभियुक्त संयुक्त संचालक श्री राममोहन तिवारी पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई वहीं सह अभियुक्त लिपिकों को जबरिया अन्यंत्र स्थानांतरित कर दिया गया है । कर्मचारी संघ ने आयुक्त लोक शिक्षण मध्य प्रदेश भोपाल से मांग की है कि लिपिकों की नवीन पदस्थपना निरस्त करते हुए मुख्य अभियुक्त प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण जबलपुर के विरूद्ध निलंबन की कार्यवाही की जाये । अन्यथा कर्मचारी संघ शिक्षा विभाग में धरना , प्रदर्शन और आन्दोलन करेगा जिसका संपूर्ण उत्तर दायित्व शिक्षा विभाग का होगा।