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शिवराज सरकार की बाल सेवा योजना ने संवारी.. जिले के 59 बेसहारा बच्चों की जिंदगी..

शिवराज सरकार की बाल सेवा योजना ने संवारी..
जिले के 59 बेसहारा बच्चों की जिंदगी..




कोरोना से माता-पिता की असमय मृत्यु के बाद जिंदगी की मुश्किलों से जूझ रहे जबलपुर जिले के 59 बेसहारा बच्चों के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना वरदान साबित हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन सभी अनाथ बच्चों का अभिभावक बनकर इनके भरण-पोषण और पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम किया है। 

पिता का साया और मां के आंचल की छाया खो चुके इन बच्चों के सामने जिंदगी की जद्दोजहद, कठिनाईयों और संघर्ष का दौर मुंह बायें खड़ा था, ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने मामा होने का फर्ज निभाकर बेसहारा हुए बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के रूप में मजबूत सहारा दिया। 

बी.कॉम. प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे शांतिनगर निवासी 19 वर्षीय अर्चित अनमोल जैन के ऊपर तो कोरोना का कहर टूट पड़ा, उनके पिता अरविंद जैन की 2 अप्रैल को तो माता संगीता जैन की 18 अप्रैल को कोरोना से मृत्यु हो गई। ऐसे में अर्चित और उनकी बड़ी बहन समीक्षा जैन के सामने न केवल भरण-पोषण, बल्कि आगे की पढ़ाई-लिखाई की समस्या आ खड़ी हुई। जिंदगी की इस मुश्किल घड़ी में मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा घोषित मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना अर्चित के जीवन का सहारा बनी। अर्चित की संरक्षक बनी उनकी बड़ी बहन समीक्षा ने बताया कि उन्हें 21 जुलाई को 5 हजार रुपये की सहायता राशि मिल गई है, अभी खाद्यान्न भी मिलेगा। मुख्यमंत्री मामा ने उनके जीवन में आगे बढ़ने की राह बनाई है। मुख्यमंत्री से मिली मदद की बदौलत वे अब पढ़-लिखकर माता-पिता के सपनों को पूरा कर सकेंगे। 

बाई का बगीचा निवासी 19 वर्षीय कर्मेश बोहरे ने बताया कि बीते 10 अप्रैल को उनके पिता राजेश बोहरे का निधन हुआ। जबकि माता नमिता बोहरे की वर्ष 2015 में ही मृत्यु हो गई थी। पहले माता फिर पिता की मृत्यु के बाद तो मुझे मेरी जिंदगी में चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देने लगा। तभी मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना लागू कर मेरे जैसे बेसहारा हुए अनेक बच्चों के लिए शानदार पहल की। शासकीय कला निकेतन पॉलीटेक्निक कॉलेज से प्रिंटिंग का डिप्लोमा कोर्स कर रहे कर्मेश बोहरे कहते हैं उनके चाचा संतोष बोहरे उनके संरक्षक बने हैं उनके खाते में 5 हजार रुपये आ चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि जल्दी ही उन्हें नि:शुल्क खाद्यान्न भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने आड़े वक्त में मेरे उदर-पोषण और पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम कर मुझे चिंता मुक्त कर दिया, मैं उनका बहुत आभारी हूं।

मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत पांच हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न के साथ-साथ नि:शुल्क पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था भी राज्य शासन द्वारा की जाती है। 

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