Vikas ki kalam

हम बोलेगा.. तो बोलोगे की..बोलता है..







● अगर ख़बर छपी तो अब... मामा कान मरोड़हें..
● सुनो चाचा..मूड़ ने फुड़वाने हो तो ,हेलमेट पहन के जइयो..
●हर दूसरी गली में तो चल रहा है..गैस रिफलिंग का खेल..



अगर ख़बर छपी तो अब... मामा कान मरोड़हें..


वो जो कहते थे कि छाप दो जो छापना है..अब उनके हाल ठंडे पड़े है। क्यों कि उनके हौसलों को पस्त करने प्रदेश के मुखिया ने अल्टीमेटम जारी कर दिया है। प्रदेश में बैठे भृष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने मामा शिवराज ने दो टूक लहजे में स्प्ष्ट किया है कि अगर विभाग की ख़बर छपी तो एक्शन जरूर होगा। या तो संबंधित अधिकारी खुद उस ख़बर का सार्वजनिक खंडन करे नहीं तो मैं ख़बर के आधार पर कार्यवाही करूंगा।
सीएम के इस बयान के बाद से ही दफ्तरों में बैठे साहब से लेकर बाबू तक सकते में आ चुके है। सब जानते है कि शिवराज क्रेजी मूड में है।लिहाजा बातों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। इधर बयान आते ही कुछ पत्तलकारों की आंखों में भी चमक दिखाई देने लगी। लेकिन मामा ने उनका भी इलाज खोज रखा है। बहरहाल मामा के इस पौआ से विभाग की बत्ती जल उठी है। लिहाजा अब बेहद लिहाज के साथ काम करने की रणनीति बनानी पड़ेगी। वहीं काम के साथ साथ सोशल मीडिया में गुणगान की भूमिका भी अदा करनी होगी। अब पहले जैसे नहीं चलेगा कि "ख़बर छप भी गई तो.. क्या उखाड़ लेहें" क्योंकि..अगर ख़बर छपी तो अब... मामा कान मरोड़हें..


सुनो चाचा..मूड़ ने फुड़वाने हो तो ,हेलमेट पहन के जइयो..

चाय के एक चर्चित टपरा में चाय की चुस्कियां लेते हुए एक चाचा ने जैसे ही हेलमेट की ख़बर पढ़ी। वैसे ही झुंझलाते हुए पास खड़े लोगों से जबलपुरिया अंदाज में बतोलेबाजी करना शुरू कर दिया। हेलमेट चेकिंग अभियान से नाराज चाचा ने इसे उगाही का फंडा बताते हुए कहा..
"काय.. का वाकई जबलपुर में हेलमेट की जरूरत है। इते तो ढंग की सड़क भी नइयां। ऊपर से गुटखा थूंकत समय पूरे छिट्टा मुंह में आत है। हेलमेट पहनो तो बगल वालो दिखात भी नई। और तो और जा टोपी भी खुबई वजनी है। समझ नई आ रओ का करें.."
तभी टपरे में खड़े एक बच्चे ने बेहद अनोखे तर्क के साथ हेलमेट की उपयोगिता समझाते हुए कहा कि..
"शहर में चारों तरफ गढ्ढे खुदे पड़े है। जौन सी कुलिया से जाहो गढ्ढा उतई पाहो..अगर धोखे से भी सड़क छोड़ गढ्ढा की चपेट में आए तो हफ़्ता खाण अस्पताल में ढेरा जमाने पढहे। हाथ पैर को तो नई पता पर हेलमेट हुइहे तो कम से कम मूड़ तो बचा लेहो..एइसे कह रहे है..
सुनो चाचा..मूड़ ने फुड़वाने हो तो ,हेलमेट पहन के जइयो..


हर दूसरी गली में तो चल रहा है..गैस रिफलिंग का खेल..

शहर में इन दिनों अवैध गैस रिफिलिंग का खेल जमकर फल फूल रहा है जहां बिना किसी सुरक्षा साधनों के घरेलू गैस टंकी से कभी ऑटो तो कभी मारुति वैन मैं गैस पलटाने का काम चल रहा है। यह काम शहर के लगभग हर मोहल्ले और चौराहों पर डंके की चोट के साथ अंजाम दिया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि इस बात की भनक जिम्मेदारों को ना हो बल्कि कहा तो यह तक जा रहा है की इस अवैध काम को करने वाले लोग बकायदा जिम्मेदारों को पूरी कहानी बताकर ही कारोबार की शुरुआत करते हैं। यही कारण है कि हर दूसरी गली में किसी टपरे के किनारे लाइन लगाकर ऑटोवाले गैस रिफिलिंग करवाते दिख जाते हैं। हद तो यह है कि अधिकतर ठिकाने पुलिस थानों के आसपास ही गुलजार है। लेकिन अफसोस की बात है कि चौबीसों घंटे गश्त करने वाली पुलिस ना तो इन ऑटो वालों को देख पाती है और ना ही वे रिफिलिंग स्टेशन जहां अवैध रूप से गैस भरी जा रही है। ये सिस्टम है जनाब..यहां मौसम के हिसाब से कार्यवाही होती है।और फिलहाल हेलमेट का मौसम है। लेकिन बीते दिन किसी बेवकूफ की गलती के चलते अचानक मौसम बिगड़ गया। लिहाजा अब तो कार्यवाही करनी ही पड़ेगी। कहते है कि एक साहब ने बड़े रुबाब के साथ अपने अधीनस्थ से पूछा बताओ कौन से कोने में छुप कर गैस वाले कर रहे है मेल...??
तो दबे लहजे में जबाब आया..हर दूसरी गली में तो चल रहा है..गैस रिफलिंग का खेल..


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