परदेश में भी गूंजा
किसान आंदोलन के
समर्थन का नारा..
हिंदुस्तान में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही एक और जहां देश भर से कई संगठनों के जरिए कृषि कानून के खिलाफ चल रहे इस किसान आंदोलन को समर्थन दिया जा रहा है वही अब इस किसान आंदोलन की आग परदेस (विदेश) तक जा पहुंची है। किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशों में भी प्रदर्शन और रैलियां की जा रही है प्राप्त जानकारी के अनुसार कनाडा के बाद ब्रिटेन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
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लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने हुआ प्रदर्शन
भारतीय किसानों की बदहाल स्थिति किसी से भी छुपी हुई नहीं है और उस पर से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून को लेकर किसान काफी व्यथित है किसानों को लगता है कि इस नए कानून के जरिए किसानों की मुश्किलें और भी बढ़ जाएंगी जिसके विरोध में देश की राजधानी में किसान आंदोलन का आगाज किया गया है देशभर से समर्थन मिलने के बाद किसानों का यह दर्द अब विदेशों तक जा पहुंचा है खबरों के अनुसार ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भारतीय उच्चायोग कार्यालय के पास बड़ी संख्या में लोगों ने इकट्ठा होकर प्रदर्शन किया। सूत्रों के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने लगभग 40 वाहनों के साथ प्रदर्शन करने के लिए मेट्रोपॉलिटन पुलिस लंदन से अनुमति मांगी थी जबकि भारतीय उच्चायोग विदेश कार्यालय और ग्रह कार्यालय तक 3500-4000 प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो गए और किसान आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी करने लगे।
भारतीय उच्चायोग के प्रेस अधिकारी ने जारी किया बयान
उपरोक्त मामले की जानकारी देते हुए भारतीय उच्चायोग लंदन के प्रेस अधिकारी विश्वेश नेगी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों द्वारा कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में एकत्र होकर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन किया है जिसे लेकर सुरक्षा के लिहाज से लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर स्थिति को नियंत्रण में लिया।लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के दौरान कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से चार लोगों को रिहा कर दिया गया लेकिन नौ लोग अभी भी हिरासत में हैं।आगे आने वाली अप्रिय घटना से बचने के लिए भारतीय दूतावास की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं
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प्रदर्शन की आड़ में भारत विरोधी एजेंडे को हवा देने का काम - विश्वेश नेगी
भारतीय उच्चायोग के प्रेस अधिकारी विश्वेश नेगी ने जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय किसानों के समर्थन में प्रदर्शन के बहाने भारत विरोधी अलगाववादियों की अगुवाई में भारत विरोधी एजेंडे को हवा देने का काम किया जा रहा है भारत में कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसे लेकर भारत सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रही है जो कि निरंतर जारी है यह भारत का एक आंतरिक मुद्दा है और इसे लेकर के अन्य देशों में प्रदर्शन किया जाना अनुचित है।
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अमेरिका में भी गूंजा किसान आंदोलन समर्थन का नारा
ब्रिटेन में हुए प्रदर्शन के बाद अमेरिका मैं भी किसान आंदोलन समर्थन के नारे बुलंद हुए अमेरिका में कैलिफोर्निया और सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास से ऑकलैंड तक किसान एकजुटता रैली निकाली गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए इस रैली के वीडियो में लोग किसानों के आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी और तख्तियां लहराते हुए दिखे रिपोर्ट बताती है कि "किसान एकजुटता रैली" का आयोजन एक संगठन ने किया था जिसे "जकारा आंदोलन" का नाम दिया गया
ऑस्ट्रेलिया में भी निकली किसान आंदोलन समर्थन की रैली
किसान आंदोलन के मुद्दे में कितनी गर्माहट है इस बात का अंदाजा यूं लगा लीजिए कि देश तो देश विदेशों में भी इस आंदोलन की आग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ब्रिटेन और लंदन के बाद ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भी बीते दिन भारतीय वाणिज्य दूतावास से संसद भवन तक किसान रैली निकाली गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए क्षेत्रीय लोग शामिल हुए और सभी ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया कनाडा के टोरंटो में स्थित भारतीय दूतावास के बाहर सुबह से ही सैकड़ों लोग प्रदर्शन करने एकत्र हो चुके थे हां सभी ने किसानों के समर्थन में अपनी बात रखते हुए नारेबाजी की और किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया।
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8 दिसंबर को हुआ भारत बंद का ऐलान
गौरतलब हो कि भारत सरकार के नए कृषि कानून के विरोध विरोध में देशभर के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं वही देश की राजधानी में सिंधु बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से
सैकड़ों हजारों की संख्या में किसान आंदोलन पर बैठे हुए हैं सरकार और किसान के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो कि अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची है इस दौरान सरकार को किसानों के बीच की अगली बैठक 9 दिसंबर को तय की गई है लेकिन इससे पहले 8 दिसंबर को देशभर के किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान किया है।
आपको बता दें कि प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि सरकार इस नए कृषि कानून को वापस ले किसानों ने से काला कानून करा दिया है किसान चाहते हैं कि सरकार उन्हें एमएसपी (MSP) को लेकर ठोस भरोसा दे वहीं सरकार किसानों की मांगों को लेकर सहमत नहीं है लेकिन किसानों की कुछ मांगों पर सरकार राजी होती भी दिखाई दे रही है।
*किसान आंदोलन का असर* *राजधानी में ठप्प हुआ कारोबार* *300 करोड़ के नुकसान की संभावना*
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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