Karwa Chauth में महिलाएं
अकसर कर देती है ये गलतियाँ..
यहां जाने नियम,मुहूर्त और पूजा-विधि
अपने पति की लंबी उम्र की कामनाओं के लिए दिन भर निर्जला व्रत रखकर किए जाने वाले कठिन उपवास को करवा चौथ व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। प्रमुखता से यह पर्व भारत के पंजाब उत्तर प्रदेश हरियाणा मध्यप्रदेश और राजस्थान मैं काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ होती है व्रत के दौरान महिलाएं दिन भर भूखी प्यासी रहकर तपस्या रूपी व्रत करती हैं। और शाम को चांद की पूजा कर उससे अपने पति की लंबी आयु का वर मांगा जाता है जिसके बाद पति अपनी पत्नी को जल और मीठा खिला कर उसके व्रत का पारायण करवाता है वैसे तो इस व्रत के काफी कठिन नियम है लेकिन अक्सर महिलाएं इसे अपने अपने परिवार की मान्यताओं के अनुसार ही मनाती है। इस बार करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर को बुधवार के दिन मनाया जाएगा। आइए जानते हैं करवाचौथ से जुड़ी बारीकियों के विषय में...
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आखिर कैसे हुई करवा चौथ व्रत की शुरुआत
प्राचीन कथाओं के अनुसार करवा चौथ व्रत की शुरुआत देव काल में हुई थी। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच हो रहे युद्ध के दौरान देवता पराजित हो रहे थे सभी देवताओं ने युद्ध जीतने का उपाय ब्रह्म देव से मांगा। जिस पर ब्रह्म देव ने देवताओं से कहा कि वे अपनी पत्नियों को एक विशेष व्रत रखने की सलाह दें ।परम पिता ब्रह्मा देव के इस सुझाव को सभी देव पत्नियों ने सहजता से स्वीकार किया। ब्रह्म देव के बताए हुए समय आने कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन , देव पत्नियों ने अत्यंत कठिन इस निर्जला व्रत को रखा। परिणाम स्वरूप शाम होते-होते तक देवता युद्ध में जीत गए। जीत के बाद जब देवता अपने घर पहुंचे। तो उन्होंने अपने हाथों से अपनी पत्नियों को पानी और आहार खिलाया। उस समय आकाश में सुंदर चांद खिला हुआ था। माना जाता है कि उसी दिन से करवा चौथ के व्रत की परंपरा का शुभारंभ हुआ। हालांकि करवा चौथ को लेकर अलग-अलग रीति और परंपराओं में के तरह की दंत कथाएं प्रचलित हैं । लेकिन सभी कथाओं में पत्नियों द्वारा व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना किया जाना महत्वपूर्ण है।
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करवा चौथ पूजन विधि...
इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही हो जाती है जिसमें महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखा करते हैं इस व्रत में पूरा सिंगार किया जाता है महिलाएं दोपहर में या शाम को करवा चौथ से जुड़ी कथाएं को सुनते हैं कथा के लिए पटरी पर चौकी में जल भरकर रखा जाता है एक थाली में रोली गेहूं चावल और मिट्टी के करवा सहित मिठाई बायना का सामान आदि रखा जाता है प्रथम पूज्य गणेश भगवान की पूजा के साथ व्रत की शुरुआत की जाती है करवा को रखने के दौरान उसे रोली से साथिया (स्वास्तिक) बना ले और करवे के अंदर पानी एवं ऊपर ढक्कन में चावल या गेहूं भर लें।
नोट :- इस वर्ष संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर बुधवार शाम 5:34 से शाम 6:52 तक रहेगा
कथा के दौरान पटरी पर चौकी में जल भरकर रख ले थाली में रोली गेहूं चावल मिट्टी का करवा मिठाई और अन्य सामान सजा ले भगवान गणेश की पूजन के साथ शुरुआत करें और फिर शिव परिवार का पूजन करें रात्रि कालीन चंद्रमा के दर्शन करें चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए इसके बाद पति को छलनी से देखकर उसके पैर छूकर व्रत का पानी आहार लेना चाहिए।
करवा चौथ व्रत के दौरान महिलाओं से होने वाली गलतियां...
यह व्रत सुहागिनों का है जिसमें सोलह सिंगार करने का विधान है इस दिन अपने सुहाग और श्रृंगार का सामान किसी भी अन्य महिला को नहीं देना चाहिए बल्कि जरूरत हो तो सिंगार का नया सामान खरीद कर आप उसे अन्य महिला को दे सकते हैं लेकिन खुद के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले श्रृंगार के सामान को भूलकर भी किसी अन्य महिला को ना दें
फैशन के इस दौर में अक्सर महिलाएं व्रतों के दौरान अपने कपड़ों के रंगों का चयन ठीक ढंग से नहीं कर पाते ध्यान रहे कि पूजा पाठ में भूरे और काले रंग के वस्त्रों को शुभ नहीं माना जाता जहां तक हो सके लाल रंग के कपड़े ही पहने क्योंकि यह रंग प्रेम और अखंडता का प्रतीक है आप चाहे तो पीले रंग के वस्त्र भी पहन सकते हैं।
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इस व्रत के दौरान महिलाओं का शयन (सोना) वर्जित माना गया है लेकिन इस दौरान महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वह किसी भी सोते हुए व्यक्ति को बिल्कुल भी ना उठाएं हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन किसी सोते हुए व्यक्ति को नींद से उठाना अशुभ होता है।
व्रत के दौरान महिलाएं अक्सर चिड़चिड़ी हो जाती है लेकिन उन्हें यह बात बहुत विशेष तौर पर ध्यान रखनी चाहिए कि इस व्रत के द्वारा ना तो किसी बड़े का अपमान हो और ना ही पति के साथ झगड़ा अन्यथा आपके द्वारा रखा गया व्रत किसी काम का नहीं रह जाता।
इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को व्रत रखने के दौरान विशेषताएं किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए खासतौर पर सुई धागे का काम सिलाई का है या बटन लगाने का काम औरतों के दौरान ना ही करें तो शुभ होगा।
अपने पाठकों से अपील...
इस व्रत को लेकर हमने जो भी जानकारी आपसे साझा की है वह कई विशेषग्यों और जानकारों के सुझाव है। हम किसी भी जानकारी के सटीक होने की पुष्टि नहीं करते। हर राज्य,शहर और जिले में अलग अलग प्रथाएं है। हो सकता है वे इस जानकारी से काफी भिन्न हों।
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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