लक्ष्मी विलास बैंक में..
लक्ष्मी का संकट..
जानिए क्या है कहानी..
तमिलनाडु के 94 साल पुराने लक्ष्मी विलास बैंक के कुल 4,100 कर्मचारी हैं और 563 शाखाएं हैं। इसकी कुल जमा राशि 20 हजार करोड़ रुपये जबकि उधारी 17 हजार करोड़ रुपये है। बैंक को वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 112 करोड़ का घाटा हुआ था। बैंक पिछले 15 महीनों से आरबीआई के प्राम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) के दायरे में है। बैंक का शेयर बुधवार को 20 पर्सेंट गिरकर 12.40 रुपये पर आ गया। जून में यह शेयर 25 रुपये पर था। तब से इसमें 50 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
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(नई दिल्ली-डेस्क)
धन लक्ष्मी बैंक के खाताधारकों के लिए बुरी खबर है. प्राइवेट सेक्टर के एक और संकटग्रस्त बैंक को सरकार के मोराटोरियम में डाल दिया है जिसकी वजह से बैंक पर 16 दिसंबर से कई सारी पाबंदियां लगा दी गई है. नई पाबंदियों के मुताबिक धन लक्ष्मी बैंक के खाताधारक 25 हजार रूपये से ज्यादा पैसा नहीं निकाल सकते हैं. वित्त मंत्रालय की तरफ से ये जानकारी दी गई है. गौरतलब है कि इससे पहले यस बैंक और पीएमसी बैंक पर भी इस तरह की पाबंदियां लग चुकी है. येस बैंक और पीएमसी बैंक के खाताधारकों को इस वजह से काफी दिक्कतों का सामना करने पड़ा था और अब धन लक्ष्मी बैंक के खाताधारकों को भी इस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
आरबीआई के आदेश से मचा हड़कंप
जानकारी के मुताबिक BR एक्ट की धारा 45 के तहत आरबीआई की ओर से आवेदन के आधार पर मोराटोरियम लगाया गया है. रिजर्व बैंक के अगले आदेश तक धनलक्ष्मी बैंक के जमाकर्ता को 25 हजार रुपए से अधिक का पेमेंट नहीं कर सकते. हालांकि आरबीआई के आदेश में कहा गया है कि खाताधारकों को इलाज, उच्च शिक्षा की फीस, शादी जैसे कामों के लिए ज्यादा पैसे अकाउंट से निकाल सकते हैं लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होगी।
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25 हजार रुपये तक की निकासी
आरबीआई ने बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 25 हजार रुपये तय की है। आपात स्थिति में 5 लाख रुपए निकाले जा सकते हैं। इलाज, शादी, शिक्षा और अन्य के लिए यह रकम निकाली जा सकती है लेकिन इसके लिए ग्राहकों को सबूत भी देना होगा। मनोहरन ने कहा कि आरबीआई का मोरेटोरियम 30 दिनों का है और हमें विश्वास है कि हम तब तक समाधान तक पहुंच जाएंगे। DBS ने इसके लिए प्रोसेस शुरू कर दी है और वह 2,500 करोड़ रुपये की शुरुआती रकम का निवेश करेगा।
जानकार बताते हैं कि लक्ष्मी विलास बैंक के लिए मुश्किलें 2019 में शुरू हो गई थीं, जब रिजर्व बैंक ने इंडिया बुल्स हाउजिंग फाइनेंस के साथ मर्जर के इसके प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. मार्केट में उसी वक्त हलचल शुरू हुई थी. इसके बाद सितंबर में शेयरहोल्डर्स की ओर से सात डायरेक्टर्स के खिलाफ वोटिंग के बाद रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे प्राइवेट बैंक को चलाने के लिए मीता माखन की अगुआई में तीन सदस्यों वाली कमिटी का गठन किया था।
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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