MP के Cyber-Thugs..
अमेरिकी नागरिकों से करोड़ों की ठगी
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी एडवांस होती जा रही है। वैसे वैसे अपराध की दुनिया में भी अपराधी इस नई तकनीक का बेहतर इस्तेमाल लोगों के साथ धोखाधड़ी और अपने मंसूबे कामयाब करने के लिए कर रहे हैं। यही कारण है कि बीते कई वर्षों में साइबर ठगी और डिजिटल टेक्नोलॉजी की मदद से लोगों को चूना लगाने वाले लोग कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो चुके है। इस बात को लेकर समय-समय पर साइबर क्राइम द्वारा नोटिफिकेशन भी जारी किया जाता है। लेकिन उसके बावजूद भी यह शातिर लोग रोजाना किसी न किसी को अपना शिकार बनाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे ही देते हैं। आज के इस लेख में हम ऐसे ही एक उन्नत साइबर ठग गिरोह के विषय में चर्चा करेंगे जिन्होंने मध्यप्रदेश में बैठकर अमेरिका तक चोट कर दी और अमेरिकी नागरिकों को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया।
आखिर कहां के हैं यह साइबर ठग
साइबर ठगी में महारत हासिल कर चुका है यह गिरोह मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में पुलिस के हत्थे चढ़ा है। जहां बकायदा प्रशिक्षित लोगों की एक टीम एक टेलीकॉलर सेंटर संचालित कर रही थी। इसी टेलीकॉलर सेंटर के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों के साथ धोखाधड़ी की पूरी साजिश को अंजाम दिया जाता था । इंदौर के लसूडिया क्षेत्र से संचालित इस कॉल सेंटर में पुलिस ने दबिश देते हुए तीन युवतियों सहित 21 लोगों की टीम को गिरफ्तार किया है।
पिछले डेढ़ साल से चल रहा था साइबर ठगी का गोरखधंधा
जानिए कैसे करते थे विदेशी नागरिकों से धोखाधड़ी
पुलिस की छापामार कार्यवाही के दौरान गिरफ्तार किए गए लोगों से सख्ती से पूछताछ करने पर यह जानकारी प्राप्त हुई है। कि गुजरात और महाराष्ट्र में रहने वाले युवा टेलीकॉलरो का एक ग्रुप इस पूरे गोरखधंधे को अंजाम दिया करता था ।खास तौर पर अंग्रेजी भाषा में महारत रखने वाले लोगों को इस ग्रुप में प्राथमिकता से शामिल किया जाता था। जिनको सायबर ठगी करने के लिए बकायदा प्रशिक्षित भी किया जाता था। उसके बाद इन टेलीकॉलरों को अमेरिका और आसपास के देशों में रहने वाले विदेशी नागरिकों की एक लिस्ट दे दी जाती थी। यह प्रशिक्षित टेलीकॉलर्स फोन पर खुद को अमेरिका के पुलिस अफसर या (विजिलेंस) सतर्कता विभाग के अधिकारी बताते थे। उसके बाद टेलीकॉलर्स द्वारा विदेशी नागरिकों को यह कह कर धमकाया जाता था कि उनके सामाजिक सुरक्षा नंबर का उपयोग धन शोधन, बैंकिंग, धोखाधड़ी और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया है जिसके चलते उन्हें पुलिस और कानूनी कार्यवाही में फंसना पड़ सकता है।
विदेशी नागरिकों को लगाया करोड़ों का चूना
विदेशी नागरिकों के पास आए इस फोन कॉल से वे काफी घबरा जाते थे। और कानून के पचड़े में फंसने के डर से अक्सर वे अधिकारियों या यूं कहें टेलीकॉलर को किसी बीच के रास्ते का निराकरण मार्ग सुझाने की बात वाले झांसे में फस जाते थे। विदेशी नागरिकों के इसी डर को हथियार बनाते हुए यह टेलीकॉलर करोड़ों के वारे न्यारे कर चुके है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस गिरोह के माध्यम से अब तक डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा रुपयों की धोखाधड़ी की जा चुकी है।
देश के कोने कोने में चल रहे हैं साइबर ठगों के गिरोह
देश का हर एक नागरिक दिन में एक ना एक बार ऐसे अपेक्षित फोन कॉल का सामना करता ही है। जिसमें उसे लकी ड्रॉ, बंपर इनाम, मोबाइल ओटीपी, या फिर क्रेडिट कार्ड की एक्सपायरी संबंधी जानकारी किसी न किसी कॉल सेंटर से आती ही है। कई बार तो फोन कॉलिंग के दौरान रंगे हाथों पकड़े जाने पर यह टेलीकॉलर गंदी गंदी गालियां तक लोगों को दे डालते हैं। इतना ही नहीं कुछ किस्सों में तो यह टेली कॉलर्स बाकायदा अपने धंधे को एक्सप्लेन भी करते हैं। लेकिन सबसे प्रमुख बात यह है की अक्सर कानून की लचर व्यवस्था के चलते इन पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं हो पाती। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गुजरात उत्तर प्रदेश और बिहार की पृष्ठभूमि से जुड़े हुए टेली कॉलर्स सबसे ज्यादा इस गोरखधंधे में शामिल है। देश की राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह इस तरीके के कॉल सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। जो सुबह होते ही लोगों के पास कॉल करके उन्हें अपना शिकार बनाना शुरू कर देते हैं। और यह सिलसिला बकायदा 2 से 4 शिफ्टों में रात भर संचालित किया जाता है।
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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