कोरोना के आगे फिस्सडी हुई
प्लाजमा थेरेपी
क्या बन्द की जाएगी ये थेरेपी...??
कोरोनावायरस के संक्रमित मरीजों को उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी की राह ली गई थी। शुरुआती दौर की बात की जाए तो इस थेरेपी को लेकर काफी प्रचार-प्रसार भी किया गया। संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को अपना प्लाज्मा डोनेट करने के लिए बकायदा प्रोत्साहित भी किया गया देशभर के कई राज्यों में सैकड़ों की संख्या में संक्रमण से ठीक हुए मरीज अपना प्लाज्मा डोनेट भी कर चुके हैं अस्पताल में बकायदा प्लाज्मा थेरेपी के जरिए संक्रमितों का उपचार भी हो रहा है। देशभर के अस्पतालों में इस थेरेपी को लेकर स्पेशल वार्ड इक्विपमेंट्स और विशेषज्ञों की टीम भी नियुक्त की जा चुकी थी लेकिन ऐसा क्या हुआ कि अचानक इस थेरेपी से मेडिकल रिसर्च की अग्रणी संस्था आईसीएमआर का विश्वास उठ गया है। और यहां के विशेषज्ञों की नजर में प्लाजमा थेरेपी फिसड्डी साबित हो रही है।
पहले समझे कि आखिर क्या है प्लाजमा थेरेपी
यह एक अत्यंत उन्नत तकनीक है चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इस थेरेपी को
प्लास्माफेरेसिस (plasmapheresis)
या फिर आम बोलचाल की भाषा में प्लाज्मा थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। इस थेरेपी में प्रक्रिया के द्वारा खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग कर प्रयोग में लिया जाता है। जिसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अस्वस्थ उन तक मिलते हैं तो उसका इलाज इन कोशिकाओं के माध्यम से किया जा सकता है। मुख्य तौर पर इस थेरेपी का उपयोग संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है जिसमें यह काफी कारगर भी है।
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अब प्लाज्मा थेरेपी को लेकर क्या कह रही आईसीएमआर
कोविड-19 के मरीजों का प्लाजमा थेरेपी के जरिए हो रहा उपचार अब बंद हो सकता है। बात चौंकाने वाली जरूर है लेकिन हो सकता है आने वाले समय में प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के उपचार से दूर कर दिया जाए। मेडिकल रिसर्च की अग्रणी संस्था आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना के इलाज की गाइडलाइंस में से प्लाज्मा थेरेपी को हटाए जाने विचार चल रहा है। जिसे लेकर कोविड-19 के लिए बनी आईसीएमआर की नेशनल टास्क फोर्स विशेषज्ञों की टीम के साथ इस पूरे मसले पर रायशुमारी में जुटी है।
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देशभर में प्लाज्मा थेरेपी को लेकर किया जा चुका है प्रमोशन
प्लाज्मा थेरेपी को कोरोनावायरस के उपचार के लिए कारगर बताने वाली सरकार इस बात को लेकर काफी चिंतित है क्योंकि देश के विभिन्न राज्यों में सैकड़ों की संख्या में मरीजों का उपचार प्लाजमा थेरेपी के जरिए किया जा रहा है। इतना ही नहीं प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना के इलाज में सबसे अहम भी बताया जा चुका है देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो आम आदमी पार्टी की सरकार ने बकायदा प्लाज्मा बैंक को भी प्रमोट कर दिया था वही उत्तर पूर्वी राज्य असम में भी प्लाज्मा डोनेशन से जुड़े हुए व्यक्तियों को कई प्रकार की सुविधाएं दिए जाने की बात तक की जा चुकी है।
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विशेषज्ञों के अनुसंधान में नाकाम साबित हुई प्लाजमा थेरेपी...
आपको बता दें कि अप्रैल माह में केंद्र सरकार की तरफ से यह बयान आया था कि मरीज की जिंदगी को प्लाज्मा थेरेपी मुश्किल में भी डाल सकती है इस थेरेपी को बकायदा एक्सपेरिमेंटल थेरेपी बताया गया था।
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने इस थेरेपी को पूर्णता गैरकानूनी बताया था उनके अनुसार जब तक आईसीएमआर की निरीक्षण टीम से संबंधित कोई व्यक्ति इस इलाज की देखरेख में ना हो तब तक इस थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
इस पूरे मसले में आईसीएमआर द्वारा की गई विशेष जांच में नतीजे काफी चौंकाने वाले सामने आए हैं एक स्टडी के अनुसार प्लाजमा थेरेपी मरीजों को फायदा पहुंचाने में नाकामयाब साबित रही है आपको बता दें कि यह रिपोर्ट देश के 39 अस्पतालों में दिए जाने वाली कोरोनावायरस के दौरान तैयार की गई है।
इसे खुद आईसीएमआर ने कंडक्ट कराया था प्रोफेसर बलराम भार्गव ने कहा कि इस स्टडी से मिले नतीजे काफी महत्वपूर्ण है और इन्हीं के आधार पर आगामी फैसला किया जाएगा।
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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