नई दिल्ली । जानलेवा महामारी कोरोना वायरस के कारण अब तक दुनिया भर में 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं वैज्ञानिक स्तर पर इस वायरस और संक्रमण को समझने के लिए कई शोध चल रहे हैं। एक ताजा शोध पाया गया है कि जिन लोगों को दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण हो रहा है, उन्हें पहले की तुलना में कहीं अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
शोध में कहा गया है कि इससे यह पता चलता है कि कोरोना वायरस संक्रमण पहले से कहीं अधिक खतरनाक हो रहा है। अमेरिका में एक व्यक्ति को हुए दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण के पहले केस के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें भविष्य में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर आशंकाओं के बारे में भी बताया गया है।शोध में बताया गया है कि नेवाडा के 25 साल के एक युवक में 48 दिनों में दो बार कोरोना वायरस संक्रमण का वायरस पाया गया है। उसमें सार्स-कोव-2 के दो अलग प्रकार पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि दूसरी बार हुआ संक्रमण पहले वाले से काफी घातक है। दूसरी बार इंफेक्शन होने पर अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहना पड़ता है। शोध में चार और ऐसे मामलों की जानकारी दी गई है, जिनमें लोगों को दूसरी बार कोरोना संक्रमण हुआ। इनमें एक बेल्जियम, नीदरलैंड, हांग कांग और इक्वाडोर शामिल हैं।
एक शोधकर्ता का कहना है कि हमें यह समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि सार्स-कोव-2 के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए इम्युनिटी कितनी लंबी हो सकती है और इनमें से कुछ अन्य संक्रमण क्यों अधिक गंभीर रूप में सामने आ रहे हैं।विशेषज्ञों ने कहा कि दूसरी बार कोरोना संक्रमण के मामलों के अध्ययन से वैश्विक रूप इस बात में मदद मिल सकती है कि आखिर दुनिया में कैसे कोविड महामारी से लड़ा जाए। विशेष रूप से यह वैश्विक स्तर पर हो रही कोरोना वैक्सीन की खोज पर भी असर डाल सकता है।
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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