Vivah Muharat 2020- देवउठनी ग्यारस से गूंजेगी शहनाई..
कोरोना की मार से त्रस्त यह साल अब अपने अंतिम पड़ाव में है। साल की शुरुवात से ही कोरोना का ग्रहण लग या था। जिसके चलते विवाह के मुहूर्त तो थे पर अधिकतर विवाह स्थगित कर दिए गए। लेकिन इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि इंतजार की घड़ी अब खत्म होने को है। और एक बार फिर से गली मोहल्लों में शहनाई की मधुर आवाज़ गूंजने वाली है। जी हां...आगामी 25 नवंबर को देवउठनी ग्यारस के बाद से मांगलिक कार्यक्रमों का श्री गणेश हो जाएगा।इस वर्ष अधिक मास को जोड़ते हुए बीते 5 माह तक भगवान विष्णु शयन में थे।लेकिन आगामी कार्तिक मास की शुक्लपक्ष एकादशी (25 नवंबर)को उनके शयन की अवधि समाप्त हो जाएगी। जिसके बाद से ही तमाम मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
देव उठनी ग्यारस क्या है..
दीपावली पर्व के 11 दिन बाद देव प्रबोध उत्सव मनाया जाता है। जिसे आम बोलचाल में देवउठनी ग्यारसके नाम से भी जाना जाता है।इसे तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है। जिसेबेहत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। एक मान्यता के अनुसार क्षीर सागर में शयन कर रहे श्रीहरि नारायण को इस दिन जगाकर उनसे मांगलिक कार्यों को शुरू कराए जाने का निवेदन किया जाता है। इस अवसर पर श्रद्धालु मंदिर और घर पर गन्ने का मंडप लगाकर उनकी विधिवत पूजा करते है। इस दौरान उन्हें बेर चने की भाजी आंवला सहित अन्य मौसमी फल सब्जियां एवं पकवान अर्पण किये जाते है।इसी दिन से शादी मुंडन गृह प्रवेश जैसे तमाम मांगलिक कार्य शुरू होते है।
क्या है तुलसी-शालिग्राम विवाह कथा..
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी माता तुलसी और नारायण स्वरूप भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए इस तिथि को देवउठनी ग्यारस (एकादशी) या तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर नामक दैत्य को युद्ध मे परास्त करने के लिए भगवान विष्णु द्वारा अपनी परम भक्त वृन्दा के साथ छल किया गया। जिसे ही वृन्दा को अपने साथ हुए छल का आभास हुआ उन्होंने भगवान विष्णु को पत्थर का हो जाने का श्राप दे दिया। चूंकि वृन्दा एक पतिव्रत नारी थी। इसलिए श्राप फलीभूत हुआ और भगवान विष्णु तत्काल ही पत्थर में परिवर्तित हो गए। बाद में जब माता लक्ष्मी सहित अन्य देवताओं ने वृन्दा से श्रल मुक्ति का निवेदन किया तो वृन्दा ने भगवान विष्णु को श्राप मुक्त करते हुए खुद को अग्नि के सुपुर्त कर दिया(सती हो जाना)। कहते है कि वृन्दा के मृत शरीर की राख से पवित्र तुलसी का प्रादुर्भाव हुआ था। तभी से तुलसी के पौधे के साथ शालिग्राम के विवाह का चलन प्रथा में आया।
साल के अंतिम 12 मुहूर्त...
जानकारों की माने तो साल 2020 के अंतिम माह में शांति के कुल 12 शुभ मुहूर्त जोड़े जा रहे है।जिसमे सर्वोत्तम मुहूर्त 25 नवंबर देवउठनी ग्यारस के दिन का है। जिसके बाद सीधे 30 नवंबर को विवाह लग्न है।पंचांगों की माने नवंबर माह में विवाह योग्य केवल दो ही मुहूर्त है। वहीं साल के अंतिम माह दिसंबर में क्रमशः 2,6,7,8,9,10 ,11,13 एवं 14तारिख को मिलाकर कुल 10 दिवसीय विवाह के शुभ मुहूर्तों की जानकारी दी जा रही है।
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विकास की कलम
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लेखक विचारक पत्रकार
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