Corona Effect
कोरोना की एक जकड़न से...
10 साल बूढ़ा हो जाता है दिमाग..
कोरोनावायरस आज भी देश और दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए एक अजीब सी पहेली बना हुआ है जिसके ऊपर जितनी शोध की जा रही है वह दिन प्रतिदिन नई-नई जानकारियां को जन्म दे रही है। दुनिया भर में आतंक फैला चुकी यह बीमारी चिकित्सा विज्ञान के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है हालांकि इस वायरस की दवा और वैक्सीन बनाने के लिए शोधकर्ता दिन रात मेहनत कर रहे हैं। इन सबके बीच शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों के मस्तिष्क के संबंध में एक बड़ा दावा किया है जिसके अनुसार कोरोनावायरस के संक्रमण से संक्रमित मरीज का शरीर तो प्रभावित होता ही है लेकिन उनके मस्तिष्क पर भी बेहद बुरा असर होता है शोधकर्ताओं की मानें तो कोरोना संक्रमण की एक बार की जकड़न से मस्तिष्क 10 साल तक बूढ़ा हो जाता है
कैसे हुआ इस शोध का खुलासा
प्राप्त जानकारी के अनुसार लंदन के इंपीरियल कॉलेज के डॉक्टर एडम हेंपशायर के नेतृत्व में 84000 से अधिक लोगों पर एक विशेष शोध की गई जिसमें समीक्षा के दौरान पाया गया कि कुछ गंभीर मामलों में कोरोनावायरस संक्रमण का संबंध महीनों के लिए मस्तिष्क में होने वाले नुकसान से हैं इसमें मस्तिष्क की समझने और सोचने की क्षमता वह कार्य करने की प्रणाली भी शामिल है। शोध की मानें तो संक्रमण का प्रभाव शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी होता है जोकि मस्तिष्क के कार्य करने की प्रणाली को काफी प्रभावित करता है।
यदि गंभीरता से इस शोध रिपोर्ट के विषय में कहा जाए तो शोधकर्ता ने पूरे अध्ययन के बाद इस बात की पुष्टि की है कि कोविड-19 महामारी मनुष्य मस्तिष्क पर काफी गहरा असर डाल रही है इसमें यह भी दावा किया गया है कि अब तक जो भी लोग कोरोनावायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके हैं या जिनके पास ठीक होने के बाद अभी एक भी लक्षण नहीं है उनके मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी काफी प्रभावित हो चुकी होगी।
इस शोध को पूरा करने के लिए जाने-माने कॉग्निटिव टेस्ट का सहारा लिया गया है इस टेस्ट के दौरान इंसान के मस्तिष्क का परीक्षण कर उसके बेहतर ढंग से कार्य करने की क्षमता को मापा जाता है सामान्यता इस टेस्ट में लोगों से पहेली सुलझवाई जाती है। आमतौर पर ऐसे टेस्ट अल्जाइमर के मरीजों की जांच में प्रयोग किए जाते हैं हेंपशायर की टीम ने 84285 संक्रमित मरीजों को अपनी इस शोध का हिस्सा बनाया और फिर उनके नतीजों का विश्लेषण किया इन सभी लोगों ने ग्रेट ब्रिटिश इंटेलिजेंस टेस्ट नामक एक अध्ययन को पूरा किया है। बहरहाल अभी इसके कई अन्य नतीजों की समीक्षा कुछ अन्य विशेषज्ञों द्वारा भी की जानी है इन्हें MedRxiv वेबसाइट पर ऑनलाइन प्रकाशित किया गया था
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विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
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