जिला अस्पताल के बाहर..
पुलिसिया - इलाज..
ज्ञापन देने पहुंचे छात्र नेताओं पर
पुलिस ने भांजी लाठियां...
कोरोना की हायतौबा के बीच चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन करने जिला अस्पताल प्रांगण मे पहुँचे NSUI के कार्यकर्ताओं को डॉक्टर तो न मिले... लेकिन जबरन अस्पताल परिसर में घुसने वाले छात्र कार्यकर्ताओ का पुलिस ने अपने ढंग से इलाज किया। और इलाज के इस तरीके की पूरे शहर में चर्चा हो रही है।पुलिस प्रशासन ने पहले तो शांति पूर्वक भीड़ को काबू करने का प्रयास किया लेकिन हालात बिगड़ते देख आनन-फानन में लाठी चार्ज कर दिया। जिससे पलक झपकते ही छात्र नेताओं की भीड़ तितर-बितर हो गयी। और स्थिति पर काबू पाया गया।
जरूर पढ़ें इस व्यापारी की करुण पुकार.....सरजी प्लीज... मैं भू-माफिया नहीं हूँ... कम से कम कागज तो देख लीजिए....
क्या है घटना...कहाँ का है मामला..
पूरी घटना जबलपुर के जिला अस्पताल विक्टोरिया की है। जहां शनिवार की दोपहर को NSUI के कार्यकर्ता जिला अस्पताल कैंपस के अंदर स्थित जिला स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन देने पहुंचे थे। निजी अस्पतालों के द्वारा मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी वसूली और जिला अस्पताल में अव्यवस्था को दूर करने जैसी मांगों से संबंधित ज्ञापन स्वास्थ्य अधिकारी के नाम पर तैयार किया गया था। लेकिन पुलिस की चाक चौबन्द व्यवस्था के चलते उन्हें मुख्य द्वार पर ही रोक लिया गया। जिस पर NSUI के छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही डेरा जमा लिया और धरने पर बैठ गए।
18 साल बाद आया ये संयोग..आपको कर सकता है मालामाल.. पढें पूरी ख़बर
आखिर अस्पताल में जाने से क्यों रोका गया..??
अस्पताल के अंदर प्रवेश करने की कोशिश कर रहे NSUI के छात्र नेताओं को पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने समझाईस देते हुए कहा कि अस्पताल एक प्रतिबंधित क्षेत्र है, और इसमें नारेबाजी करना और भीड़ के तौर पर एक साथ अंदर जाना मना है... यहां पर गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों का इलाज चल रहा है और ऐसे में कार्यकर्ताओं को अंदर जाने नहीं दिया जा सकता।
जानिए..?? कोरोना महामारी के बीच किसने रोकी...एमपी की ऑक्सीजन.....
आखिर क्यों करना पड़ा-लाठी चार्ज...
एनएसयूआई के कार्यकर्ता जब जिला अस्पताल के सामने खड़े होकर जोरदार नारेबाजी कर रहे थे । तब पुलिस प्रशासन उन्हें शांत रहने की समझाइश दे रहा था ।लेकिन इसी बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने जबरदस्ती जिला अस्पताल के अंदर प्रवेश करने की कोशिश की..
इस पर पुलिस ने जिला अस्पताल का गेट बंद कर दिया जिस वजह से एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच में झड़प हो गई... भीड़ को बेकाबू होता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर कार्यकर्ताओं को अस्पताल के गेट से अलग किया और उन्हें तितर-बितर कर दिया। इस दौरान क्षेत्र में भगदड़ मच गई और कुछ देर के लिए सड़क पर यातायात भी रुक गया।लेकिन NSUI के कार्यकर्ताओ के जाने के बाद जिला अस्पताल में हालात सामान्य हो गए ।
हथौड़ी के एक बार से-पत्नी का काम तमाम...पढ़िए हैवान पति की हैवानियत...
NSUI के छात्र नेता ने लगाए गंभीर आरोप..
प्रदर्शन के दौरान NSUI के छात्र नेता रिजवान अली कोटी ने पुलिस के लाठी चार्ज को सरासर गलत ठहराया है। छात्र नेता ने जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना काल के दौरान जानबूझकर जिला प्रशासन अपने संरक्षण में निजी अस्पतालों को लूट करने प्रोत्साहन दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया युवक कांग्रेस और NSUI अपने घोषित कार्यक्रम के तहत ज्ञापन सौपने आयी थी। लेकिन अपने तानाशाही रवैये के तहत पुलिस ने उन्हें... मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मिलने से रोक दिया।
नोट-विकास की कलम अपने पाठकों से अनुरोध करती है कि आप अपने सुझाव हम तक जरूर भेजें..
ताकि आने वाले समय मे हम आपकी मदद से और भी बेहतर कार्य कर सकें। साथ ही यदि आपको लेख अच्छा लगे तो इसे ओरों तक भी पहुंचाए।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार
पुलिसिया - इलाज..
ज्ञापन देने पहुंचे छात्र नेताओं पर
पुलिस ने भांजी लाठियां...
कोरोना की हायतौबा के बीच चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन करने जिला अस्पताल प्रांगण मे पहुँचे NSUI के कार्यकर्ताओं को डॉक्टर तो न मिले... लेकिन जबरन अस्पताल परिसर में घुसने वाले छात्र कार्यकर्ताओ का पुलिस ने अपने ढंग से इलाज किया। और इलाज के इस तरीके की पूरे शहर में चर्चा हो रही है।पुलिस प्रशासन ने पहले तो शांति पूर्वक भीड़ को काबू करने का प्रयास किया लेकिन हालात बिगड़ते देख आनन-फानन में लाठी चार्ज कर दिया। जिससे पलक झपकते ही छात्र नेताओं की भीड़ तितर-बितर हो गयी। और स्थिति पर काबू पाया गया।
जरूर पढ़ें इस व्यापारी की करुण पुकार.....सरजी प्लीज... मैं भू-माफिया नहीं हूँ... कम से कम कागज तो देख लीजिए....
क्या है घटना...कहाँ का है मामला..
पूरी घटना जबलपुर के जिला अस्पताल विक्टोरिया की है। जहां शनिवार की दोपहर को NSUI के कार्यकर्ता जिला अस्पताल कैंपस के अंदर स्थित जिला स्वास्थ्य अधिकारी को ज्ञापन देने पहुंचे थे। निजी अस्पतालों के द्वारा मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी वसूली और जिला अस्पताल में अव्यवस्था को दूर करने जैसी मांगों से संबंधित ज्ञापन स्वास्थ्य अधिकारी के नाम पर तैयार किया गया था। लेकिन पुलिस की चाक चौबन्द व्यवस्था के चलते उन्हें मुख्य द्वार पर ही रोक लिया गया। जिस पर NSUI के छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही डेरा जमा लिया और धरने पर बैठ गए।
18 साल बाद आया ये संयोग..आपको कर सकता है मालामाल.. पढें पूरी ख़बर
आखिर अस्पताल में जाने से क्यों रोका गया..??
अस्पताल के अंदर प्रवेश करने की कोशिश कर रहे NSUI के छात्र नेताओं को पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने समझाईस देते हुए कहा कि अस्पताल एक प्रतिबंधित क्षेत्र है, और इसमें नारेबाजी करना और भीड़ के तौर पर एक साथ अंदर जाना मना है... यहां पर गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों का इलाज चल रहा है और ऐसे में कार्यकर्ताओं को अंदर जाने नहीं दिया जा सकता।
जानिए..?? कोरोना महामारी के बीच किसने रोकी...एमपी की ऑक्सीजन.....
आखिर क्यों करना पड़ा-लाठी चार्ज...
एनएसयूआई के कार्यकर्ता जब जिला अस्पताल के सामने खड़े होकर जोरदार नारेबाजी कर रहे थे । तब पुलिस प्रशासन उन्हें शांत रहने की समझाइश दे रहा था ।लेकिन इसी बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने जबरदस्ती जिला अस्पताल के अंदर प्रवेश करने की कोशिश की..
इस पर पुलिस ने जिला अस्पताल का गेट बंद कर दिया जिस वजह से एनएसयूआई कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच में झड़प हो गई... भीड़ को बेकाबू होता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर कार्यकर्ताओं को अस्पताल के गेट से अलग किया और उन्हें तितर-बितर कर दिया। इस दौरान क्षेत्र में भगदड़ मच गई और कुछ देर के लिए सड़क पर यातायात भी रुक गया।लेकिन NSUI के कार्यकर्ताओ के जाने के बाद जिला अस्पताल में हालात सामान्य हो गए ।
हथौड़ी के एक बार से-पत्नी का काम तमाम...पढ़िए हैवान पति की हैवानियत...
NSUI के छात्र नेता ने लगाए गंभीर आरोप..
प्रदर्शन के दौरान NSUI के छात्र नेता रिजवान अली कोटी ने पुलिस के लाठी चार्ज को सरासर गलत ठहराया है। छात्र नेता ने जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना काल के दौरान जानबूझकर जिला प्रशासन अपने संरक्षण में निजी अस्पतालों को लूट करने प्रोत्साहन दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया युवक कांग्रेस और NSUI अपने घोषित कार्यक्रम के तहत ज्ञापन सौपने आयी थी। लेकिन अपने तानाशाही रवैये के तहत पुलिस ने उन्हें... मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मिलने से रोक दिया।
नोट-विकास की कलम अपने पाठकों से अनुरोध करती है कि आप अपने सुझाव हम तक जरूर भेजें..
ताकि आने वाले समय मे हम आपकी मदद से और भी बेहतर कार्य कर सकें। साथ ही यदि आपको लेख अच्छा लगे तो इसे ओरों तक भी पहुंचाए।
विकास की कलम
चीफ एडिटर
विकास सोनी
लेखक विचारक पत्रकार